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नीतीश कटारा हत्याकांड: सुप्रीम कोर्ट ने विकास यादव की अंतरिम जमानत दो हफ्ते के लिए बढ़ाई

Nitish Katara Murder Case: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को 2002 के नीतीश कटारा हत्याकांड में 25 साल की सजा काट रहे विकास यादव की अंतरिम जमानत को दो सप्ताह के लिए बढ़ा दिया. उन्हें 24 अप्रैल को अंतरिम जमानत दी गई थी, जिसे 8 मई को बढ़ाया गया था.

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विकास यादव को शर्तों के साथ जमानत दी गई है.
विकास यादव को शर्तों के साथ जमानत दी गई है.

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को 2002 के नीतीश कटारा हत्याकांड में 25 साल की सजा काट रहे विकास यादव की अंतरिम जमानत को दो सप्ताह के लिए बढ़ा दिया. उन्हें 24 अप्रैल को अंतरिम जमानत दी गई थी, जिसे 8 मई को बढ़ाया गया था. मंगलवार को जस्टिस उज्जल भुइयां और जस्टिस मनमोहन की खंडपीठ ने इसे दो सप्ताह के लिए और बढ़ा दिया, ताकि वे अपनी मां की देखभाल कर सकें. उनकी मां की नई दिल्ली के एम्स में सर्जरी हुई थी.

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि विकास यादव की अंतरिम जमानत इसके बाद और नहीं बढ़ाई जाएगी. उनके वकील ने कहा कि चूंकि सर्जरी 25 मई को हुई थी, इसलिए उनकी मां को ऑपरेशन के बाद देखभाल की आवश्यकता है. उनके घर पर कोई भाई-बहन या अन्य परिजन नहीं होने के कारण विकास यादव को उनकी देखभाल करनी पड़ रही है. इससे पहले, कोर्ट ने एम्स के मेडिकल बोर्ड से विकास की मां की स्वास्थ्य स्थिति की रिपोर्ट मांगी थी.

रिपोर्ट में उनकी मां के स्वास्थ्य के बारे में विस्तार से बताया गया था, जिसके आधार पर अदालत ने उनकी मां की देखभाल के लिए अंतरिम जमानत को बढ़ाया. 24 अप्रैल को शीर्ष अदालत ने विकास को उनकी बीमार मां से मिलने के लिए अंतरिम जमानत दी थी और निर्देश दिया था कि एम्स के डॉक्टरों के एक मेडिकल बोर्ड द्वारा उनकी मां की जांच की जाए. इसके साथ ही, अदालत ने विकास को घर के अंदर रहने की शर्त भी लगाई थी.

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विकास यादव को नीतीश कटारा की मां नीलम कटारा सहित मामले के गवाहों से संपर्क न करने का निर्देश दिया गया था. अदालत ने उन्हें एक लाख रुपये की जमानत राशि जमा करने की शर्त पर राहत दी थी. विकास उत्तर प्रदेश के राजनेता डी. पी. यादव के बेटे हैं. उनके चचेरे भाई विशाल यादव को भी बिजनेस एग्जीक्यूटिव नीतीश कटारा के अपहरण और हत्या के लिए दंडित किया गया था.

विकास और विशाल, नीतीश कटारा के उनकी बहन भारती यादव के साथ कथित संबंध के खिलाफ थे, क्योंकि वे अलग-अलग जातियों से थे. एक अन्य सह-दोषी सुखदेव पहलवान को बिना किसी छूट के 20 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी. इससे पहले, दिल्ली हाईकोर्ट ने विकास और विशाल यादव को निचली अदालत द्वारा सुनाई गई आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखते हुए दोनों को बिना किसी छूट के 30 साल की सजा सुनाई थी.

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