राजस्थान के झालावाड़ जिले में बेरोजगार युवाओं को सरकारी नौकरी का लालच देकर करोड़ों रुपए ठगने वाले गिरोह का पर्दाफाश हुआ है. ये गिरोह नर्सिंग ऑफिसर की पोस्ट पर नियुक्ति दिलाने का दावा करता था और फर्जी कागजों के जरिए पीड़ितों को भरोसे में लेकर मोटी रकम ऐंठ लेता था. इसका सरगना लग्जरी कार में घूमता था. पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया है.
पुलिस अधीक्षक अमित कुमार के मुताबिक, गिरफ्तार किए गए दोनों आरोपी बेरोजगार युवाओं का डाटा इकट्ठा कर उन्हें एसआरजी अस्पताल में नौकरी दिलाने का झांसा देते थे. इनमें से हर उम्मीदवार से 50 हजार से लेकर 2 लाख रुपए तक की रकम ली जाती थी. ये पूरा खेल नकली दस्तावेजों के जरिए खेला जा रहा थ. एक पीड़ित ने कोतवाली थाने में शिकायत दर्ज कराई थी.
उसने बताया कि दो लोगों ने उससे और तीन अन्य युवाओं से नौकरी दिलाने के नाम पर कुल 8 लाख रुपए ले लिए थे. शिकायत मिलते ही पुलिस ने रणनीति तैयार कर एक जाल बिछाया. इस जाल में फंसकर सद्दाम हुसैन उर्फ सनी पठान को एक लग्जरी कार में सफर करते समय गिरफ्तार कर लिया गया. इसके बाद रैकेट से जुड़े दूसरे मुख्य आरोपी राजेश मिश्रा को भी धर दबोचा गया.
दूसरा आरोपी एसआरजी अस्पताल में 'रक्षक प्लेसमेंट एजेंसी' चलाता था. ठगी के इस नेटवर्क का अहम हिस्सा था. जांच में सामने आया कि बेरोजगार युवाओं के मोबाइल नंबर और पूरी जानकारी वही जुटाता था और इन्हें सनी पठान को सौंप देता था. इसके बाद वो पीड़ितों से दस्तावेज और एडवांस रकम लेता था. नकली मुहरों, फर्जी हस्ताक्षरों और जाली लेटरहेड का सहारा लिया जाता.
इसके जरिए युवाओं को नियुक्ति पत्र जारी कर दिए जाते थे. इस ऑपरेशन को असली दिखाने के लिए गिरोह ने पीड़ितों के नाम एक नकली उपस्थिति रजिस्टर में दर्ज किए. उनकी 'अटेंडेंस' की तस्वीरें भी भेजीं. उनका भरोसा मजबूत करने के लिए बैंक खातों में एक महीने की 'एडवांस सैलरी' भी भेजी गई. यह रकम भी पूरी तरह ठगी के पैसों से दी गई थी. ये एक साइकोलॉजिकल ट्रिक थी.
इस तरह युवाओं भर्ती असली लगती थी. गिरोह ने ठगी के लिए इस्तेमाल किए गए कई अहम सबूत बरामद कर लिए हैं, जिनमें नकली दस्तावेज, मुहरें, मोबाइल फोन और डिजिटल एंट्री शामिल हैं. फिलहाल आरोपियों से पूछताछ जारी है. पुलिस यह भी जांच कर रही है कि क्या इस नेटवर्क में और लोग भी शामिल थे. यह गिरफ्तारी तमाम बेरोजगार युवाओं के लिए राहत की तरह है.