प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) ने भारतीय सेना के लिए एडवांस्ड टोव्ड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS) की 7000 करोड़ रुपये की खरीद को मंजूरी दे दी है. ये निर्णय भारत में विकसित की गई तोपों के स्वदेशी निर्माण को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है.
ATAGS पहली पूरी तरह से स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकसित और निर्मित 155 मिमी आर्टिलरी गन प्रणाली है. इसकी खरीद से भारतीय सेना की संचालन क्षमता (Operational Capability) में भारी इजाफा होगा. इस तोप में 52-कैलिबर की लंबी बैरल लगी है, जिससे यह 45 किलोमीटर तक लक्ष्य भेदने में सक्षम होगी. CCS ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दी. रक्षा मंत्रालय ने करीब दो साल पहले इस खरीद को सैद्धांतिक मंजूरी दी थी.
इस सौदे के तहत कुल 307 तोपें और 327 गन-टोइंग वाहन खरीदे जाएंगे. इन्हें पश्चिमी सीमा (पाकिस्तान) और उत्तरी सीमा (चीन) पर तैनात किया जाएगा, जिससे भारतीय सेना को सामरिक बढ़त (Strategic Edge) मिलेगी और उसकी ऑपरेशनल रेडीनेस व फायरपावर में इजाफा होगा. बड़े कैलिबर वाली यह तोप दुश्मन पर ज्यादा विस्फोटक शक्ति के साथ हमला करने में सक्षम होगी. साथ ही, इसमें ऑटोमेटेड डिप्लॉयमेंट और टारगेट एंगेजमेंट जैसी आधुनिक क्षमताएं हैं.
'मेक इन इंडिया' को मिलेगा बढ़ावा
ATAGS को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और भारतीय निजी रक्षा उद्योग के सहयोग से विकसित किया गया है. इसके 65% से अधिक कंपोनेंट भारत में ही निर्मित हैं, जिनमें बैरल, Muzzles brake, बैक ब्रीच मैकेनिज्म, फायरिंग और रीकॉइल सिस्टम और गोला-बारूद संचालन प्रणाली शामिल हैं.
पुरानी तोपों की जगह लेगी ATAGS
ATAGS की तैनाती से भारतीय सेना की तोपखाना प्रणाली को आधुनिक बनाया जाएगा और पुरानी 105 मिमी और 130 मिमी की तोपों को बदला जाएगा. इस तोप का स्वदेशी निर्माण भारत में एक मजबूत आपूर्ति श्रृंखला (Supply Chain) और लाइफसाइकल मेंटेनेंस को भी सुनिश्चित करेगा. इससे रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता को और मजबूती मिलेगी. ATAGS की प्रमुख तकनीकी जैसे नेविगेशन सिस्टम, म्यूज़ल वेलोसिटी रडार और सेंसर पूरी तरह से भारत में विकसित की गई है, जिससे विदेशी तकनीक और आयात पर निर्भरता घटेगी.