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नौगाम में हुए धमाके का असली सच... आतंकवादियों का बम थाने में कैसे फटा, आखिर किसकी गलती थी?

14 नवंबर की रात नौगाम थाने में हुआ धमाका कोई आतंकी हमला नहीं, बल्कि उस बारूदी जखीरे का फटना था जो फरीदाबाद से 360 किलो अमोनियम नाइट्रेट के साथ बरामद होकर लाया गया था. जैश-ए-मोहम्मद के पोस्टर से शुरू हुई तफ्तीश का यह मोड़ इतना खतरनाक साबित होगा, इसका अंदाजा किसी को नहीं था.

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फरीदाबाद से जब्त किया गया 360 किलो अमोनियम नाइट्रेट थाने में खुले में रखा गया था. (Photo: ITG/PTI)
फरीदाबाद से जब्त किया गया 360 किलो अमोनियम नाइट्रेट थाने में खुले में रखा गया था. (Photo: ITG/PTI)

श्रीनगर का नौगाम पुलिस स्टेशन कश्मीर की सबसे घनी आबादी के बीच बसा है. 14 नवंबर की रात 11 बजकर 22 मिनट पर अचानक थाना आग के गोले में बदल गया. धमाका इतना जबरदस्त था कि नौगाम के ऊपर आसमान में आग का गुंबद उठ गया. सीसीटीवी में जो दिखाई दिया, वो किसी युद्ध फिल्म का दृश्य लगता है. कई किलोमीटर दूर तक लोग नींद से जाग उठे. आसपास की इमारतें ढह गईं. नौगाम थाने में मौजूद 9 लोग, जिनमें एक इंस्पेक्टर, सीएफएसएल के तीन एक्सपर्ट, क्राइम ब्रांच के दो फोटोग्राफर, दो रेवेन्यू अधिकारी और एक स्थानीय दर्जी मौत की मुंह में समा गए.

9 नवंबर को हरियाणा और जम्मू-कश्मीर पुलिस की संयुक्त टीम ने फरीदाबाद में जैश-ए-मोहम्मद के नए 'डॉक्टर मॉड्यूल' का पर्दाफाश किया था. यहां छापेमारी के दौरान डॉक्टर मुजम्मिल के किराए के घर से 360 किलो अमोनियम नाइट्रेट, तार, डेटोनेटर, बैटरियां और कुछ लिक्विड रसायन बरामद किए गए थे. पुलिस बारूदी जखीरे को लेकर फरीदाबाद से 800 किलोमीटर दूर नौगाम थाने पहुंची. वहां खुले अहाते मेंरख दिया गया. सीएफएसएल की टीम 14 नवंबर की शाम थाने पहुंची. उनका काम बरामद बारूद के हर पैकेट की सैंपलिंग करना था. टीम ने अपना काम शुरू कर दिया.

अमोनियम नाइट्रेट के ढेर की सैंपलिंग लगभग पूरी हो चुकी थी. अब बारी लिक्विड की थी, जिसको लेकर खास सतर्कता जरूरी थी. सीएफएसएल की टीम ने थाने के अहाते में अलग से रोशनी का इंतजाम किया. ठंड तेज थी. काम आखिरी स्टेज में था. ठीक 11:22 PM पर एक भयंकर विस्फोट हुआ. थाने की जमीन हिली, छत उड़ गई, कई इमारतें ध्वस्त हो गईं. आसपास के घरों में सो रहे लोग घायल हुए. 9 लोगों की मौत हो गई. 35 लोग जख्मी हो गए. जम्मू कश्मीर के डीजीपी नलिन प्रभात इसकी जांच के बाद कहा कि ये आतंकी हमला नहीं था, बल्कि मानवीय चूक से हुए एक दुखद हादसा था.

