Operation Sindoor Impact: दुनिया में हर जगह वॉन्टेड आतंकियों का सुराग या पता देने वाले को इनाम दिया जाता है. लेकिन पाकिस्तान दुनिया ऐसा इकलौता देश है, जहां आतंकियों को ही मुआवजा दिया जाता है. पाकिस्तान में हर आतंकवादी की जान कीमत है एक करोड़ रुपये. जी हां, ये बात शायद कुछ लोगों को मज़ाक लग सकती है. लेकिन ये सच है. क्योंकि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने ऑपरेशन सिंदूर में मारे गए हर आतंकी के परिवारवालों को एक करोड़ का मुआवजा देने के ऐलान किया है.
टेरर कैंप में मारे गए लोगों के लिए शोहदा पैकेज
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ के ऑफिशियल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर 13 मई की रात 12 बजकर 41 मिनट पर एक पोस्ट शेयर की गई. जिसमें पाकिस्तानी PM ने भारत के ऑपरेशन सिंदूर के तहत 9 टेरर कैंप में मारे गए लोगों के लिए एक पैकेज का एलान किया. उस पैकेज का नाम है शोहदा पैकेज. यानि शहीदों को दिया जाने वाला पैकेज. पूरा मजमून ये है-
हर आतंकी के परिवार को एक करोड़ का मुआवजा
'वजीर-ए-आजम मोहम्मद शाहबाज शरीफ की जानिब से मार्के हक के दौरान शहीद होने वालों के लिए शोहदा पैकेज का ऐलान. मार्के हक में शहीद होने वाले शहीद होने वाले पाकिस्तानी शहरियों के वरसा (रिश्तेदार) को 1 करोड़ रुपए जबकि जख्मी होने वालों को 10 लाख से 20 लाख रुपए दिए जाएंगे. पाक अफवाज (फौज) के जख्मी होने वालों को 20 लाख रुपए से 50 लाख रुपए फीकस यानि प्रति व्यक्ति दिए जाएंगे.'
फौजियों के लिए मुआवजा
पाक प्राइम मिनिस्टर के ऑफिशियल हैंडल फेसबुक पर एक दूसरा पोस्ट भी डाला गया है. इस पोस्ट में पाकिस्तानी फौज के जो लोग मारे गए उनको मुआवजा देने की बात कही गई है. उर्दू में डाले गए इस पोस्ट में लिखा है-
रैंक के हिसाब से मिलेंगे 1 करोड़ 80 लाख तक
'अफवाज-ए-पाकिस्तान (शहीद फौजियों) के लिए विरसा (रिश्तेदार) को रैंक के हिसाब से 1 करोड़ से एक करोड़ 80 लाख रुपए की रकम दी जाएगी. विरसा (रिश्तेदार) को घर की सहूलियत के लिए रैंक के हिसाब से 1 करोड़ 90 लाख रुपए से लेकर 4 करोड़ 20 लाख रुपए तक दिए जाएंगे.'
पाकिस्तानी फौज का भारी नुकसान
शाहबाज शरीफ के इस पोस्ट से इतना तो साफ हो गया कि ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तानी फौज को अच्छा खासा नुकसान पहुंचा है. कई फौजी मारे गए. एक देश के नाते पाकिस्तान मारे गए पाकिस्तानी फौजियों के रिश्तेदारों को मुआवजा दे, माली तौर पर उनकी मदद करे इसमें ना तो कोई बुराई है, ना ही किसी को कोई ऐतराज होना चाहिए. मगर इनका क्या करें.
पहली बार आतंकियों को मिलेगा मुआवजा
शायद पहली बार ऐसा दुनिया में होने जा रहा है. जब एक मुल्क आतंकवादियों की मौत पर उनके घरवालों को बाकायदा ऐलानिया मुआवजा दे रहा है. हरेक आतंकवादी की मौत की कीमत पाकिस्तान की सरकार ने एक करोड़ रुपए फिक्स किया है. अब इससे बड़ा सबूत दुनिया को और क्या चाहिए कि आतंकवादी संगठन और आतंकवादियों को लेकर पाकिस्तान की सोच क्या है. कमाल है पाकिस्तान एक तो आतंकवादियों के रिश्तेदारों को मुआवजा और ऊपर से खुल्लम खुल्ला.
