Coronavirus Omicron Sub Variants: देश में कोरोना का संक्रमण बढ़ता ही जा रहा है. कोरोना के बढ़ते मामलों के लिए ओमिक्रॉन और उसके सब-वैरिएंट्स को जिम्मेदार माना जा रहा है. अब तक मुंबई में ओमिक्रॉन के सब-वैरिएंट्स BA.4 और BA.5 के मामले सामने आ रहे थे, लेकिन अब दिल्ली में भी इसकी एंट्री हो चुकी है.
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, मई और 16 जून के बीच दिल्ली के कई सैम्पल में ओमिक्रॉन के सब-वैरिएंट्स BA.5 की पुष्टि हुई है. स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक, सेंट्रल और साउथ ईस्ट दिल्ली के 5% सैम्पल में BA.5 मिला है, जबकि साउथ दिल्ली के 2% सैम्पल में भी इसकी पुष्टि हुई है. हालांकि, ओमिक्रॉन का BA.2 सब-वैरिएंट अभी भी डोमिनेट बना हुआ है. BA.2 की वजह से ही देश में तीसरी लहर आई थी.
न्यूज एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए दिल्ली से कुछ सैम्पल नेशनल सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (NCDC) के पास भेजे गए थे. कुछ सैम्पल में BA.4 और BA.5 मिला है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने पिछले हफ्ते बताया था कि ओमिक्रॉन और उसके सब-वैरिएंट्स अभी भी बड़ी चुनौती बने हुए हैं. WHO के मुताबिक, दुनिया के 62 देशों में BA.4 और 58 देशों में BA.5 के मामले सामने आ चुके हैं.
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कितने खतरनाक हैं ये सब-वैरिएंट्स?
- इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) में महामारी विज्ञान और संक्रामक रोग विभाग में प्रमुख ललित कांत ने न्यूज एजेंसी को बताया कि BA.4 और BA.5 सब-वैरिएंट्स BA.2 और BA.1 से ही निकले हैं.
- उन्होंने बताया कि BA.4 और BA.5 ओमिक्रॉन से बनी इम्युनिटी को चकमा देने में सक्षम है. यानी, जो लोग ओमिक्रॉन से पहले संक्रमित हो चुके थे, वो इन सब-वैरिएंट्स की वजह से फिर से संक्रमित हो सकते हैं. उन्होंने बताया कि म्यूटेशन की वजह से संक्रामकता 10 से 15 गुना बढ़ गई है.
- ललित कांत ने बताया कि अगर ओमिक्रॉन डेल्टा के मुकाबले ज्यादा तेजी से फैल रहा है, तो ये सब-वैरिएंट्स उससे ज्यादा संक्रामक हैं. उन्होंने बताया कि साउथ अफ्रीका में जनवरी में ये सब-वैरिएंट्स फैलने शुरू हुए और मार्च-अप्रैल तक BA.4 और BA.5 ने ओमिक्रॉन के मूल स्ट्रेन को रिप्लेस कर दिया था. अमेरिका और यूरोप में भी दोनों सब-वैरिएंट्स बाकी सब-वैरिएंट्स की तुलना में ज्यादा तेजी से फैल रहे हैं.
- WHO ने बताया था कि BA.4 और BA.5 से संक्रमित होने पर गंभीर बीमारी तो नहीं हो रही है, लेकिन इसकी संक्रामकता बाकी वैरिएंट्स की तुलना में काफी ज्यादा है. इन दोनों सब-वैरिएंट्स को यूरोप और अमेरिका ने 'वैरिएंट्स ऑफ कंसर्न' घोषित कर रखा है.
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वैक्सीन का भी कोई असर नहीं
- ललित कांत ने बताया कि दुनिया के कई देशों का डेटा बतात है कि इन सब-वैरिएंट्स से संक्रमित होने पर गंभीर बीमारी नहीं हो रही है और न ही अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या बढ़ रही है. हालांकि, चिंता की बात ये है कि इन पर वैक्सीन का कोई असर नहीं हो रहा है.
- उन्होंने बताया कि कुछ मामलों में BA.5 काफी तेजी से फैल रहा है और BA.4 को भी रिप्लेस कर रहा है. वैक्सीन नहीं लेने वालों की तुलना में वैक्सीन ले चुके लोग काफी बेहतर हैं, लेकिन वैक्सीन लगने के 6-7 महीने बाद इम्युनिटी कम होने लगती है.
- बृहन्मुंबई कॉर्पोरेशन (BMC) के मुताबिक, मुंबई के 269 सैम्पल में से 268 में ओमिक्रॉन और उसके सब-वैरिएंट्स मिले हैं. इन सैम्पल में से 6 लोगों में BA.4 और 12 में BA.5 मिला है. जो लोग इन दो सब-वैरिएंट्स से संक्रमित मिले हैं, 11 ऐसे थे जो वैक्सीन की दोनों डोज ले चुके थे.