भारत ने 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम आतंकी हमले के बाद "ऑपरेशन सिंदूर" शुरू किया, जिसमें पाकिस्तान के आतंकी और सैन्य ठिकानों पर हमले किए गए. इन हमलों में ब्रह्मोस मिसाइलों का इस्तेमाल किया गया. करीब 15 मिसाइलें दागी गईं. यहां आप जानेंगे कि भारत ने ब्रह्मोस को क्यों चुना और इसकी भूमिका क्या थी?
ब्रह्मोस मिसाइल की विशेषताएं
ब्रह्मोस एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है, जो ध्वनि की गति से तीन गुना तेज (मैक 3) उड़ती है. इसे भारत और रूस ने मिलकर बनाया है. यह जमीन, समुद्र और हवा से लॉन्च की जा सकती है. इसकी रेंज 290-450 किलोमीटर है. इसमें 200-300 किलोग्राम विस्फोटक होता है, जो इसे बड़े सैन्य ठिकानों को नष्ट करने में सक्षम बनाता है.
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क्यों चुनी गई ब्रह्मोस?
ऑपरेशन सिंदूर में ब्रह्मोस की भूमिका
ऑपरेशन सिंदूर 6 से 10 मई, 2025 तक चला, जिसमें दो चरण थे...
पहला 7 मई और दूसरा 10 मई को. दूसरे चरण में भारत ने लगभग 15 ब्रह्मोस मिसाइलें दागीं, जिन्होंने पाकिस्तान के 11 एयरबेस, जैसे राफिकी, मुरीद, नूर खान और चुनियां को नष्ट कर दिया. इन हमलों ने पाकिस्तान की हवाई रक्षा और कमांड कंट्रोल सिस्टम को पूरी तरह से ठप कर दिया.
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भारत ने डमी (नकली) लड़ाकू विमान भेजकर पाकिस्तान को भ्रमित किया, फिर ब्रह्मोस मिसाइलें दागीं, जो उनकी रक्षा प्रणाली को चकमा दे गईं. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आपने ऑपरेशन सिंदूर में ब्रह्मोस मिसाइल की ताकत देखी होगी, अगर नहीं देखी तो पाकिस्तान से पूछ लीजिए.
ब्रह्मोस मिसाइल: तकनीकी विवरण
ब्रह्मोस एक सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल है, जिसकी गति लगभग 2,800-3,000 किलोमीटर प्रति घंटा है. इसे भारत और रूस के सहयोग से विकसित किया गया है. इसका नाम भारत की ब्रह्मपुत्र नदी और रूस की मोस्कवा नदी से लिया गया है.
ब्रह्मोस की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं...
ऑपरेशन सिंदूर दो चरणों में हुआ...
पहला चरण (7 मई, 2025): इस चरण में, भारत ने पाकिस्तान और पाक-कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में 21 आतंकी शिविरों पर सटीक हमले किए, जिसमें राफेल और सुखोई-30 विमानों से ब्रह्मोस और स्कैल्प मिसाइलें दागी गईं.
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दूसरा चरण (10 मई, 2025): भारत ने लगभग 15 ब्रह्मोस मिसाइलें दागीं, जिन्होंने पाकिस्तान के 11 एयरबेस पर प्रहार किया, जिसमें राफिकी, मुरीद (चकवाल), नूर खान (रावलपिंडी), रहीम यार खान, सुक्कुर और चुनियां (कसूर) शामिल थे. इसके अलावा, पासरूर और सियालकोट में रडार को भी निशाना बनाया गया.
मनोवैज्ञानिक प्रभाव
ब्रह्मोस का इस्तेमाल करके भारत ने अपनी सैन्य ताकत और आतंकवाद के खिलाफ अपनी दृढ़ता का संदेश दिया. यह संदेश न केवल पाकिस्तान बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी गया, जिसके बाद कई देशों, जैसे वियतनाम, इंडोनेशिया और सऊदी अरब ने ब्रह्मोस खरीदने में इच्छा दिखाई.
केराना हिल्स को लेकर विवाद और अफवाहें
कुछ सोशल मीडिया पोस्ट्स और X पर दावे किए गए कि भारत ने ब्रह्मोस मिसाइलों से पाकिस्तान के परमाणु ठिकानों, जैसे किराना हिल्स को निशाना बनाया, जिससे भूकंप आए. भारतीय वायुसेना और नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) ने इन दावों को खारिज किया, यह कहते हुए कि भूकंप प्राकृतिक थे. परमाणु सुविधाओं पर हमले का कोई सबूत नहीं है.
ऑपरेशन सिंदूर का प्रभाव
ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान की सैन्य ताकत को गंभीर नुकसान पहुंचाया, खासकर उनकी वायु रक्षा और कमांड कंट्रोल सिस्टम को. 15 ब्रह्मोस मिसाइलों ने 11 एयरबेस को नष्ट कर दिया, जिससे पाकिस्तान को अमेरिका से युद्धविराम की गुहार लगानी पड़ी. इसके अलावा, इस ऑपरेशन ने भारत की रक्षा तकनीक की ताकत को दुनिया के सामने रखा, जिससे कई देशों ने ब्रह्मोस मिसाइल में रुचि दिखाई.