आतंकवादियों में बंट रहा उधारी का पैसा
गले तक कर्ज में डूबा पाकिस्तान आईएमएफ यानि इंटरनेशनल मोनेटरी फंड, वर्ल्ड बैंक और चीन के सहारे जैसे तैसे दिन काट रहा है. अभी पिछले ही हफ्ते आईएमएफ से उसे नया कर्ज भी मिला है. पर मजाक देखिए कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जो उधारी पर देश चला रहे हैं, उसी उधार के पैसों को आतंकवादियों में बांट रहे हैं. पता नहीं आईएमएफ या वर्ल्ड बैंक की नजर पाकिस्तान के प्राइम मिनिस्टर के इस शोहदा पैकेज पर पड़ी भी है या नहीं.
ऑपरेशन सिंदूर में मारे गए करीब 100 आतंकी
भारत के दावे के मुताबिक ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान में फल फूल रहे तीन सबसे बड़े आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिज्बुल मुजाहिदीन के 9 टेरर कैंप पर 6 और 7 मई की रात हमला किया गया था. जिसमें करीब 100 आतंकवादी मारे गए. अब पाकिस्तान सरकार के ऐलान के तहत अगर हर आतंकवादी के रिश्तेदारों को बतौर शोहदा पैकेज एक करोड़ रुपए दिए जा रहे हैं तो इस हिसाब से सिर्फ आतंकवादियों के हिस्से में ही 100 करोड़ आ रहे हैं. पाक सेना का हिसाब किताब अलग है.
मसूद अजहर को मिलेगा ज्यादा फायदा
कायदे से देखें तो पाकिस्तानी सरकार के इस ऐलान से सबसे ज्यादा फायदा जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अजहर को होगा. जी हां, वही मसूद अजहर जो बहावलपुर के उसके टेरर कैंप मरकज सुभान अल्लाह पर हुए हमले के बाद एक बयान जारी किया था. जिसमें उसने कहा था कि इस हमले में उसकि परिवार के 14 लोग मारे गए. यानि सीधा सीधा हिसाब ये है कि मसूद अजहर और उसके रिश्तेदारों के पास अब 14 करोड़ आएंगे और वो भी पाकिस्तान सरकार देगी.
पाकिस्तान की दोगली नीति
हालांकि आतंकवादियों को ऐलानिया मुआवजा देने जा रही पाकिस्तान की सरकार ने इससे पहले इन्हीं आतंकवादियों के जनाजे में शामिल होकर पहले ही इनसे अपनी हमदर्दी जता दी थी. ऑपरेशन सिंदूर में मारे गए 100 आतंकवादियों को मिलने जा रहे 100 करोड़ किन किन परिवार को दिया जाएगा ये तो पता नहीं. क्योंकि हमले में मारे गए ज्यादातर आतंकियों का सच या उनकी पहचान अब तक पाकिस्तान ने आम नहीं किया है. लेकिन पांच नाम खुद भारत ने जारी कर दिए. चलिए, आपको पांचों आतंकियों के बारे में भी बताते हैं.
आतंकी मोहम्मद यूसुफ अजहर के परिवार को एक करोड़
मरकज सुभानअल्लाह पर जब हमला हुआ तब उसके अंदर मसूद अजहर का एक बड़ा और छोटा साला भी मौजूद था. ये दोनों मारे गए. इनमें सबसे अहम था जैश के चीफ मसूद अजहर का छोटा साला मोहम्मद यूसुफ अजहर. आईसी 814 कांधार हाईजैकिंग के मास्टरमाइंड में से एक. पाकिस्तानी सेना के बडे़ अफसर और फैसलाबाद के डिप्टी कमिश्नर भी जैश के इस आतंकवादी के जनाजे में शामिल हुए थे. सोचिए आतंक को लेकर पाकिस्तान की ये कैसी दोगली नीति है. जिस कांधार हाइजैकिंग का यूसूफ अजहर गुनहगार था उसकी मौत पर पाकिस्तान सरकार उसके बीवी बच्चों को एक करोड़ रुपए देने जा रही है.
आतंकी हाफिज मोहम्मद जमील के परिवार को एक करोड़
मरकज सुभानअल्लाह में मारा गया जैश का दूसरा सबसे बड़ा आतंकवादी हाफिज मोहम्मद जमील था. जमील मसूद अजहर का बड़ा साला था. जमील ही जैश के टेरर कैंप के हेडक्वाटर यानि मरकज सुभानअल्लाह का इंचार्ज था. उसका काम नए रंगरुटों को ट्रेनिंग देना और कैंप से सरहद पार भेजना था. ऑपरेशन सिंदूर में जिस सबसे बड़े टेरर कैंप को बर्बाद किया उसी मरकज सुभानअल्लाह का इंचार्ज जमील ना जाने कितने ही बेगुनाहों की मौत का जिम्मेदार था. पर वाह रे पाकिस्तान इस खूनी के नाम भी एक करोड़ रुपए.
