महंगाई (Inflation) के मोर्चे पर भारत की जनता को दो दिन में एक के बाद एक दो राहत भरी खबरें मिली हैं. जी हां, एक ओर जहां मंगलवार को खुदरा महंगाई (Retail Inflation) दर छह साल के निचले स्तर 3.16% पर आ गई, तो वहीं आज बुधवार को सरकार की ओर से होलसेल महंगाई दर यानी WPI के आंकड़े जारी किए गए, जो अप्रैल महीने में घटकर 0.85% पर आ गई, जबकि इससे पिछले मार्च महीने में ये 2.05 फीसदी दर्ज की गई थी.
1 % के नीचे आ गई थोक महंगाई
कॉमर्स एंड इंडस्ट्री मिनिस्ट्री की ओर से बुधवार को जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, देश में तोक महंगाई दर मार्च के 2.05 फीसदी से घटकर अप्रैल महीने में महज 0.85 फीसदी रह गई है और इसमें 1.2 फीसदी की बड़ी गिरावट दर्ज की गई है. सरकार के मुताबिक, खाद्य पदार्थों, विनिर्मित उत्पादों और ईंधन की कीमतों में कमी के चलते अप्रैल में WPI बेस्ड थोक महंगाई दर में गिरावट देखने को मिली है.
सब्जियों की कीमत तेजी से घटी
WPI Index पर नजर डालें, तो खाद्य पदार्थों पर महंगाई दर मार्च महीने के 1.57 फीसदी की तुलना में गिरकर अप्रैल में 0.86 फीसदी पर आ गई है. इसमें सब्जियों की कीमतों में आई कमी का अहम रोल रहा है. जहां अप्रैल महीने में सब्जियों की कीमतें 18.26 फीसदी घटी हैं, तो वहीं इससे पहले अप्रैल महीने में ये 15.88 फीसदी गिरी थीं. खासतौर पर प्याज पर महंगाई (Onion Inflation) अप्रैल में घटकर 0.20 फीसदी पर आ गई, जो मार्च में 26.65 फीसदी थी. इसके अलावा अप्रैल में विनिर्मित वस्तुओं पर महंगाई दर घटकर 2.62 फीसदी पर आ गई, जो कि मार्च महीने में 3.07 फीसदी थी.
खुदरा महंगाई में इतनी गिरावट
इससे पहले मंगलवार को सरकारी की ओर से अप्रैल महीने में खुदरा महंगाई दर के आंकड़े जारी किए गए थे, जो राहत भरे थे. देश में रिटेल महंगाई (CPI) घटकर अब 3.16 फीसदी (Retail Inflation In April) पर आ गई है, जो इसका छह साल का निचला स्तर है. इससे पिछले मार्च महीने में भी रिटेल महंगाई दर में गिरावट आई थी और पांच महीने के निचले स्तर 3.34% पर पहुंच गई थी. महंगाई में गिरावट का मुख्य कारण खाने-पीने की चीजों की कीमतों में कमी आना है. इस बीच ग्रामीण महंगाई दर में शहरी क्षेत्रों की खुदरा महंगाई दर की तुलना में ज्यादा गिरावट देखने को मिली है. Rural Inflation मार्च के 3.25% से गिरकर अप्रैल में 2.92% पर आ गई.
गौरतलब है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) मौद्रिक नीति तैयार करते समय प्रमुख रूप से खुदरा मुद्रास्फीति (Retail Inflation) को ध्यान में रखता है, जो अप्रैल में साल 2019 के बाद सबसे नीचे है. मुद्रास्फीति में कमी आने से रिजर्व बैंक के लिए जून की मौद्रिक नीति समीक्षा में दरों में कटौती के एक और दौर के लिए पर्याप्त गुंजाइश बढ़ गई है. अप्रैल में आरबीआई ने बेंचमार्क नीति दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती करके इसे 6 प्रतिशत कर दिया था.