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B-2 Stealth Bomber: तबाही लाने वाले बी-2 बॉम्बर में पायलटों के लिए टॉयलेट, मिनी कूलर और माइक्रोवेव भी

अमेरिका ने डिएगो गार्सिया में B-2 न्यूक्लियर स्टील्थ बॉम्बर तैनात किया था. यहीं से उड़ान भरकर ईरान के परमाणु ठिकानों—फोर्डो, नतांज, इस्फहान—पर हमले किए गए. यह बॉम्बर 11000 किमी की रेंज, 1010 किमी/घंटा गति और 80 छोटे या 16 परमाणु बम ले जा सकता है.

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ये है अमेरिका बी-2 न्यू्क्लियर स्टील्थ बॉम्बर जिससे ईरान पर हमला किया गया. (फाइल फोटोः Reuters)
ये है अमेरिका बी-2 न्यू्क्लियर स्टील्थ बॉम्बर जिससे ईरान पर हमला किया गया. (फाइल फोटोः Reuters)

हिंद महासागर के मध्य में स्थित डिएगो गार्सिया द्वीप, जो एक गोपनीय सैन्य अड्डे के रूप में जाना जाता है. अमेरिका ने अपने सबसे घातक हथियार, B-2 स्पिरिट न्यूक्लियर स्टील्थ बॉम्बर को इस द्वीप पर तैनात किया था. यहीं से उड़ान भरकर ईरान पर हमला किया गया है. यह कदम इजरायल और ईरान के बीच चल रहे युद्ध और ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर उठाया गया था. आइए, इस तैनाती, B-2 बॉम्बर की विशेषताओं और ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी हमलों के बारे में विस्तार से जानते हैं.

B-2 स्पिरिट स्टील्थ बॉम्बर: अदृश्य विनाशक

B-2 स्पिरिट, जिसे स्टील्थ बॉम्बर के नाम से जाना जाता है, अमेरिकी वायुसेना का सबसे उन्नत और महंगा हथियार है. इसकी कीमत 2 बिलियन डॉलर प्रति यूनिट है. वर्तमान में अमेरिका के पास केवल 20 B-2 बॉम्बर हैं. यह विमान रडार की पकड़ में नहीं आता, जिससे यह दुश्मन के लिए लगभग अदृश्य हो जाता है. शीत युद्ध के दौरान सोवियत संघ के खिलाफ हमले के लिए डिज़ाइन किया गया यह बॉम्बर आज भी दुनिया का सबसे घातक सैन्य हथियार है.

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B-2 की तकनीकी विशेषताएं

आकार और वजन: B-2 की लंबाई 69 फीट, पंखों की चौड़ाई 172 फीट और ऊंचाई 17 फीट है. इसका खाली वजन 71,700 किलोग्राम है, लेकिन पूरे हथियारों के साथ यह 1.70 लाख किलोग्राम तक का वजन लेकर उड़ान भर सकता है.

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गति और ऊंचाई: इसकी अधिकतम गति 1010 किलोमीटर प्रति घंटा है. यह आमतौर पर 900 किलोमीटर प्रति घंटा की क्रूज़िंग स्पीड पर उड़ता है. यह 50,000 फीट (लगभग 15 किलोमीटर) की ऊंचाई तक उड़ सकता है, जिससे यह दुश्मन के रडार और मिसाइलों से बच निकलता है.

चालक दल: इसे केवल दो लोग संचालित करते हैं—एक पायलट और एक मिशन कमांडर.

रेंज: इसकी रेंज 11000 किलोमीटर है. हवा में ईंधन भरने की सुविधा के साथ यह और भी लंबी दूरी तय कर सकता है.

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हथियारों की क्षमता

B-2 बॉम्बर अपनी दो इंटरनल बे (आंतरिक हथियार डिब्बों) में कई प्रकार के हथियार ले जा सकता है, जो इसे विभिन्न मिशनों के लिए बहुमुखी बनाते हैं. इसके हथियारों में शामिल हैं...

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  • पारंपरिक बम: 80 छोटे बम (230 किलोग्राम के Mk-82 या GBU-38) या 36 CBU क्लास बम (340 किलोग्राम).
  • परमाणु बम: 16 B61 या B83 न्यूक्लियर बम, जो बड़े पैमाने पर तबाही मचा सकते हैं.
  • बंकर बस्टर बम: दो GBU-57 मैसिव ऑर्डनेंस पेनेट्रेटर (MOP), जिनका वजन 13,600 किलोग्राम है और जो 200 फीट गहरे कंक्रीट बंकरों को भेद सकते हैं.
  • मिसाइलें: AGM-154 ज्वाइंट स्टैंडऑफ वेपन और AGM-158 ज्वाइंट एयर टू सरफेस स्टैंडऑफ मिसाइल (JASSM), जो सटीक हमले के लिए डिज़ाइन की गई हैं.

B-2 की यह क्षमता इसे ईरान के फोर्डो परमाणु साइट जैसे गहरे भूमिगत ठिकानों को नष्ट करने के लिए बेहतरीन है, जो पहाड़ों के नीचे 80 मीटर की गहराई में स्थित है. 

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बी-2 बॉम्बर पायलटों की 37 घंटे की उड़ान: शौचालय, माइक्रोवेव और स्नैक्स के लिए कूलर

अमेरिका के बी-2 स्टील्थ बॉम्बर ने 22 जून, 2025 को ऑपरेशन मिडनाइट हैमर में ईरान के फोर्डो परमाणु संयंत्र पर हमला किया. यह 37 घंटे की उड़ान मिसूरी के व्हाइटमैन एयर फोर्स बेस से शुरू हुई, जिसमें सात बी-2 बॉम्बर शामिल थे. इतनी लंबी उड़ान के लिए पायलटों के आराम का खास इंतजाम था. विमान में शौचालय, माइक्रोवेव और स्नैक्स के लिए मिनी कूलर था. दो पायलटों ने बारी-बारी से आराम किया, ताकि वे मिशन के दौरान तरोताजा रहें.