आतंकी मोहम्मद हसन खान के परिवार को एक करोड़
मरकज सुभानअल्लाह में मारा गया जैश का तीसरा और मसूद अजहर का करीबी मोहम्मद हसन खान था. हसन खान पाक अधिकृत कश्मीर के जैश के ऑपरेशनल कमांडर मुफ्ती असगर खान कश्मीरी का बेटा था. बाप बेटे ने मिलकर इधर वाले और उधर वाले दोनों ही कश्मीर में ना जाने कितने ही बेगुनाहों के सीने छलनी किए. लेकिन क्या कहिए उस पाकिस्तान को जो एक साथ लगभग एक ही रकम यानि एक करोड़ मारे गए अपने फौजियों को भी दे रही है और बेगुनाहों को मारने वाले आतंकवादी को भी.
आतंकी अबू जुंदाल के परिवार को एक करोड़
जैश के अलावा ऑपरेशन सिंदूर में जो सबसे बड़ा आतंकवादी मारा गया, वो लश्कर के चीफ हाफिज सईद का राइट हैंड अबू जुंदाल था. साथ ही लश्कर के आतंक के हेडक्वार्टर मुरीदके में मौजूद मरकज ए तैय्यबा का इंचार्ज भी. अबू जुंदाल भारत में हुए लश्कर के अनगिनत हमलों का मास्टर माइंड था. लश्कर में इसकी क्या पोजिश थी, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इसके जनाज़े पर पाकिस्तानी आर्मी चीफ आसिम मुनीर और पंजाब की मुख्यमंत्री मरियम नवाज़ ने श्रद्धांजलि के फूल भेजे थे. हैरत इस बात पर है कि आज से नहीं बरसों से अबू जुंदाल एक घोषित आतंकवादी है. लेकिन क्या मजाल जो पाकिस्तान थोड़ा सा भी शर्म कर ले. पर नहीं उधारी के पैसे बांटने का मजा ही कुछ और है. तो लगे हाथों जुंदाल के घरवालों को भी एक करोड़ देने का फैसला कर लिया.
आतंकी खालिद उर्फ अबू अकाशा के परिवार को भी एक करोड़
ऑपरेशन सिंदूर में पांचवां जो सबसे बड़ा आतंकवादी ढेर हुआ, वो लश्कर का खालिद उर्फ अबू अकाशा था. जम्मू कश्मीर में लश्कर ने जितने भी आतंकवादी हमले किए, उनमें इसका हाथ था. खालिद तो भारत को छोड़िए पाकिस्तान को भी कई बार जख्मी कर चुका था. अफगानिस्तान से अवैध तरीके से हथियार पाकिस्तान लाने वाला ये एक बड़ा आतंकवादी था. हथियारों का वही खेप कश्मीर में आग उगलता तो कई बार तो उसी हथियार ने पाकिस्तन को भी लहू लुहान किया. लेकिन जब पाकिस्तान ठान ही चुका है कि उसे आतंकिस्तान के रास्ते पर ही जाना है तो फिर उसी रास्ते पर चल पड़े खालिद को भला क्यों छोड़ना था. तो लगे हाथ जीते जी ना सही मरने के बाद खालिद भी करोड़पति बन गया.
आतंकी मसूद अजहर की क्राइम कुंडली
हिंदुस्तान में हुए बीस से ज्यादा आतंकी हमलों का गुनहगार, सैकड़ों बेगुनाहों का क़ातिल और दुनिया के सबसे घाघ आतंकवादियों में से एक ये है मसूद अज़हर. पाकिस्तान पंजाब के बहावलपुर में एक हेडमास्टर के घर मसूद अजहर का जन्म 10 जुलाई 1968 को हुआ था. मसूद अपने ग्यारह भाई बहनों में तीसरे नंबर पर था. पढ़ने लिखने में जहीन था. जब वो आठवीं जमात में पढ़ता था तभी उसके वालिद के एक दोस्त उसे कराची के जामिया उलूम उल इस्लामिया में पढ़ाने के लिए ले गए. वहां वो ऊंची तालीम हासिल करने की जगह आतंक की किताब पढ़ने लगा. वहीं, पर मसूद हरकत उल मुजाहिदीन यानी हम के संपर्क में आया. हम वो आतंकी संगठन था, जो उस वक्त अफगानिस्तान में सक्रिय था.