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Nowgam police station Blast

यह हादसा कैसे हुआ, इसकी वैज्ञानिक पड़ताल शुरू की गई. अमोनियम नाइट्रेट एक ठोस पदार्थ है, जो खाद और खदानों में इस्तेमाल होता है. ये अकेले धमाका नहीं कर सकता. इसे विस्फोटक बनाने के लिए जरूरी होते हैं, फ्यूल ऑयल, पेट्रोल, डीजल या फिर लिक्विड केमिकल एसिटोफेनोन, हाइड्रोजन पेरोक्साइड या सल्फ्यूरिक एसिड. शुरुआती जांच यही कहती है कि जिस वक्त सैंपलिंग हो रही थी, वही लिक्विड अमोनियम नाइट्रेट के बेहद करीब रखा था. क्या वह गलती से मिला? क्या वह रिस कर पहले से ही मिश्रित हो चुका था? क्या यह फॉरेंसिक टीम की नजर से बच गया?

यदि अमोनियम नाइट्रेट में सल्फ्यूरिक एसिड जैसा लिक्विड मिल जाए, तो यह TATP यानी कि ट्राइएसीटोन पेरॉक्साइड में बदल जाता है. TATP इतना संवेदनशील कि स्टैटिक इलेक्ट्रिसिटी की एक हल्की चिंगारी भी उसे आसमान उड़ा सकती है. ठंड के मौसम में बालों में कंघी से बनने वाली चिंगारी, कपड़ों के रगड़ने से बनने वाला मामूली करंट, किसी पत्थर या लोहे के गिरने से उठने वाली स्पार्क कुछ भी काफी है. विशेषज्ञों का कहना है कि लिक्विड और अमोनियम नाइट्रेट में हुई मामूली मिलावट भी बड़े धमाके का कारण बन सकती है. उसे कंटेनर में डालते समय भी स्टैटिक चार्ज पैदा हो सकता है.

ऐसे सवाल वही कि सैंपलिंग में चूक किस मोड़ पर हुई? नौगाम की घनी आबादी के बीच इतने भारी विस्फोटक को खुले में क्यों रखा गया? क्या अमोनियम नाइट्रेट और लिक्विड में पहले से कोई मिलावट थी? क्या 14 नवंबर की रात सुरक्षा मानकों का पालन नहीं हुआ? क्या टीम ने संभावित केमिकल रिएक्शन के जोखिम को कम आंका? क्या यह इंसानी लापरवाही का मामला है, जिसकी कीमत 9 लोगों ने जान देकर चुकाई? एनआईए और विस्फोटक विशेषज्ञ जांच में जुटे हैं. नौगाम थाने में जो कुछ हुआ, वह सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि लापरवाही से हुआ विस्फोट था, जिसे समझने में देर हुई है.

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Nowgam police station Blast

बताते चलें कि इस व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल का खुलासा श्रीनगर में लगे एक पोस्टर की वजह से हुआ था. 17 अक्टूबर को श्रीनगर के नौगाम इलाके में एक पोस्टर चिपका मिला. उस पर लिखा था... जैश-ए-मोहम्मद. तारीख: 17 अक्टूबर 2025. भाषा उर्दू थी, लहजा धमकी भरा. उसमें लिखा था कि नौगाम और आसपास के इलाके में जो लोग एजेंसी वालों की मदद कर रहे हैं, वे शरियत के खिलाफ काम कर रहे हैं. पोस्टर में चेतावनी थी कि ऐसे लोग बाज आ जाएं. वरना उनके खिलाफ सख्त एक्शन होगा. आखिरी बार माफी के हकदार नहीं होंगे. उस पोस्टर पर कमांडर हिफ्जुल्लाह का हस्ताक्षर था.

इसी पोस्टर ने नौगाम पुलिस को एक-एक नाम पर कार्रवाई करने के लिए मजबूर किया. जांच की पहली कार्रवाई में नौगाम के एक मुफ्ती, मौलाना मोहम्मद इरफान को गिरफ्तार किया गया. इसके बाद डॉक्टर मुजम्मिल पकड़ा गया. फिर पांच और नाम नौगाम पुलिस की गिरफ्त में आए, जिनके नाम आरिफ निसार डार, यासिर उल अशरफ, मखसूद अहमद डार, जहीर अहमद अहंगर और डॉक्टर अदील राठर हैं. इन सात में से डॉक्टर मुजम्मिल और डॉक्टर अदील को छोड़कर बाकी सभी नौगाम के स्थानीय निवासी थे. पोस्टर की एफआईआर नौगाम पुलिस स्टेशन में ही दर्ज थी. इसलिए जखीरा वहां ले जाया गया था.

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