मिशन की खासियत और पायलटों की सुविधा

यह मिशन बी-2 बॉम्बर का सबसे लंबा मिशन था, जो 2001 के अफगानिस्तान हमले के बाद सबसे बड़ा था. पायलटों ने 14 GBU-57 बंकर-बस्टर बम फोर्डो और अन्य परमाणु ठिकानों पर गिराए. विमान में ऑटोमेशन की मदद से दो पायलट लंबी उड़ान को संभालते हैं. एक पायलट उड़ान भरता है, जबकि दूसरा लेटने की जगह पर आराम करता है. माइक्रोवेव में खाना गर्म करने और कूलर में ठंडे स्नैक्स रखने की सुविधा ने पायलटों को मिशन के दौरान ऊर्जावान रखा.

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ईरान-इजरायल युद्ध और अमेरिका की भूमिका

इजरायल और ईरान के बीच तनाव 2025 में चरम पर पहुंच गया है. इजरायल ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को अपने लिए खतरा माना है. ईरान ने इजरायल पर मिसाइल हमले किए हैं. इस बीच, अमेरिका ने इजरायल का समर्थन करते हुए B-2 बॉम्बर्स का उपयोग कर ईरान के तीन परमाणु ठिकानों—फोर्डो, नतांज और इस्फहान—पर हमले किए. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इन हमलों की घोषणा करते हुए कहा कि अमेरिकी विमान ईरानी हवाई क्षेत्र से सुरक्षित बाहर निकल आए हैं.

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फोर्डो परमाणु साइट: एक कठिन लक्ष्य

ईरान का फोर्डो परमाणु साइट पहाड़ों के नीचे 80 मीटर की गहराई में बना है, जिसे सामान्य बमों से नष्ट करना असंभव है. GBU-57 MOP बम, जिसे बंकर बस्टर के रूप में जाना जाता है, विशेष रूप से ऐसे लक्ष्यों के लिए डिज़ाइन किया गया है. यह बम 60 फीट कंक्रीट या 200 फीट मिट्टी को भेद सकता है. B-2 बॉम्बर एकमात्र विमान है जो इस भारी बम को ले जा सकता है.

डिएगो गार्सिया: मध्य पूर्व के लिए रणनीतिक केंद्र

डिएगो गार्सिया, हिंद महासागर में एक छोटा सा द्वीप है, जो अमेरिका और ब्रिटेन का संयुक्त सैन्य अड्डा है. यह इजरायल से 5842 किलोमीटर और ईरान से 4842 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. इसकी भौगोलिक स्थिति इसे मध्य पूर्व, विशेष रूप से ईरान, इजरायल और अन्य क्षेत्रीय देशों पर नजर रखने और सैन्य कार्रवाई के लिए बेहतरीन बनाती है.

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B-2 स्टील्थ बॉम्बर की 11,000 किलोमीटर की रेंज इसे डिएगो गार्सिया से ईरान या इजरायल तक केवल 4-5 घंटे में पहुंचने में सक्षम बनाती है. हवा में ईंधन भरने की सुविधा के साथ, यह बॉम्बर बिना रुके लंबी दूरी की उड़ान भर सकता है. अपने लक्ष्य को भेदकर सुरक्षित वापस लौट सकता है.

अमेरिका ने चार B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स को मिसूरी के व्हाइटमैन एयर फोर्स बेस से आठ KC-135 टैंकर विमानों के साथ डिएगो गार्सिया भेजा है. यह तैनाती ईरान के परमाणु कार्यक्रम और इजरायल पर संभावित हमले के खतरे के जवाब में की गई है. इस कदम ने मध्य पूर्व में तनाव को और बढ़ा दिया है.

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अमेरिकी हमले का प्रभाव

22 जून, 2025 को हुए अमेरिकी हमलों में B-2 बॉम्बर्स ने छह GBU-57 बम (प्रत्येक साइट पर दो) का उपयोग किया. इन हमलों ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को गंभीर रूप से कमजोर किया, लेकिन पूरी तरह समाप्त नहीं किया. इन हमलों ने मध्य पूर्व में तनाव को और बढ़ा दिया है. ईरान ने जवाबी कार्रवाई की धमकी दी है, जिसमें अपने प्रॉक्सी समूहों (हिजबुल्लाह, हूती) के माध्यम से इजरायल और अमेरिकी ठिकानों पर हमले शामिल हो सकते हैं.

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मध्य पूर्व में अमेरिका की सैन्य रणनीति

B-2 बॉम्बर्स की तैनाती के अलावा, अमेरिका ने मध्य पूर्व में अपनी सैन्य उपस्थिति को और मजबूत किया है...

  • नौसेना की तैनाती: अमेरिका ने अपनी नौसेना के युद्धपोतों को मध्य पूर्व में तैनात किया है, जिसमें एयरक्राफ्ट कैरियर और नेवी डिस्ट्रॉयर शामिल हैं.
  • अन्य विमान: F-16 फाइटर जेट्स को सऊदी अरब और B-52 बॉम्बर्स को डिएगो गार्सिया में तैनात किया गया है.
  • जमीन बल: अमेरिका ने अपने जमीनी बलों की तैनाती भी बढ़ाई है.

ये कदम न केवल इजरायल की सुरक्षा के लिए, बल्कि क्षेत्र में अमेरिकी सैनिकों की रक्षा और ईरान के परमाणु महत्वाकांक्षाओं को नियंत्रित करने के लिए उठाए गए हैं.

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