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Madhya Pradesh: 8 साल की बच्चा के साथ बलात्कार, सुधार गृह भेजा गया नाबालिग पड़ोसी

मध्य प्रदेश के भिंड में 10वीं कक्षा के एक छात्र ने अपनी आठ वर्षीय पड़ोसी बच्ची के साथ बलात्कार किया. वारदात के वक्त पीड़ित बच्ची अपने घर में अकेली थी. उसके चिल्लाने की आवाज सुनकर लोग एकत्र हुए और आरोपी को पकड़ लिया. इस घटना की सूचना मिलने पर मौके पर पहुंची पुलिस ने आरोपी को हिरासत में ले लिया है.

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 एक छात्र ने अपनी आठ वर्षीय पड़ोसी बच्ची के साथ बलात्कार किया.
एक छात्र ने अपनी आठ वर्षीय पड़ोसी बच्ची के साथ बलात्कार किया.

मध्य प्रदेश के भिंड जिले में 10वीं कक्षा के एक छात्र ने अपनी आठ वर्षीय पड़ोसी बच्ची के साथ बलात्कार किया. वारदात के वक्त पीड़ित बच्ची अपने घर में अकेली थी. उसके चिल्लाने की आवाज सुनकर लोग एकत्र हुए और आरोपी को पकड़ लिया. इस घटना की सूचना मिलने पर मौके पर पहुंची पुलिस ने आरोपी को हिरासत में ले लिया है.

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एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि गुरुवार शाम को हुई इस घटना के सिलसिले में 17 वर्षीय आरोपी को हिरासत में लिया गया. उसे किशोर न्यायालय में पेश किया गया. उन्होंने बताया कि आरोपी लड़के के खिलाफ यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है. उसे बाल सुधार गृह भेज दिया गया है.

सर्किल ऑफिसर मुकेश कुमार शाक्य ने बताया कि पीड़ित बच्ची घर पर अकेली थी. उसी समय पड़ोस में रहने वाला आरोपी उसके घर में घुस आया. उसने जबरन उसे अपनी हवस का शिकार बनाया. आरोपी कक्षा 10 का छात्र है. वह अजीबो-गरीब काम करता था. बच्ची फिलहाल ठीक है. वो इस अपने माता-पिता के साथ मौजूद है.

बताते चलें कि मध्य प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में चिंताजनक बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. पिछले महीने गृह विभाग द्वारा प्रस्तुत आंकड़े चौंकाने वाले हैं. साल 2024 में औसतन हर दिन 20 बलात्कार के मामले दर्ज किए गए. साल 2020 में 6134 बलात्कार के मामले दर्ज हुए थे, जबकि 2024 में यह आंकड़ा बढ़कर 7294 तक पहुंच गया. 

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साल 2023 में वार्षिक प्रतिवेदन में 5374 बलात्कार के मामलों की जानकारी दी गई थी, लेकिन 31 दिसंबर 2023 तक कुल 7202 मामले दर्ज किए गए. जातिगत आधार पर देखें तो अनुसूचित जाति की 1769, अनुसूचित जनजाति की 2062, पिछड़े वर्ग की 2502 और सामान्य वर्ग की 869 महिलाओं के साथ दुष्कर्म की घटनाएं दर्ज हुईं. 

सरकार द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों में यह भी उल्लेख किया गया कि आदिवासी क्षेत्रों में बलात्कार के मामलों में बढ़ोतरी हुई है. पिछले पांच वर्षों में अनुसूचित जाति में 10 फीसदी, अनुसूचित जनजाति में 26 फीसदी, पिछड़ा वर्ग में 20 फीसदी और सामान्य वर्ग में 24 फीसदी बढ़ोतरी हुई. पुलिस मुख्यालय और वार्षिक प्रतिवेदन के आंकड़ों में बड़ा अंतर देखा गया. 

पुलिस मुख्यालय के मुताबिक, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की महिलाओं से जुड़े मामलों की संख्या 3831 है, जबकि वार्षिक प्रतिवेदन में यह संख्या केवल 883 बताई गई. कांग्रेस विधायक पंकज उपाध्याय ने आरोप लगाया कि वार्षिक प्रतिवेदन में बलात्कार के मामलों के आंकड़े वास्तविक संख्या से 40 फीसदी अधिक बताए गए हैं.

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