Delhi Blast Operation D-6 Decoded: दिल्ली की सड़कों पर 10 नवंबर की सुबह कार में एक साइलेंट किलर घूम रहा था. उसकी कार में था मौत का सामान. और अंदर बैठा था डॉक्टर उमर नबी, जिसे अब जांच एजेंसियां ‘डॉक्टर डेथ’ कह रही हैं. राजधानी के VVIP जोन से लेकर इंडिया गेट और कनॉट प्लेस तक, वह 43 बार कैमरों में कैद हुआ था. दिल्ली ब्लास्ट के बाद जब जांच आगे बढ़ी, तो हर कदम पर आतंक का नया चेहरा सामने आता गया. फिर एक जूता मिला. उस जूते में छिपा था वो विस्फोटक, जिसने सुरक्षा एजेंसियों की नींद उड़ा दी. शक गहरा गया कि दिल्ली को दहलाने के लिए पहली बार शू-बॉम्बिंग का इस्तेमाल हुआ.
यह सिर्फ एक ब्लास्ट नहीं था, बल्कि देश में सीरियल फिदायीन हमलों का ब्लूप्रिंट था, जिसे आखिरी मिनट पर उजागर किया गया. इस जांच ने साबित कर दिया कि दिल्ली का ब्लास्ट सिर्फ एक विस्फोट नहीं, बल्कि आतंक की लैब से निकला वो मॉडर्न हथियार है, जिसने देश की सुरक्षा पर कई गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं.
शू-बॉम्बिंग की नई कड़ी
दिल्ली ब्लास्ट की जांच में अब एक चौंकाने वाला एंगल सामने आया है. जांच एजेंसियों को शक है कि कार ब्लास्ट के पीछे शू बम का इस्तेमाल किया गया. फिदायीन डॉक्टर उमर के जूते में वही विस्फोटक था, जिसकी मदद से कार में भरे धमाके को ट्रिगर किया गया. उमर की कार से बरामद जूते में विस्फोटक तत्व मिले हैं. अब सुरक्षा एजेंसियां शू बम और कार ब्लास्ट को जोड़कर पूरी साजिश को खंगाल रही हैं.
क्या शू बम से किया गया कार ब्लास्ट?
जांच में लगातार सवाल उठ रहे हैं कि क्या डॉक्टर उमर ने शू बम का इस्तेमाल कर कार ब्लास्ट को अंजाम दिया. एजेंसियों को आशंका है कि कार में भरे विस्फोटक को डेटोनेट करने के लिए उसने जूते में छिपाए बम को एक्टिव किया. शुरुआती जांच बताती है कि फिदायीन मॉडल पर आधारित यह हमला बेहद खतरनाक तरीके से प्लान किया गया था.
क्या TATP से दिल्ली को दहलाया गया?
जांच टीम का मानना है कि धमाके में TATP का इस्तेमाल हुआ, जिसे ‘मदर ऑफ शैतान’ भी कहा जाता है. यह वही विस्फोटक है जिसे कई बड़े आतंकी हमलों में इस्तेमाल किया गया है. कार से मिले जूते में TATP के ट्रेस मिलने से दिल्ली धमाकों का पैटर्न और साफ हो गया है. एजेंसियां अब TATP और शू-बॉम्बिंग की पुख्ता कड़ियां जोड़ रही हैं.
TATP और अमोनियम नाइट्रेट का घातक कॉम्बिनेशन
कार ब्लास्ट में अमोनियम नाइट्रेट के साथ TATP के इस्तेमाल की पुष्टि ने एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है. अमोनियम नाइट्रेट विस्फोटक को ताकत देता है और TATP उसे फौरन आग पकड़ाने की क्षमता देता है. डॉक्टर उमर की कार से बरामद जूते में दोनों के सबूत मिले हैं. यह वही फार्मूला है, जिसे आतंकी संगठन जैश और अलकायदा दोनों पसंद करते रहे हैं.
अलकायदा वाले शू बम का इस्तेमाल?
TATP के इस्तेमाल से यह एंगल भी मजबूत हो गया है कि डॉक्टर उमर ने अलकायदा स्टाइल शू-बॉम्बिंग का सहारा लिया. साल 2001 में अलकायदा आतंकी रिचर्ड रीड ने इसी TATP से शू बम तैयार किया था. हालांकि वह बम फटने से पहले ही पकड़ा गया था. डॉक्टर उमर के जूते में मिले TATP के सबूत उसी तरह के खतरनाक प्लान की ओर इशारा करते हैं.
