26 साल के युवा डॉक्टर की मौत
अभिषेक भयाना दिल्ली के मौलाना आजाद इंस्टीट्यूट फॉर डेंटल साइंसेज (MAIDS) में एक जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर के रूप में काम करते थे. उनकी उम्र मात्र 26 साल थी.
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कोविड-19 के लिए उनके द्वारा कराई गई जांच दो बार निगेटिव आई थी यानी रिपोर्ट कह रही थी कि वो वायरस की चपेट में नहीं आए है, लेकिन उनके शरीर में कोरोना के लक्षण दिख रहे थे.
कोरोना से मौत नहीं मान रही दिल्ली सरकार
PMSF के अध्यक्ष हरजीत सिंह भट्टी ने अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर कहा है कि दिल्ली सरकार डॉ अभिषेक भयाना की मौत को कोरोना से मौत नहीं मान रही है, इसलिए उनके परिवार वालों को मुआवजा भी नहीं मिल रहा है. लेकिन दांतों का डॉक्टर होने की वजह से वे रोगियों के नजदीकी संपर्क में आए थे, इसके अलावा उनके शरीर के लक्षण भी कोरोना जैसे ही थे.
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डॉ भयाना के परिवार को मिले मुआवजा
हरजीत सिंह भट्टी ने कहा है कि डॉ अभिषेक भयाना को वापस तो नहीं लाया जा सकता है, लेकिन इस युवा डॉक्टर की मौत से उसके परिवार पर मुसीबतों का जो पहाड़ टूटा है, उसकी थोड़ी बहुत भरपाई जरूर की जा सकती है. इसलिए डॉ भयाना के परिवार को भी दिल्ली सरकार अपने नियमों के मुताबिक मुआवजा दे.