देश की राजधानी दिल्ली में 10 नवंबर 2025 की शाम जो धमाका हुआ था, उसकी गूंज अभी तक फिजा में बाकी है. दिल्ली के लोग खौफजदा हैं. पुलिस और जांच एजेंसियों ने रात दिन एक कर दिया है. कई आरोपी और संदिग्ध पुलिस की पकड़ में आ चुके हैं. और कई ऐसे हैं, जो अब भी फरार हैं. लाल किले के पास मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर 1 पर जिस कार में यह जोरदार विस्फोट हुआ, वह अमोनियम नाइट्रेट जैसे खतरनाक विस्फोटक से भरी थी. इस घटना में 13 निर्दोष लोगों की जान चली गई, जबकि 25 से ज्यादा लोग घायल हो गए हैं. दिल्ली पुलिस और NIA की जांच में यह साफ हो गया है कि यह कोई दुर्घटना नहीं, बल्कि आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के एक खतरनाक 'व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल' का हिस्सा था. आइए जानते हैं कि इस मामले में कितने लोग हुए गिरफ्तार और कितने हैं फरार?
जैश-ए-मोहम्मद (JeM) का खतरनाक व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल कश्मीर, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली तक फैला हुआ था, जिसमें मुख्य रूप से पढ़े-लिखे डॉक्टर शामिल थे. दिल्ली धमाके से कुछ घंटे पहले ही फरीदाबाद में 2,900 किलो विस्फोटक जब्त किए गए थे, जिससे लगता है कि साजिशकर्ता घबरा गए थे.
धमाके के बाद का मंजर
यह घटना 10 नवंबर 2025 की शाम करीब 6:52 बजे हुई. हरियाणा की Hyundai i20 कार (HR 26 CE 7674) लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास ट्रैफिक सिग्नल पर रुकी थी. CCTV फुटेज में कार को पार्किंग से निकलते हुए देखा गया, जिसमें ड्राइवर काला मास्क पहने हुए था. धमाके से पहले कार लगभग 3 घंटे सुनहरी मस्जिद पार्किंग में खड़ी रही. वहां से जाने के बाद ही उसमे धमाका हुआ. विस्फोट इतना तेज था कि आसपास की कई गाड़ियां जल गईं और चांदनी चौक की गलियों में भगदड़ मच गई. लोग दुकानों में छिपते नजर आए.
एनआईए ने शुरू की जांच
NIA की प्रारंभिक रिपोर्ट के मुताबिक, यह इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) से किया गया हमला था. पहले दिल्ली पुलिस इस मामले की जांच में जुटी थी. लेकिन आतंकी कनेक्शन का खुलासा होते ही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने केस अपने हाथ में ले लिया. इस मामले में UAPA (Unlawful Activities Prevention Act) के तहत FIR दर्ज हुई है.
जल्दबाजी में हमला
जांच में पता चला कि यह मॉड्यूल फरीदाबाद के अल-फलाह मेडिकल कॉलेज में काम करने वाले कुछ डॉक्टरों से जुड़ा था. फरीदाबाद के अलग-अलग ठिकानों से 2,900 किलो से ज्यादा विस्फोटक, AK-47 राइफलें, टाइमर और बैटरी बरामद हुईं हैं. कुछ मीडिया रिपोर्टस् के मुताबिक, इस मामले में JeM प्रमुख मौलाना मसूद अजहर का सीधा कनेक्शन सामने आया है. इस मॉड्यूल का प्लान दिल्ली में 26/11 जैसे सीरियल ब्लास्ट का था, लेकिन पुलिस की छापेमारियों से घबरा कर मुख्य संदिग्ध ने जल्दबाजी में हमला कर दिया. फंडिंग पाकिस्तान से टेलीग्राम चैनलों और क्रिप्टोकरेंसी के जरिए आ रही थी.
दिल्ली से तुर्की तक कनेक्शन!