शैतान की मां कहलाता है TATP
TATP का पूरा नाम ट्राएसीटोन ट्राइपरऑक्साइड है, जिसे दुनिया के सबसे खतरनाक विस्फोटकों में गिना जाता है. यह बेहद हल्का लेकिन घातक होता है. स्कैनर या मेटल डिटेक्टर इसे पकड़ नहीं पाते क्योंकि इसमें मेटल नहीं होता. मामूली झटका, रगड़ या हल्की गर्मी से भी TATP फट सकता है. यही वजह है कि इसे बारूद की दुनिया में ‘मदर ऑफ शैतान’ कहा जाता है.
कार में विस्फोटक और शू बम का लिंक
जांच एजेंसियों को शक है कि कार में पहले से भरकर रखे विस्फोटक को ब्लास्ट करने के लिए डॉक्टर उमर ने जूते में लगाए TATP बम का इस्तेमाल किया. यानी पहले शू बम एक्टिव किया गया, उसके बाद कार में मौजूद भारी मात्रा का विस्फोटक एक साथ फट गया. यह फिदायीन स्टाइल ऑपरेशन की साफ झलक है.
आतंक के डॉक्टरों की खतरनाक प्लानिंग
फरीदाबाद टेरर मॉड्यूल से गिरफ्तार डॉक्टर शाहीन और मुजम्मिल से पूछताछ में बड़ा खुलासा हुआ है. पता चला कि दिल्ली के अलावा देश के कई शहरों में सीरियल ब्लास्ट की प्लानिंग थी. इस हमले का मास्टरमाइंड जैश था और उसके लिए फिदायीन मॉडल तैयार किया जा रहा था. डॉक्टर उमर कश्मीर के युवाओं का ब्रेनवॉश कर उन्हें आत्मघाती हमलावर बनाने में जुटा था.
360 किलो विस्फोटक बरामद
जांच में खुलासा हुआ कि फरीदाबाद में बरामद 360 किलो विस्फोटक उसी बड़े सीरियल ब्लास्ट नेटवर्क का हिस्सा था. डॉक्टर शाहीन दिल्ली में फिदायीन हमलों की प्लानिंग कर रही थी. यही विस्फोटक दिल्ली और दूसरे शहरों में बड़े धमाकों के लिए इस्तेमाल होना था. यह पूरी साजिश कई महीनों से तैयार की जा रही थी.
डायरी में Operation D-6 का ब्लूप्रिंट
अल-फलाह यूनिवर्सिटी में डॉक्टर उमर के रूम नंबर-4 और डॉक्टर मुजम्मिल के रूम नंबर-13 से जांच एजेंसियों को डायरी मिली है. उसी में Operation D-6 का पूरा ब्लूप्रिंट दर्ज है. डायरी में फिदायीन हमलों, टारगेट लोकेशन और साजिश के चरणों का विस्तृत विवरण मिला है. एजेंसियां अब इस ऑपरेशन को डिकोड करने में जुटी हैं.
दिल्ली की सुरक्षा पर बड़ा सवाल
जांच से पता चला है कि 10 नवंबर को धमाका करने से पहले डॉक्टर उमर करीब दस घंटे तक दिल्ली की सड़कों पर विस्फोटक से भरी कार चलाता रहा. इधर उधर घूमता रहा. यही बात सुरक्षा एजेंसियों की बड़ी चूक साबित हो रही है. सवाल ये है कि राजधानी में इतनी देर तक एक सुसाइड बॉम्बर कैसे बिना रोके घूमता रहा.
43 सीसीटीवी में कैद उमर की साजिश
उमर की कार 43 अलग-अलग सीसीटीवी कैमरों में दर्ज हुई. सुबह 8:03 पर कार बदरपुर में दाखिल हुई. 9:17 पर निजामुद्दीन थाने के सामने से गुजरी. 9:22 पर इंडिया गेट पहुंची, 9:31 पर कर्तव्य पथ पर दिखाई दी. दोपहर 2:04 पर कनॉट प्लेस और 3:15 पर दिल्ली गेट रेड लाइट पर कैमरे में कैद हुई. VVIP इलाकों में खुलेआम घूमते इस आतंकी को रोकने में दिल्ली पुलिस नाकाम रही और फिर 10 नवंबर का भयावह धमाका हुआ. और दिल्ली का दिल दहल गया.