इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के बीच ईरान के एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी मोहसिन रजाई ने दावा किया कि अगर इजरायल ईरान पर परमाणु हमला करता है, तो पाकिस्तान इजरायल पर परमाणु जवाबी हमला करेगा. इस बयान ने दुनिया भर में हलचल मचा दी, लेकिन पाकिस्तान ने इसे सिरे से खारिज कर दिया.
आइए, इस मुद्दे को समझते हैं कि क्या पाकिस्तान के पास इजरायल पर परमाणु हमला करने की क्षमता है? क्या वह इजरायल के हमले के डर से सफाई दे रहा है?
पाकिस्तान की परमाणु क्षमता
पाकिस्तान एक परमाणु-सशस्त्र देश है. स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के अनुसार, जनवरी 2025 तक उसके पास लगभग 170 परमाणु हथियार हैं. ये हथियार मुख्य रूप से भारत को ध्यान में रखकर विकसित किए गए हैं, क्योंकि पाकिस्तान की परमाणु नीति credible minimum deterrence पर आधारित है, जो भारत के साथ संतुलन बनाए रखने के लिए है.
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पाकिस्तान के पास कई प्रकार की बैलिस्टिक मिसाइलें हैं, जैसे...
शाहीन सीरीज: शाहीन-2 और शाहीन-3 मिसाइलें, जिनकी रेंज 2000 और 2750 किलोमीटर तक है.
गजनवी और अब्दाली: ये कम दूरी की मिसाइलें हैं, जो 300-700 किलोमीटर तक मार कर सकती हैं.
बाबर क्रूज मिसाइल: इसकी रेंज 700-1,000 किलोमीटर है.
इजरायल और पाकिस्तान के बीच की दूरी लगभग 3500-4000 किलोमीटर है. तकनीकी रूप से, पाकिस्तान की शाहीन-3 मिसाइल इस दूरी को कवर कर सकती है, लेकिन कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह मिसाइल अभी पूरी तरह परिचालन में नहीं है या इसकी सटीकता और विश्वसनीयता पर सवाल हैं.
इसके अलावा, परमाणु हथियारों को ले जाने वाली मिसाइलों को लंबी दूरी तक प्रभावी ढंग से तैनात करना एक जटिल प्रक्रिया है, जिसमें उन्नत मार्गदर्शन प्रणाली और बुनियादी ढांचे की जरूरत होती है.
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पाकिस्तान के पास वायुसेना के जरिए परमाणु बम पहुंचाने की भी सीमित क्षमता है. उसके जे-17 और मिराज विमान परमाणु हथियार ले जा सकते हैं, लेकिन इनकी रेंज और इजरायल तक पहुंचने की क्षमता संदिग्ध है. क्योंकि इसके लिए हवाई ईंधन भरने और अन्य देशों के हवाई क्षेत्र से गुजरने की जरूरत होगी, जो व्यावहारिक रूप से मुश्किल है.
पाकिस्तान का इजरायल पर हमले का दावा: सच्चाई क्या है?
13 जून 2025 को इजरायल ने ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों पर हवाई हमले किए, जिसके बाद ईरान ने जवाबी मिसाइल हमले किए. इस तनाव के बीच, ईरान के इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के वरिष्ठ कमांडर मोहसिन रजाई ने दावा किया कि पाकिस्तान ने ईरान को आश्वासन दिया है कि अगर इजरायल ईरान पर परमाणु हमला करता है, तो पाकिस्तान इजरायल पर परमाणु जवाबी हमला करेगा.
हालांकि, पाकिस्तान ने इस दावे को पूरी तरह खारिज कर दिया. पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक दार ने संसद में कहा कि यह दावा "झूठा और गढ़ा हुआ" है. उन्होंने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान की परमाणु नीति 1998 से वही है—यह केवल आत्मरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए है. रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने भी सोशल मीडिया पर कहा कि पाकिस्तान का परमाणु कार्यक्रम अपने लोगों की सुरक्षा और दुश्मनों के खिलाफ रक्षा के लिए है, न कि पड़ोसियों के खिलाफ आक्रामक नीतियों के लिए.
