ईरान की इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) ने इजरायल पर 20वीं बार मिसाइल हमला किया है, जिसमें खैबर शेकन नाम की उन्नत बैलिस्टिक मिसाइल का इस्तेमाल हुआ. यह हमला बेन गुरियन हवाई अड्डे और इजरायल के सैन्य ठिकानों को निशाना बनाकर किया गया. यह कार्रवाई अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर किए गए हवाई हमलों के जवाब में हुई है. आइए, इस हमले, खैबर शेकन मिसाइल और इसके प्रभावों को समझते हैं.
खैबर शेकन मिसाइल: ईरान का घातक हथियार
खैबर शेकन (Kheibar Shekan) ईरान की सबसे आधुनिक और शक्तिशाली मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों में से एक है. इसका नाम सातवीं सदी की खैबर की लड़ाई से प्रेरित है, जो इस्लामिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण युद्ध था. यह मिसाइल ईरान की सैन्य ताकत का प्रतीक है. इसे विशेष रूप से दुश्मन के हवाई रक्षा तंत्र को चकमा देने के लिए डिज़ाइन किया गया है.
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खैबर शेकन की विशेषताएं
IRGC ने दावा किया कि इस मिसाइल का इस्तेमाल "ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस 3" की 20वीं लहर में किया गया, जिसमें तरल और ठोस ईंधन वाली मिसाइलों का संयोजन था.
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20वीं मिसाइल लहर: हमले का विवरण
22 जून, 2025 को ईरान ने इजरायल पर 20वीं बार मिसाइल हमला किया. इस हमले में खैबर शेकन मिसाइलों का पहली बार इस्तेमाल हुआ, जो इजरायल के लिए एक बड़ा झटका था. IRGC के अनुसार, इस हमले में निम्नलिखित लक्ष्यों को निशाना बनाया गया...
IRGC ने दावा किया कि इस हमले में नई युद्ध रणनीति का इस्तेमाल किया गया, जिसने इजरायल के रक्षा तंत्र को भ्रमित कर दिया. कुछ मिसाइलें इजरायल के आयरन डोम और एरो मिसाइल डिफेंस सिस्टम को भेदकर अपने लक्ष्य तक पहुंचीं. तेल अवीव के रामत गान क्षेत्र में नौ इमारतें पूरी तरह नष्ट हुईं, और सैकड़ों अन्य को नुकसान पहुंचा. हाइफा में भी विस्फोटों की खबरें आईं.
हमले का प्रभाव
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हमले का कारण: अमेरिकी हवाई हमले
ईरान का यह हमला अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर किए गए हवाई हमलों के जवाब में था. 21 जून, 2025 को अमेरिका ने B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स और GBU-57 मैसिव ऑर्डनेंस पेनेट्रेटर (MOP) बमों का उपयोग कर ईरान के तीन परमाणु ठिकानों—फोर्डो, नतांज और इस्फहान—पर हमले किए.
इन हमलों में ईरान के परमाणु कार्यक्रम को गंभीर नुकसान पहुंचा. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि फोर्डो को "पूरी तरह नष्ट" कर दिया गया, हालांकि अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने कहा कि कोई रेडियेशन लीक नहीं हुआ.
ईरान ने इन हमलों को "युद्ध की घोषणा" माना और जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी. IRGC ने कहा कि खैबर शेकन मिसाइलें इजरायल और अमेरिका को सबक सिखाने के लिए दागी गईं.
इजरायल और ईरान का युद्ध: पृष्ठभूमि
इजरायल और ईरान के बीच तनाव दशकों पुराना है. इजरायल, ईरान के परमाणु कार्यक्रम को अपने अस्तित्व के लिए खतरा मानता है, जबकि ईरान का कहना है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है. 2024 में दोनों देशों के बीच सीधे हमले शुरू हुए, जब इजरायल ने दमिश्क में ईरानी दूतावास पर हमला किया. इसके जवाब में ईरान ने अप्रैल 2024 में इजरायल पर मिसाइल और ड्रोन हमले किए.
जून 2025 में यह तनाव युद्ध में बदल गया, जब इजरायल ने "ऑपरेशन राइजिंग लायन" शुरू कर ईरान के सैन्य और परमाणु ठिकानों पर हमले किए. इन हमलों में ईरान के शीर्ष सैन्य कमांडर—होसैन सलामी, मोहम्मद होसैन बघेरी और गोलाम अली रशीद मारे गए. साथ ही, कई परमाणु वैज्ञानिकों की हत्या भी हुई. ईरान ने इसके जवाब में इजरायल पर लगातार मिसाइल और ड्रोन हमले शुरू किए. 20वीं लहर तक ईरान ने 545 ड्रोन और सैकड़ों मिसाइलें दागीं.
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खैबर शेकन का महत्व
खैबर शेकन मिसाइल का इस्तेमाल ईरान की सैन्य रणनीति में एक बड़ा बदलाव दर्शाता है. यह मिसाइल न केवल इजरायल के रक्षा तंत्र को चुनौती देती है, बल्कि ईरान की तकनीकी उन्नति को भी प्रदर्शित करती है. IRGC ने दावा किया कि इस मिसाइल ने इजरायल के रक्षा तंत्र को "आपस में टकराने" के लिए मजबूर किया, जिससे कई मिसाइलें अपने लक्ष्य तक पहुंचीं. हालांकि, इजरायल ने कहा कि उसने अधिकांश मिसाइलों को रोक लिया, और उसके सैन्य अड्डों को कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ.