राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया (PLFI) की आतंकी साजिश और जबरन वसूली के मामले में एक और आरोपी के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया है. ये संगठन झारखंड और पड़ोसी राज्यों में इस आतंकी समूह को पुनर्जीवित और मजबूत करना चाहता था.
झारखंड के रांची जिले का कृष्णा यादव उर्फ कृष्णा महतो उर्फ सुल्तान, इस मामले में सातवां आरोपी है, जिसके खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया गया है. रांची स्थित एनआईए की विशेष अदालत में शुक्रवार को दाखिल तीसरे पूरक आरोपपत्र में, उस पर आईपीसी और यूए(पी) अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं.
एनआईए ने अक्टूबर 2023 में स्वतः संज्ञान लेते हुए यह मामला दर्ज किया था. जांच के दौरान एजेंसी ने पाया कि कृष्णा ने पीएलएफआई जैसे गैरकानूनी संगठन के अन्य कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर पीएलएफआई को मज़बूत और पुनर्जीवित करने की साजिश रची थी.
यह संगठन भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने और झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़ और ओडिशा में कोयला व्यापारियों, ट्रांसपोर्टरों, रेलवे ठेकेदारों, व्यापारियों आदि से जबरन वसूली करने और बढ़ाने के तरीके खोजने में लगा हुआ है.
पीएलएफआई सदस्यों ने जनता, विशेषकर व्यापारियों और ठेकेदारों में आतंक पैदा करने के लिए हत्या, आगजनी और हिंसक हमलों सहित विभिन्न आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने की भी साजिश रची थी.
इससे पहले साल 2024 में, एनआईए ने आरोपी निवेश कुमार उर्फ निवेश पोद्दार, रमन कुमार सोनू उर्फ सोनू पंडित, कपिल पाठक, बिनोद मुंडा, नीलांबर गोप उर्फ डेलगा उर्फ डिकल और शिव कुमार साहू उर्फ चरकू के खिलाफ आईपीसी, आर्म्स एक्ट और यूए(पी) एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत तीन आरोपपत्र दायर किए थे, जिनमें दो पूरक आरोपपत्र भी शामिल थे.
आतंकवाद-रोधी एजेंसी अन्य साजिशकर्ताओं की पहचान करने के लिए मामले की जांच कर रही है.