इस धमाके में अंसार गजवत-उल-हिंद (AGH) भी शामिल था. इसी दौरान NIA अब तुर्की कनेक्शन और महाराष्ट्र तक फैले नेटवर्क की जांच कर रही है. साजिश का किंगपिन डॉक्टर उमर मोहम्मद नबी था, जो पुलवामा के कोइल गांव का रहने वाला 36 वर्षीय MBBS डॉक्टर था. वह फरीदाबाद के अल-फलाह मेडिकल कॉलेज में काम कर रहा था. दो साल से फरीदाबाद में रहते हुए वह JeM के लिए विस्फोटक जमा कर रहा था. मार्च 2024 में कश्मीर से दिल्ली आया था. माना जा रहा है कि साथियों की गिरफ्तारी की खबर सुनकर वो घबरा गया और उसने कार में ही सुसाइड ब्लास्ट कर लिया.
डॉ. उमर की मौत की पुष्टि
कार डॉक्टर उमर के नाम पर रजिस्टर्ड थी, जो तारिक मलिक से खरीदी गई थी. DNA टेस्ट से पुष्टि हुई कि विस्फोट में उसकी मौत हो गई. उसके परिवार - मां शमीमा बानो, भाई आशिक और जहांगीर - को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है. परिवार का कहना है कि उन्हें उमर की गतिविधियों की भनक नहीं थी.
डॉक्टर आदिल राठर की गिरफ्तारी
इस केस में दूसरा अहम किरदार है डॉक्टर आदिल राठर या अदील अहमद. वह काजीगुंड, कुलगाम (J&K) का रहने वाला है. GMC श्रीनगर से MBBS करने के बाद वह अनंतनाग GMC में सीनियर रेजिडेंट था. वह अक्टूबर 2024 से सहारनपुर (UP) के प्राइवेट हॉस्पिटल में काम कर रहा था. उसे जैश के पोस्टर लगाने के मामले में 5 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था. उसके लॉकर से AK-47 राइफल बरामद हुई थी. साथ ही टेलीग्राम पर रेडिकलाइजेशन और फंडिंग के लिंक भी मिले हैं. पूछताछ में उमर और मुजम्मिल की जानकारी मिली. फिलहाल वह जम्मू कश्मीर पुलिस की हिरासत में है.
ऐसे पकड़ा गया डॉक्टर मुजम्मिल शकील
पुलवामा का 35 वर्षीय डॉक्टर मुजम्मिल शकील व्हाइट कॉलर टेरर का चेहरा था. वह अल-फलाह यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर काम कर रहा था. धौज और फतेहपुर टगा में किराए के घरों से 2900 किलो विस्फोटक और हथियार बरामद हुए. 30 अक्टूबर को जैश के पोस्टर मामले में उसे वांटेड घोषित किया गया था. 9 नवंबर को उसे फरीदाबाद से गिरफ्तार कर लिया गया. वह पाकिस्तानी हैंडलर्स से जुड़ा था. उसके घर से IED कंपोनेंट्स मिले हैं.
महिला कमांडर डॉक्टर शाहीन की पकड़
लखनऊ के लाल बाग की रहने वाली 40 वर्षीय डॉक्टर शाहीन शाहिद जैश की महिला विंग 'जमात-उल-मोमीनात' की इंडिया हेड थी. वह मौलाना मसूद अजहर की बहन सादिया से जुड़ी थी. अब वह अल-फलाह हॉस्पिटल में काम करती थी. 9 नवंबर को उसे फरीदाबाद से गिरफ्तार किया गया. पुलिस उसे श्रीनगर ले गई. आरोप है कि वह दो साल से विस्फोटक जमा कर रही थी. उसकी मारुति स्विफ्ट से AK-47, पिस्तौल और मैगजीन बरामद हुई हैं. वह पूर्व पति डॉक्टर जफर हयात (कानपुर) से तलाकशुदा है. उसके दो बच्चे हैं. उससे लगातार पूछताछ की जा रही है.
