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Operation Sindoor: भारतीय नौसेना ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद PAK एक्शन को कैसे किया नाकाम?

ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय नौसेना ने अपनी ताकत, तत्परता और रणनीतिक कौशल का प्रदर्शन किया. पहलगाम आतंकी हमले के बाद, नौसेना ने अपने वाहक युद्ध समूह, सतह बलों और विमानन संसाधनों के साथ पाकिस्तानी आक्रामकता को नाकाम कर दिया. जारी किए गए वीडियो और तस्वीरें इस ऑपरेशन की सफलता और नौसेना की अजेयता का प्रतीक हैं.

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भारतीय नौसेना ने ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान को हवाई हमला करने से रोका. (सभी फोटोः Indian Navy)
भारतीय नौसेना ने ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान को हवाई हमला करने से रोका. (सभी फोटोः Indian Navy)

मई 2025 में पहलगाम, जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी हमले ने भारत को झकझोर दिया. 22 अप्रैल को पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों द्वारा किए गए इस कायराना हमले में 26 लोगों की जान गई. इस हमले के जवाब में भारत ने ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया, जिसके तहत भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में नौ आतंकी ठिकानों को नष्ट किया. 

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इस ऑपरेशन में भारतीय नौसेना ने अपनी अहम भूमिका निभाई, जिसने पाकिस्तानी वायु तत्वों को समुद्री क्षेत्र में किसी भी खतरे को उत्पन्न करने से रोक दिया. भारतीय नौसेना ने इस ऑपरेशन में उपयोग किए गए अपने संसाधनों की तस्वीरें और वीडियो जारी किए, जो पाकिस्तान की आक्रामकता और दुस्साहस को रोकने में इसकी प्रभावशीलता को दर्शाते हैं.  

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पहलगाम आतंकी हमला और ऑपरेशन सिंदूर

22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने पर्यटकों और नागरिकों पर हमला किया, जिसे 26/11 मुंबई हमलों के बाद भारत में सबसे घातक आतंकी हमलों में से एक माना गया. इस हमले ने भारत की शून्य सहिष्णुता की नीति को और मजबूत किया.

जवाब में, भारत ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया, जिसमें भारतीय वायु सेना, थल सेना और नौसेना ने समन्वित रूप से पाकिस्तान और PoK में आतंकी शिविरों को नष्ट किया. इस ऑपरेशन ने न केवल आतंकी बुनियादी ढांचे को ध्वस्त किया, बल्कि पाकिस्तान को यह स्पष्ट संदेश दिया कि भारत किसी भी आतंकी गतिविधि को बर्दाश्त नहीं करेगा.

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पाकिस्तान ने इस ऑपरेशन के बाद 7-8 मई की रात को भारत के 15 सैन्य ठिकानों जैसे श्रीनगर, जम्मू, पठानकोट और अमृतसर पर ड्रोन और मिसाइल हमले किए. हालांकि, भारतीय नौसेना, वायु सेना और थल सेना के एकीकृत प्रयासों ने इन हमलों को पूरी तरह विफल कर दिया. भारतीय नौसेना ने अपनी वाहक युद्ध समूह (Carrier Battle Group) और उन्नत वायु रक्षा तंत्र का उपयोग कर पाकिस्तानी वायु तत्वों को समुद्री क्षेत्र में निष्क्रिय कर दिया.

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भारतीय नौसेना की भूमिका: ऑपरेशन सिंदूर में वायु रक्षा तंत्र

भारतीय नौसेना ने ऑपरेशन सिंदूर के तुरंत बाद अपनी एंटी-मिसाइल और एंटी-एयरक्राफ्ट रक्षा क्षमता दिखाया. नौसेना ने एक क्रॉस-प्लेटफॉर्म सहकारी तंत्र का उपयोग किया, जो इसके व्यापक और स्तरित फ्लीट वायु रक्षा तंत्र पर आधारित था. इस तंत्र ने वाणिज्यिक, तटस्थ और शत्रुतापूर्ण विमानों या उड़ने वाली वस्तुओं के बीच त्वरित और लंबी दूरी पर खतरों को निष्प्रभावी किया.

1. वाहक युद्ध समूह (Carrier Battle Group)

भारतीय नौसेना का वाहक युद्ध समूह (CBG) इस स्तरित वायु रक्षा तंत्र की पहली परत है. इसमें INS विक्रांत भारत का स्वदेशी विमानवाहक पोत और इसके अभिन्न वायु विंग शामिल हैं. CBG में बड़ी संख्या में मिग-29के फाइटर जेट और एयरबोर्न अर्ली वॉर्निंग हेलीकॉप्टर तैनात थे, जिन्होंने किसी भी संदिग्ध या शत्रुतापूर्ण विमान को सैकड़ों किलोमीटर की दूरी से रोक दिया.

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प्रभावशीलता: CBG की उपस्थिति ने पाकिस्तानी वायु तत्वों को तट के करीब सीमित कर दिया, जिससे उन्हें समुद्री क्षेत्र में कोई खतरा उत्पन्न करने का अवसर नहीं मिला. इसकी जबरदस्त आक्रामक क्षमता ने नौसेना को ऑपरेशन क्षेत्र में निर्विवाद उपस्थिति बनाए रखने में सक्षम बनाया. 

