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मेरठ के इस गांव में कोरोना का खौफ, ऑक्सीजन की किल्लत से हो रही मौतें, अस्पताल में लटका ताला

गांव के प्रधान रॉबिन सिंह ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग से हमने गुहार लगाई है कि गांव में लोगों की टेस्टिंग बढ़ाई जाए पर कोई सुनवाई नहीं हुई. जिस तरीके की कंडीशन है गांव के लोगों में भय का माहौल है.

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मेरठ के अम्हेड़ा गांव में अस्पताल की हालत
मेरठ के अम्हेड़ा गांव में अस्पताल की हालत
स्टोरी हाइलाइट्स
  • मेरठ के अम्हेड़ा गांव में कोरोना का कहर
  • ऑक्सीजन की कमी से हुई कई मौतें
  • अस्पताल में लटक रहा ताला

यूपी में भले ही कोरोना केस में कमी आई हो, लेकिन हालात अभी भी चिंताजनक बने हुए हैं. मेरठ के अम्हेड़ा गांव में कोरोना का कहर दिखाई पड़ रहा है. आजतक की टीम उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों से गांव में कोरोना के कहर की ग्राउंड रिपोर्टिंग करते हुए मेरठ के अम्हेड़ा गांव पहुंची. जहां पर पता चला है कि पिछले 10 से 12 दिनों में 6-7 लोगों की मौत हो गई. गांव के प्रधान रॉबिन सिंह के मुताबिक, स्वास्थ्य विभाग की टीमें गांव से नदारद हैं.

उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य विभाग से हमने गुहार लगाई है कि गांव में लोगों की टेस्टिंग बढ़ाई जाए पर कोई सुनवाई नहीं हुई. जिस तरीके की कंडीशन है गांव के लोगों में भय का माहौल है. गांव के प्रधान ने यह भी कहा कि लोगों को टेस्टिंग कराने के लिए प्राइवेट लैब में जाना पड़ रहा है. यहां टेस्टिंग की कोई व्यवस्था नहीं है, जिस वजह से गांव के अंदर कोरोना ट्रेसिंग करना मुश्किल हो रहा है. 

आजतक की टीम ने इस गांव के एक परिवार का हाल जाना, जिससे ये पता चला कि उसके घर के शीशपाल वर्मा की मौत सांस लेने में तकलीफ की वजह से हुई. इलाज के दौरान जब ऑक्सीजन सिलेंडर खाली हो गया तो वो दोबारा नहीं मिला. कोरोना और कोरोना जैसे लक्षण के चलते गांवों में कई परिवार उजड़ गए हैं.

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शीशपाल जो कि इस दुनिया में नहीं हैं, के घर में अभी भी कई लोग बीमार हैं. शीशपाल की मौत कुछ दिन पहले गांव में ऑक्सीजन न मिलने की वजह से हुई. घर वालों के मुताबिक, गांव के लोगों ने सिलेंडर की व्यवस्था की, लेकिन वो 4 घंटे तक ही चला. उसके बाद वह भी खत्म हो गया. दोबारा जब भरवाने के लिए गए तो वो रिफिल नहीं हो सका और ऑक्सीजन की कमी की वजह से शीशपाल की मौत हो गई. 

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परिजन कहते हैं कि गांव में बने स्वास्थ्य केन्द्र में बड़ी घास और ताला न लगा होता तो शायद एक बेटा अपने बाप को नहीं खोता. आजतक की टीम उत्तर प्रदेश के जिन गांवों में गई वहां के हर एक PHC का यही हाल देखा, जहां न तो डॉक्टर है और न ही नर्स. अगर यहां सही व्यवस्था होती तो गावों में जो लोगों की जान जा रही है शायद वो न जाती. 

मेरठ के अम्हेड़ा गांव में इस वक्त जिस तरीके से डर का माहौल है, लोग टेस्टिंग कराने से बच ही रहे हैं. उनको लगता है कि अगर पॉजिटिव रिपोर्ट आई तो अस्पताल जाना पड़ेगा. उनको भय रहता है कि अगर अस्पताल गए तो उनकी मौत हो जाएगी और यही वजह है कि गांव में आइसोलेशन के दौरान यहां मौत और ज़्यादा हो रही हैं. 

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मेरठ के सीएमओ डॉक्टर अखिलेश मोहन ने बताया कि गांव में संक्रमित मरीजों के लिए एक बड़ा अभियान चलाया गया था, जिसमें 5 तारीख से 10 तारीख तक 2,98,312 मकानों को चिन्हित कर जांच की गई. जिसमें अब तक कुल 6118 लोगों में लक्षण मिले थे. 4500 लोग बुखार से पीड़ित मिले. 1200 लोग सर्दी ज़ुकाम वाले मिले और तकरीबन 151लोगों को सांस लेने की परेशानी थी. 

इन सभी को भी दवा को किट उपलबध करा दी गई है. सीएमओ ने बताया कि 1108 टीमें 298312  घरों तक पहुंची. सभी राजस्व गांवों का सर्वे हुआ. इन लोगों का एंटीजन और आरटीपीसीआर टेस्ट किया जा रहा है.
 

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