शाहीन का भाई डॉ. परवेज अंसारी हिरासत में
लखनऊ का डॉ. परवेज अंसारी इंटीग्रल यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर था, लेकिन उसकी बहन डॉ. शाहीन शाहिद की गिरफ्तारी ने उसे सीधे दिल्ली ब्लास्ट की जांच के केंद्र में लाकर खड़ा कर दिया. 7 नवंबर 2025 को उसने अचानक ईमेल भेजकर नौकरी छोड़ दी, जिससे उसके फरार होने का शक हुआ, लेकिन यूपी एटीएस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए उसे हिरासत में ले लिया. उसे किसी गोपनीय स्थान पर रखा गया है. मुजम्मिल शकील की मारुति स्विफ्ट डिजायर (जिससे AK-47 और पिस्तौल बरामद हुई) परवेज के नाम पर ही रजिस्टर्ड थी. धमाके के बाद शाहीन और परवेज के बीच हुई बातचीत का कॉल रिकॉर्ड एटीएस ने जब्त कर लिया है, जिसमें संदिग्ध कोड वर्ड्स और समय का जिक्र है. जांच में परवेज का फरीदाबाद मॉड्यूल और आदिल राठर से सीधा संपर्क भी सामने आ रहा है. इस मामले में पूछताछ जारी है, और एटीएस को उम्मीद है कि जल्द ही फंडिंग और लॉजिस्टिक्स का पूरा नेटवर्क बेनकाब हो जाएगा.
डॉ. सज्जाद अहमद मल्ला की गिरफ्तारी
पुलवामा के बांदजू गांव का रहने वाला डॉ. सज्जाद अहमद मल्ला श्रीनगर के प्रतिष्ठित SMHS हॉस्पिटल में डॉक्टर के रूप में काम करता था, लेकिन उसकी दोस्ती मुख्य संदिग्ध डॉक्टर उमर मोहम्मद नबी से थी, जो उसे आतंकी मॉड्यूल की गहराई तक ले गई. 11 नवंबर 2025 को जम्मू-कश्मीर पुलिस ने उसे हिरासत में लिया. पूछताछ में नए सबूत और लीड्स सामने आए हैं, जो बताते हैं कि सज्जाद सिर्फ दोस्त नहीं, बल्कि उमर की साजिश का सक्रिय हिस्सा हो सकता है. पुलिस सूत्रों के अनुसार, और भी डॉक्टरों पर शिकंजा कस सकता है.
डॉ. तजामुल अहमद मलिक से 12 घंटे चली पूछताछ
कुलगाम जिले का रहने वाले डॉ. तजामुल अहमद मलिक भी श्रीनगर के SMHS हॉस्पिटल में डॉक्टर के तौर पर काम करते थे. 11 नवंबर 2025 को जम्मू-कश्मीर पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया और उनसे पूछताछ की. सूत्रों के मुताबिक, तजामुल का नाम उमर और मुजम्मिल के नेटवर्क से जुड़े डिजिटल चैट्स और फोन रिकॉर्ड्स में सामने आया था. जांच एजेंसियों को उम्मीद थी कि उनकी जुबान खुलते ही साजिश का एक और अहम हिस्सा सामने आएगा. लेकिन पुलिस हिरासत में 12 घंटे तक पूछताछ के बाद डॉ. तजामुल अहमद मलिक को पुलिस ने रिहा कर दिया, हालांकि उनका मोबाइल फोन अभी भी डेटा जांच के लिए पुलिस के पास है.
कहां है डॉ. निसार-उल-हसन?
