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कानून से बचने के लिए 'मौत का ड्रामा'... दिल्ली से फरार शातिर अपराधी गोरखपुर में ऐसे हुआ बेनकाब

दिल्ली पुलिस ने एक ऐसे अपराधी को गिरफ्तार किया है, जिसने खुद को 'मरा हुआ' साबित करके अदालत को धोखा दे दिया था. गोरखपुर में छिपा यह शातिर आरोपी तीन साल से फरार था और फर्जी डेथ सर्टिफिकेट के सहारे कानून से बचता रहा. लेकिन डिजिटल ट्रैकिंग और फेस रिकॉग्निशन तकनीक ने उसकी झूठी कहानी को पूरी तरह बेनकाब कर दिया.

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उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में तीन साल से छिपकर रह रहा था अपराधी. (Photo: X/@CrimeBranchDP)
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में तीन साल से छिपकर रह रहा था अपराधी. (Photo: X/@CrimeBranchDP)

दिल्ली पुलिस ने उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से एक 35 वर्षीय शातिर अपराधी को गिरफ्तार किया है, जिसने तीन साल पहले अदालत को यह यकीन दिला दिया था कि वो मर चुका है. आरोपी की पहचान दिल्ली के मुंगेशपुर गांव निवासी वीरेंद्र विमल के रूप में हुई है. उस पर चोरी और अवैध हथियार रखने के कई मामले दर्ज थे और वह बवाना थाने का वांछित अपराधी था.

पुलिस उपायुक्त (अपराध) आदित्य गौतम ने बताया कि विमल ने साल 2021 में अदालत द्वारा जारी गैर-जमानती वारंट से बचने के लिए अपनी मौत का नाटक रचा था. उसने दिल्ली नगर निगम का नकली मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाया, जिसमें 24 अगस्त 2021 को उसकी मृत्यु दर्ज थी. इस दस्तावेज के आधार पर उसके खिलाफ चल रही अदालती कार्यवाही रोक दी गई.

दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने जब पुराने मामलों की समीक्षा शुरू की, तो मौत के रिकॉर्ड में गंभीर विसंगतियां सामने आईं. जांच आगे बढ़ने पर यह खुलासा हुआ कि उस तारीख को इस नाम का कोई व्यक्ति मरा ही नहीं था. अदालत को गुमराह करने के लिए जाली प्रमाणपत्र का इस्तेमाल किया गया था, ताकि आरोपी हमेशा के लिए कानून की पकड़ से बच सके.

डीसीपी ने बताया कि जांच में यह साबित हो गया कि ऐसी कोई मृत्यु नहीं हुई थी. आरोपी ने अदालत को भ्रमित करने के लिए रिकॉर्ड में हेराफेरी की थी. इसके बाद पुलिस ने तकनीकी निगरानी शुरू कर दी. उसकी डिजिटल गतिविधियों को ट्रैक किया. डिजिटल ट्रेल और फील्ड सर्विलांस के जरिए उसकी लोकेशन ट्रेस कर ली गई. उसको गोरखपुर से गिरफ्तार कर लिया गया.

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उसकी पहचान की पुष्टि बायोमेट्रिक डेटाबेस और फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम से की गई. सिस्टम ने आरोपी की नई तस्वीर का मिलान पुराने पुलिस रिकॉर्ड से कर दिया, जिससे उसकी पहचान को लेकर कोई संदेह नहीं रहा. वीरेंद्र विमल एक आदतन अपराधी है. वह वर्षों से चोरी, सेंधमारी और अवैध हथियारों की तस्करी में सक्रिय था. उसके खिलाफ बवाना थाने में चार केस दर्ज हैं.

इनमें औद्योगिक इकाइयों और निजी घरों में सेंधमारी, वाहन चोरी और अवैध बंदूक रखने जैसे अपराध शामिल हैं. वो आमतौर पर रात में फैक्ट्रियों और घरों को निशाना बनाता था और चोरी के वाहनों का इस्तेमाल भागने के लिए करता था, ताकि पुलिस की पकड़ में न आए. एक मामले में उसके पास से चोरी की एसयूवी भी बरामद हुई थी, जिसके बाद उसे जेल भेजा गया था.

जेल से रिहा होने के बाद उसने दोबारा अपराध की राह पकड़ ली. वो कानून से हमेशा के लिए बचने के लिए मौत का नाटक रचता रहा और अदालत में जाली दस्तावेज पेश किए. अब उसे भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के संबंधित प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया गया है. उसे अदालत में पेश किया गया, जहां पूछताछ के लिए उसे पुलिस हिरासत में भेज दिया गया.

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