रणनीति: नौसेना ने अपनी शक्ति का प्रदर्शन करते हुए यह सुनिश्चित किया कि वह जब चाहे, तब हमला कर सकती है. इसने पाकिस्तानी वायु सेना को निष्क्रिय कर दिया और उन्हें कोई जोखिम लेने से रोका.

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2. सतह बल और पनडुब्बियां

वाहक युद्ध समूह के अलावानौ सेना ने अपने सतह बलों (जैसे कोलकाता-श्रेणी के विध्वंसक) और पनडुब्बियों को पूर्ण युद्ध तत्परता के साथ तैनात किया. इन बलों ने समुद्री क्षेत्र में निगरानी और रक्षा की दूसरी परत प्रदान की. कोलकाता-श्रेणी के विध्वंसक जो उन्नत बराक-8 मिसाइल प्रणालियों से लैस हैं, ने ड्रोन और मिसाइल खतरों को नष्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

हथियार अभ्यास: आतंकी हमले के 96 घंटों के भीतर, नौसेना ने समुद्र में कई हथियार अभ्यास किए, जिसमें रणनीति और प्रक्रियाओं को परिष्कृत किया गया. इन अभ्यासों ने नौसेना की तत्परता और परिचालन क्षमता को और मजबूत किया.

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3. विमानन संसाधन

नौसेना के विमानन संसाधनों जैसे मिग-29के और हेलीकॉप्टर ने हवाई क्षेत्र की निगरानी और खतरों की पहचान में महत्वपूर्ण योगदान दिया. एयरबोर्न अर्ली वॉर्निंग हेलीकॉप्टर ने वास्तविक समय में खतरों की ट्रैकिंग सुनिश्चित की, जिससे नौसेना को त्वरित प्रतिक्रिया देने में मदद मिली.

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पाकिस्तानी आक्रामकता को नाकाम करना

पाकिस्तान ने ऑपरेशन सिंदूर के जवाब में भारत के सैन्य ठिकानों पर ड्रोन और मिसाइल हमले किए, जिसमें चीनी पीएल-15 एयर-टू-एयर मिसाइलों का भी इस्तेमाल किया गया. भारतीय नौसेना और वायु सेना के एकीकृत वायु रक्षा तंत्र ने इन हमलों को पूरी तरह नाकाम कर दिया. नौसेना की वाहक युद्ध समूह और सतह बलों ने समुद्री क्षेत्र में पाकिस्तानी वायु तत्वों को तट के करीब सीमित कर दिया, जिससे वे कोई खतरा उत्पन्न नहीं कर सके.

लाहौर में जवाबी कार्रवाई: भारतीय बलों ने लाहौर में पाकिस्तानी वायु रक्षा प्रणाली को नष्ट कर दिया, जिसमें इजरायली हार्पी ड्रोन और संभवतः एस-400 मिसाइलों का उपयोग किया गया. इस कार्रवाई ने पाकिस्तान की रक्षा क्षमता को गंभीर झटका दिया.

साइबर हमले: पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान ने 1.5 करोड़ साइबर हमले किए, लेकिन केवल 150 सफल हुए, जो भारत की साइबर रक्षा की मजबूती को दर्शाता है.

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भारतीय नौसेना द्वारा जारी वीडियो और तस्वीरें

13 मई 2025 को, भारतीय नौसेना ने ऑपरेशन सिंदूर में उपयोग किए गए अपने संसाधनों की तस्वीरें और वीडियो जारी किए. इनमें आईएनएस विक्रांत, मिग-29के फाइटर जेट, कोलकाता-श्रेणी के विध्वंसक और एयरबोर्न अर्ली वॉर्निंग हेलीकॉप्टर की झलकियां शामिल थीं.

वाइस एडमिरल एएन प्रमोद ने कहा कि पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों पर कायराना हमले के बाद, भारतीय नौसेना ने तुरंत अपने वाहक युद्ध समूह, सतह बलों, पनडुब्बियों और विमानन संसाधनों को पूर्ण युद्ध तत्परता के साथ तैनात किया. 

भारत की रणनीतिक श्रेष्ठता

ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय नौसेना की भूमिका ने भारत की रणनीतिक श्रेष्ठता को दिखाया. नौसेना ने निम्नलिखित तरीकों से पाकिस्तान को जवाब दिया... 

  • समुद्री प्रभुत्व: CBG की उपस्थिति ने पाकिस्तानी वायु सेना को समुद्री क्षेत्र में कोई गतिविधि करने से रोका.
  • तकनीकी उन्नति: बराक-8 मिसाइल प्रणाली और मिग-29के जैसे उन्नत संसाधनों ने नौसेना को बहु-आयामी खतरों से निपटने में सक्षम बनाया.
  • रणनीतिक संयम: भारत ने अपने जवाब को आतंकी बुनियादी ढांचे तक सीमित रखा, जिससे व्यापक युद्ध से बचा गया.
     
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