प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शुक्रवार को तमिलनाडु TASMAC से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले के सिलसिले में नए सिरे से तलाशी ली. ईडी के अधिकारियों ने बताया कि मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) के तहत चेन्नई में TASMAC अधिकारियों और एजेंटों से जुड़े करीब 10 ठिकानों पर छापेमारी की जा रही है.
ED अफसरों ने पीटीआई को बताया कि कुछ हवाला ऑपरेटरों और कैश कलेक्शन एजेंटों की भी तलाशी ली जा रही है. दरअसल, 1983 में निगमित, तमिलनाडु राज्य विपणन निगम लिमिटेड (TASMAC) तमिलनाडु सरकार के पूर्ण स्वामित्व में है और इसका पंजीकृत कार्यालय चेन्नई में है.
इसे राज्य में भारतीय निर्मित विदेशी शराब (IMFL) और बीयर की थोक आपूर्ति के लिए विशेष अधिकार प्राप्त हैं, जिसके 43 डिपो और राज्य भर में फैली करीब 5,000 खुदरा इकाइयां हैं. संघीय जांच एजेंसी ED ने इस मामले में पहली बार मार्च में छापेमारी की थी.
मद्रास उच्च न्यायालय ने अप्रैल में तमिलनाडु सरकार द्वारा दायर तीन रिट याचिकाओं को खारिज कर दिया था, जिसमें ईडी द्वारा 6 से 8 मार्च के बीच निगमों के मुख्यालयों पर मनी लॉन्ड्रिंग मामले के तहत की गई तलाशी और जब्ती की कार्रवाई को अवैध घोषित करने की मांग की गई थी.
इस मामले में ईडी द्वारा 'राजनीतिक प्रतिशोध' के तमिलनाडु सरकार के दावे को भी खारिज कर दिया, और कहा कि राजनीति के मामले का फैसला करने वाले सबसे अच्छे न्यायाधीश हमारे महान राष्ट्र के लोग होंगे. आखिरकार, जो सबसे ज्यादा मायने रखता है, वो है लोगों की इच्छा.
तलाशी के पहले दौर के बाद ED ने एक बयान में कहा था कि टीएएसएमएसी के संचालन में कथित अनियमितताएं पाई गईं, जिसमें निविदा प्रक्रियाओं में हेरफेर और डिस्टिलरी कंपनियों के माध्यम से 1,000 करोड़ रुपये के बेहिसाब नकद लेनदेन भी शामिल हैं.
ED ने दावा किया कि मार्च की तलाशी के दौरान ट्रांसफर पोस्टिंग, ट्रांसपोर्ट और बार लाइसेंस टेंडर, कुछ डिस्टिलरी कंपनियों के पक्ष में इंडेंट ऑर्डर, TASMAC आउटलेट्स द्वारा प्रति बोतल 10-30 रुपये का अतिरिक्त शुल्क, TASMAC अधिकारियों की संलिप्तता से संबंधित अपराधी डेटा मिला है.
एजेंसी ने कहा कि उसे डिस्टिलरी कंपनियों और उच्च TASMAC अधिकारियों के बीच सीधे संचार को दिखाने वाले रिकॉर्ड मिले हैं, जो बढ़े हुए इंडेंट ऑर्डर और अनुचित पक्षपात को सुरक्षित करने के प्रयासों को उजागर करते हैं.
डिस्टिलरी ने व्यवस्थित रूप से खर्चों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया और विशेष रूप से बोतल बनाने वाली कंपनियों के माध्यम से फर्जी खरीद की, ताकि 1,000 करोड़ रुपये से अधिक बेहिसाब नकदी निकाली जा सके. ईडी के अनुसार, इस फंड का इस्तेमाल TASMAC से आपूर्ति ऑर्डर बढ़ाने के लिए किकबैक के रूप में किया गया.