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क्या पाकिस्तान इजरायल के हमले से डर रहा है?
पाकिस्तान का कहना है कि उसकी परमाणु नीति रक्षात्मक है. वह इजरायल के साथ सीधे टकराव में नहीं पड़ना चाहता. ईरान के दावे के बाद पाकिस्तान को दो बार स्पष्टीकरण देना पड़ा, जिससे कुछ लोग मान रहे हैं कि वह इजरायल के जवाबी हमले से डर रहा है. हालांकि, इसके कोई ठोस सबूत नहीं हैं.
इजरायल ने अभी तक पाकिस्तान के खिलाफ कोई प्रत्यक्ष धमकी नहीं दी है. लेकिन इजरायल की सैन्य क्षमता और उसकी परमाणु शक्ति (जिसे वह आधिकारिक तौर पर स्वीकार नहीं करता) को देखते हुए, पाकिस्तान सावधानी बरत रहा है. इजरायल के पास अनुमानित 90-200 परमाणु हथियार हैं. उसकी जेरिको मिसाइलें लंबी दूरी तक मार कर सकती हैं. इसके अलावा, इजरायल को अमेरिका का समर्थन प्राप्त है, जो उसे और मजबूत बनाता है.
पाकिस्तान ने इजरायल के हमलों की निंदा की है और मुस्लिम देशों से एकजुट होने की अपील की है. उसने यह भी कहा कि वह ईरान का समर्थन अंतरराष्ट्रीय मंचों पर करेगा. लेकिन परमाणु हमले की धमकी जैसे गंभीर दावे से दूरी बनाकर, पाकिस्तान ने साफ किया कि वह इस संघर्ष में सीधे शामिल नहीं होना चाहता.
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क्यों दे रहा है पाकिस्तान सफाई?
पाकिस्तान का बार-बार सफाई देना कई कारणों से हो सकता है...
अंतरराष्ट्रीय दबाव: परमाणु हथियारों का जिक्र वैश्विक चिंता का विषय है. अगर पाकिस्तान को ईरान के समर्थन में परमाणु धमकी देने वाला माना जाता है, तो उसे अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों से कूटनीतिक और आर्थिक दबाव का सामना करना पड़ सकता है.
क्षेत्रीय स्थिरता: पाकिस्तान पहले से ही भारत के साथ तनावपूर्ण रिश्तों का सामना कर रहा है. इजरायल को निशाना बनाने की बात से उसकी स्थिति और कमजोर हो सकती है.
आंतरिक सुरक्षा: कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान अपनी परमाणु सुरक्षा को लेकर सतर्क है. उसके परमाणु हथियारों को स्थानांतरित करने की प्रक्रिया जोखिम भरी है, क्योंकि तालिबान जैसे समूहों से खतरा बना रहता है.
ईरान का दबाव: पाकिस्तान और ईरान के बीच सांस्कृतिक और धार्मिक रिश्ते हैं, लेकिन सीमा पर आतंकवाद जैसे मुद्दों पर तनाव भी रहा है. ईरान का दावा शायद पाकिस्तान को इस संघर्ष में खींचने की कोशिश हो.
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान का परमाणु हथियारों का उपयोग इजरायल के खिलाफ करना व्यावहारिक नहीं है. उसकी परमाणु नीति भारत-केंद्रित है. इजरायल के साथ कोई सीधा संघर्ष नहीं है. अगर पाकिस्तान ऐसा कदम उठाता है, तो उसे इजरायल और उसके सहयोगी अमेरिका से गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं. इसके अलावा, परमाणु हमले का दावा बिना आधिकारिक पुष्टि के केवल ईरान की रणनीति हो सकता है, ताकि वह इजरायल पर दबाव बनाए.