कहते हैं बच्चे कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं. जिस सांचे में ढालो, ढल जाते हैं. लेकिन इस बग़दादी का क्या करें, जो बच्चों को दहशतगर्दी के सांचे में ढालने में लगा है. तभी तो सीरिया और इराक जैसे मुल्कों में हजारों बच्चे आज आईएसआईएस के चंगुल में फंस कर उस उम्र में मरने-मारने का सबक सीख रहे हैं, जिस उम्र में इंसान को ठीक से जीना भी नहीं आता.
तुर्की में आईएसआईएस का राज तो नहीं है, लेकिन तुर्की से सटे इराक और सीरिया के एक बड़े इलाके पर आईएसआईएस का कब्जा है. इसलिए अब तुर्की की फिजा में भी आईएसआईएस के खौफ और बगदादी का डर महसूस होने लगा है. गरज ये कि तुर्की में आईएसआईएस के चंगुल से निकले हजारों शरणार्थी तो हैं ही, साथ ही यहां ऐसे बहुत से मासूम बच्चे भी हैं, जिन्हें आईएसआईएस ने इस्लामिक हुकूमत के नाम पर आतंक की आग में झोंक दिया था.
ज्यादातर बच्चे ऐसे हैं, जिन्हें फौजी बनाने के नाम पर मनमाना काम करवाया जाता है और तो और दिमागी तौर पर लाचार कई बच्चों को फिदायीन यानी मानव बम बना कर आईएसआईएस ने अपनी गंदी जेहनीयत का एक और सबूत दिया है. दुनिया का ये खूंखार आतंकी संगठन अपने मकसद के लिए किसी भी हद तक जा सकता है. इसलिए उसने अब मासूम बच्चों को भी नहीं बख्शा है.
बगदादी और उसके आतंकवादी हर महीने तकरीबन चार सौ बच्चों को अगवा करते हैं और उन्हें आतंक की फैक्ट्री में झोंक देते हैं. क्या आप यकीन करेंगे कि आतंकी की उस फैक्ट्री में आठ साल तक के बच्चे भी सीने पर गोली खाने से लेकर किसी बेगुनाह का सिर उतारने तक की तालीम ले रहे हैं. और उससे भी ज्यादा अफसोसनाक ये है कि आईएस ने कई ऐसे बच्चों को फिदायीन बना दिया है, जो दिमागी तौर पर भी दूसरे बच्चों के मुकाबले कमजोर हैं.
सीरिया और इराक में आईएसआईएस अब छोटे-छोटे बच्चों को बरगला कर और उन्हें मजबूर कर आतंकवादियों की नई पौध तैयार करने में जुटा है. एक ऐसी पौध, जिन्हें जिंदगी से ज्यादा मौत से मुहब्बत है और एक ऐसी पौध, जिनके मासूम दिमाग में जेहाद का जहर भरा जा रहा है. ये बच्चे छोटी सी उम्र में ही मौत का खेल खेलने के लिए तैयार हो रहे हैं. और जो बच्चे इनका विरोध करते हैं या इनका कहना नहीं मानते ये जालिम उन बच्चों के हाथ पैर काटकर उन्हें अपाहिज बना देते हैं.
इराक और सीरिया जैसे मुल्कों में आईएसआईएस के अनगिनत ट्रेनिंग कैंप हैं. जहां अलग-अलग जगहों से पकड़े गए हजारों बच्चों को जेहाद के नाम पर मरने-मारने की ट्रेनिंग दी जा रही है. वहां बच्चों को ना सिर्फ बेहद सख्त जिस्मानी ट्रेनिंग दी जाती है, बल्कि आईएसआईएस और इसके खलीफा बग़दादी के लिए कमिटमेंट का ऐसा सबक भी सिखाया जाता है कि वो बाकी की दुनिया से पूरी तरह कट जाएं, फिर चाहे वो उनके मां-बाप ही क्यों ना हो.
आईएसआईएस इन बच्चों को कब्स ऑफ द खैलिफेट यानी बगदादी की हुकूमत के शावक के तौर पर बुलाता है और उनका ब्रेनवॉश कर उन्हें मौत के लिए तैयार करता है. हालत ये हैं कि आईएस के कई प्रोपेगैंडा वीडियोज में ऐसे बच्चों को लोगों का कत्ल करते हए देखा जा सकता है.