80 के दशक में आतंकी बना था मसूद अजहर
1980 के दशक के आखिर तक मसूद अजहर पर आतंक का जहर चढ़ चुका था. तब तक सोवियत संघ और अफगानिस्तान का युद्ध भी चरम पर था. मसूद ने तरबियत यानी आतंकी ट्रेनिंग के लिए अफगानिस्तान का रुख किया. ट्रेनिंग लेकर वो पाकिस्तान लौट आया.
विदेशों से चंदा जुटाता था मसूद अजहर
1992 तक मसूद अजहर पाकिस्तान में ही आतंक का जहर फैलाने के लिए इतना चंदा इकट्टा करता था ताकि वो अफगानिस्तान में बैठे आतंकियों की मदद कर सके. इसी के बाद हरकत उल मुजाहिदीन का सरगना खलील उससे इतना प्रभावित हुआ कि मसूद को विदेशी दौरे पर भेजना शुरु किया. सबसे पहले मसूद हज की यात्रा पर सऊदी अरब गया और कुछ ही दिनों में वहां तीन लाख रुपये इकट्ठा कर लिए. इसके बाद वो अफ्रीकी देश जांबिया गया. वहां उसने एक महीने में ही 22 लाख रुपये जुटाए. इसके बाद वो ब्रिटेन पहुंचा. बरमिंघम, नॉटिंघम, लेसेस्टर और लंदन में आतंकी सोच वाले नौजवानो के साथ बैठक की.
आतंकी मसूद अजहर के जहर बुझे भाषण
मसूद अजहर के जहर बुझे भाषण आतंक और नफरत बढ़ाने में घी का काम कर रहे थे. जल्द ही उसके आकाओं को लग गया कि मसूद कोई साधारण आतंकवादी नहीं है बल्कि आतंक की नई खेप तैयार करने में इससे भरपूर मदद मिलेगी.
मसूद को मिली आईएसआई की मदद
अब तक अजहर अपने आतंकी आका की आंखों का नूर बन चुका था. पाकिस्तानी आतंकियों की नजर अब हिंदुस्तान पर थी. पाकिस्तानी सरकार की शह, पाकिस्तानी सेना और उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई की मदद से अब मसूद अजहर हिंदुस्तान में घुसने की साजिश रचने लगा. वो अपने असली नाम और पहचान के साथ आना नहीं चाहता था क्योंकि इसमें उसके पकड़े जाने की पूरी गुंजाइश थी.
पुर्तगाली पासपोर्ट पर भारत आया था मसूद
1994 में उसे कश्मीर में जाकर मुजाहिदीनों का हौसला बढ़ाने के लिए कहा गया. तब मसूद अजहर एक पुर्तगाली पासपोर्ट पर ढाका पहुंचा और वहां से दिल्ली. फिर दिल्ली से श्रीनगर. तब तक घाटी में आतंक की आग सुलगने लगी थी. मसूद अजहर को लग गया कि हालात ऐसे बन रहे हैं, जिसमें आतंक फैलाने का उसका मंसूबा पूरा हो सकता है. अब वो मस्जिदों का इस्तेमाल आतंक के गढ़ के रूप में करना चाहता था.
ऐसे पकड़ा गया था मसूद अजहर
घाटी में रहने के दौरान ही 1994 में एक रोज जुम्मे के दिन एक आतंकवादी सज्जाद के साथ वो जामा मस्जिद के लिए निकला. रास्ते में उसकी कार खराब हो गई. इसी के बाद दोनों ऑटो रिक्शा से जा रहे थे कि तभी सेना के जवानों ने दोनों को पकड़ लिया. सेना को लगा कि सैकड़ों गुमराह नौजवानों की तरह ये भी कोई मामूली आतंकवादी है. लेकिन ये वही मसूद अजहर था, जिसके लिए या जिसके इशारे पर कई बड़ी आतंकी वारदातों को अंजाम दिया गया. मसलन-
- उसकी रिहाई के लिए कांधार हाईजैकिंग
- सिर्फ भारत की तबाही के लिए आतंकवादी संगठन जैश-ए-मुहम्मद का गठन
- जम्मू-कश्मीर सचिवालय पर हमला
- जम्मू-कश्मीर विधान सभा पर हमला
- गांधीनगर में अक्षरधाम मंदिर पर हमला
- लोकतंत्र की दहलीज़ यानी संसद भवन पर हमला
- पठानकोट एयरबेस पर हमला
- पुलवामा में सीआरपीएफ के क़ाफ़िले पर हमला
(आज तक ब्यूरो)