साल 2021 के अंत में भले ही शेयर मार्केट (Share Market) पर महामारी का दबाव आया हो, लेकिन इससे पहले बाजार ऐतिहासिक बुल रन (Bull Run) का गवाह बना. इस बुल रन के दम पर मार्केट ने इकोनॉमी से उलट परफॉर्म किया और इन्वेस्टर्स को मालामाल बनाया. साल के दौरान घरेलू बाजारों ने ऑल-टाइम हाई लेवल (All Time High) को भी हासिल किया. इस जबरदस्त तेजी से साल 2021 में इन्वेस्टर्स की संपत्ति 72 लाख करोड़ रुपये बढ़ गई.
शेयर मार्केट ने बनाए कई इतिहास
साल के दौरान बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex) ने न सिर्फ 50 हजार अंक के स्तर को पार किया, बल्कि इसे न्यू नॉर्मल बना दिया. अक्टूबर महीने में सेंसेक्स 61,765.59 अंक के ऑल टाइम हाई पर भी पहुंचा. बीएसई सेंसेक्स के इस बुल रन से 2021 में इन्वेस्टर्स को अब तक करीब 20 फीसदी का रिटर्न मिला है, जो अन्य वैश्विक बाजारों की तुलना में काफी अधिक है.
कंपनियों के एमकैप में रिकॉर्ड तेजी
बीएसई पर लिस्टेड कंपनियों का सम्मिलिम एमकैप (MCap) अभी करीब 260 लाख करोड़ रुपये पर है. साल भर पहले 188 लाख करोड़ रुपये के आस-पास था. इस तरह इन कंपनियों के शेयरों में पैसे लगाने वाले इन्वेस्टर्स की सम्मिलित संपत्ति साल के दौरान 72 लाख करोड़ रुपये बढ़ गई.
बुल रन से रिटेल इन्वेस्टर्स ने भी बनाया माल
शेयर मार्केट के बुल रन से मुनाफा कमाने वाले इन्वेस्टर्स में खुदरा निवेशकों (Retail Investors) की अच्छी-खासी तादाद है. इसका अंदाजा डीमैट अकाउंट (Demat Account) की रिकॉर्ड तेजी से बढ़ती संख्या से लगाया जा सकता है. वित्त वर्ष 2019-20 के अंत में देश में डीमैट अकाउंट होल्डर्स की संख्या 4.09 करोड़ थी, जो ठीक एक साल बाद 5.51 करोड़ पर पहुंच गई. चालू वित्त वर्ष की बात करें तो शुरुआत के महज सात महीनों यानी अक्टूबर तक में ही इनकी संख्या बढ़कर 7.38 करोड़ हो गई.
इन कंपनियों ने जुटा लिए 1.18 लाख करोड़ फंड
कई कंपनियों ने भी इस बुल रन का फायदा उठाया. यह साल आईपीओ (IPO) के लिहाज से भी जबरदस्त रहा. अभी तक 60 से अधिक कंपनियां आईपीओ लेकर आ चुकी हैं. इन कंपनियों ने बाजार से रिकॉर्ड 1.18 लाख करोड़ रुपये का फंड जुटाया है. यह पिछले तीन साल में मिलाकर जुटाए गए फंड से भी अधिक है. कई स्टार्टअप कंपनियों ने भी आईपीओ लाकर पब्लिक मार्केट से फंड जमा किया.
साल के अंतिम दिनों में प्रेशर में बाजार
साल के अंत में बाजार कुछ दबाव में आ गया. अक्टूबर में रिकॉर्ड स्तर हासिल करने के बाद बाजार पर पहले करेक्शन का प्रेशर हावी हुआ. बाद में साल के समाप्त होने से पहले कोरोना के नए म्यूटेंट वेरिएंट ओमिक्रॉन (Omicron) ने घरेलू शेयर मार्केट को गिराया. इनके अलावा एफपीआई (FPI) की लगातार बिकवाली से भी धारणा पर असर पड़ रहा है. अक्टूबर से अब तक विदेशी इन्वेस्टर्स भारतीय बाजार से करीब 37 हजार करोड़ रुपये निकाल चुके हैं.