फरीदाबाद के अल-फलाह मेडिकल कॉलेज से जुड़े सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर निसार-उल-हसन का नाम दिल्ली ब्लास्ट की जांच में तब सामने आया, जब NIA ने यूनिवर्सिटी के लैब और स्टाफ की गहन जांच शुरू की. कश्मीर मूल का यह डॉक्टर पहले श्रीनगर के SMHS हॉस्पिटल में असिस्टेंट प्रोफेसर था, जहां 2023 में संदिग्ध एंटी-नेशनल एक्टिविटीज के आरोप में उसे नौकरी से निकाल दिया गया था. दिल्ली धमाके के बाद निसार अचानक लापता हो गया, जिससे जैश मॉड्यूल से उसके संभावित लिंक पर शक गहरा गया. जांच एजेंसियां उसके फोन रिकॉर्ड्स, ईमेल और यूनिवर्सिटी कैंपस में रहने वाले समय की CCTV फुटेज खंगाल रही हैं, जहां उमर और मुजम्मिल जैसे गिरफ्तार किए जा चुके संदिग्धों से उसके संपर्क की पुष्टि हो रही है. फिलहाल गायब निसार की तलाश पूरे देश में जारी है, और NIA को उम्मीद है कि उसके पकड़े जाने से एक और कड़ी बेनकाब हो जाएगी.
पुलिस ने अब तक 18 से ज्यादा गिरफ्तारियां की हैं. मुख्य रूप से जम्मू कश्मीर, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से गिरफ्तारियां की गई हैं. कुछ गिरफ्तार संदिग्धों की लिस्ट-
कौन हैं हिरासत में? किससे हो रही पूछताछ?
- डॉ. उमर के परिवार: मां, भाई
- अल-फलाह मेडिकल कॉलेज के 4 लैब टेक्नीशियन
- 9 संदिग्ध कानपुर से, 10 फरीदाबाद/दिल्ली से
- 3 कार खरीदने वालों से भी पूछताछ जारी
दिल्ली ब्लास्ट के बाद एक्शन
दिल्ली में धमाके के ठीक अगले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने LNJP अस्पताल पहुंचकर घायलों का हाल जाना और पीड़ित परिवारों से मुलाकात की, जबकि गृह मंत्री अमित शाह ने साफ कहा कि सभी दोषियों को पूर्ण सजा मिलेगी, कोई बख्शा नहीं जाएगा. पूरे देश में हाई अलर्ट जारी करते हुए CNG और LPG वाहनों की सघन चेकिंग शुरू की गई है, खासकर NH-44 पर हर गाड़ी की तलाशी ली जा रही है. गुजरात, उत्तर प्रदेश और बिहार में पैट्रोलिंग दोगुनी कर दी गई है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने घटना पर गहरा दुख जताते हुए इसे मानवता पर हमला बताया. अमेरिका और ब्रिटेन ने तुरंत ट्रैवल एडवाइजरी जारी कर अपने नागरिकों को दिल्ली में सतर्क रहने की सलाह दी है. NIA ने जैश के फाइनेंशियल नेटवर्क को ट्रेस करना शुरू कर दिया है. क्रिप्टो ट्रांजेक्शन और टेलीग्राम चैनल्स पर नजर रखी जा रही है. अब तक 400 से ज्यादा सर्च ऑपरेशन और 500 से ज्यादा लोगों से पूछताछ हो चुकी है. जांच का दायरा महाराष्ट्र तक फैल गया है.
आतंक के खिलाफ भारत की लड़ाई
दिल्ली ब्लास्ट 2025 ने फिर साबित कर दिया कि आतंकवाद का न कोई धर्म होता है, न कोई पेशा. सफेद कोट पहने डॉक्टर भी मौत का हथियार बन सकते हैं. व्हाइट कॉलर टेरर जैसे नए और खतरनाक रूप से निपटने में NIA और पुलिस की तेज कार्रवाई सराहनीय है, लेकिन बड़ा सवाल यही है कि इतना विशाल मॉड्यूल इतने लंबे समय तक कैसे चलता और बढ़ता रहा? उम्मीद है कि जांच का हर एंगल खंगाला जाएगा और पूरा सच सामने आएगा.