राजन पिछले 7-8 साल से प्राइवेट जॉब कर रहा है, अभी उसकी शादी नहीं हुई है. शादी से पहले राजन घर खरीदना चाहता है, अक्सर घर खरीदना इमोशन से जुड़ा हुआ फैसला होता है. फिलहाल राजन की मंथली सैलरी करीब 50 हजार रुपये है. अब सवाल उठता है कि इस सैलरी में राजन को घर खरीदना चाहिए या नहीं? अगर घर खरीदना है तो फिर कितने बजट का होना चाहिए? या फिर राजन को किराये पर ही रहना चाहिए?
दरअसल, अधिकतर जॉब करने वाले लोग अपने करियर में एक या दो घर ही खरीद पाते हैं, यानी अधिकतर लोग एक घर खरीद पाते हैं, जबकि कुछ लोग दो घर भी खरीद लेते हैं. लेकिन सबकुछ आमदनी के ऊपर निर्भर करता है. साथ ही आपको घर की जरूरत है या नहीं, ये भी एक पैमाना है. 50,000 रुपये सैलरी वाले घर खरीदें, या किराये पर रहें... यह फैसला लेने से पहले आर्थिक विश्लेषण सबसे जरूरी है.
वित्तीय स्थिति का आकलन
वैसे तो आज के दौर में 50 हजार मंथली सैलरी एक मध्यम आय है. देश में लाखों लोग ऐसे हैं, जिनकी सैलरी राजन से भी कम है. लेकिन क्या घर खरीदने के लिए ये सैलरी आदर्श है. क्योंकि इसी सैलरी से राजन को घर की EMI, मासिक खर्च, बचत और बाकी जरूरतों को पूरी करनी है.
सबसे पहले घर खरीदने पर कम से कम 10-20% डाउन पेमेंट की जरूरत होगी. 50 लाख के घर के लिए 5-10 लाख रुपये की जरूरत होगी. क्या राजन के पास इतनी बचत है? घर खरीदने से पहले राजन को इमरजेंसी फंड (emergency fund) पर फोकस करना चाहिए, ये कम से कम 6 महीने की सैलरी होनी चाहिए.
घर खरीदने के फायदे
घर खरीदना एक लंबी अवधि का निवेश होता है. समय के साथ घर की कीमत बढ़ती है, जिससे नेटवर्थ भी बढ़ती है. जबकि किराये पर रहने से साल-दर-साल किराये में इजाफा होता है. लेकिन घर खरीदने पर होम लोन की EMI ज्यादातर स्थिर रहती है.
घर खरीदने के नुकसान
होम लोन की EMI में राजन की सैलरी का एक बड़ा हिस्सा चला जाएगा. सामान्य नियम यह कहता है कि EMI आपकी मासिक आय का 30-40% से अधिक नहीं होनी चाहिए. 50,000 रुपये की सैलरी में 15,000-20,000 रुपये की EMI ही सही होगी. लेकिन इससे ज्यादा की EMI आर्थिक तौर पर परेशान कर सकती है. यही नहीं, अधिकतर लोग होम लोन 20 साल के लिए लेते हैं. लोन की अवधि लंबी होने पर कुल ब्याज लागत घर की कीमत से भी ज्यादा हो सकती है.
उदाहरण के लिए अगर राजन 50 लाख का घर लेता है तो कम से कम 20 फीसदी यानी 10 लाख रुपये डाउन पेमेंट करना होगा. फिर 40 लाख रुपये का लोन 8% ब्याज के हिसाब से राजन को 20 साल में करीब 48 लाख रुपये सिर्फ ब्याज देना होगा. यानी 20 साल राजन को कुल 98 लाख रुपये चुकाना होगा.
घर खरीदने की स्थिति में-
घर की कीमत: 50 लाख रुपये
डाउन पेमेंट: 10 लाख रुपये (20%)
होम लोन: 40 लाख रुपये
ब्याज दर: 8% (20 साल के लिए)
मंथली EMI: करीब 33,500 रुपये
अन्य खर्च: प्रॉपर्टी टैक्स, सोसाइटी शुल्क, रखरखाव (3,000 रुपये/महीना)
कुल मासिक खर्च: 36,500 रुपये
ऐसे में 50 हजार की सैलरी पर राजन को घर खरीदने पर मंथली 36,500 रुपये खर्च करना होगा, जो कि राजन की आय का 73-77% हिस्सा है, ये वित्तीय रूप से जोखिम भरा फैसला हो सकता है. इसलिए राजन के लिए 50 लाख का घर खरीदना बिल्कुल गलत फैसला होगा. ऐसी स्थिति में राजन को सैलरी बढ़ने का इंतजार करना चाहिए, या फिर सस्ते घर के विकल्प को चुनना चाहिए, जो कि अधिकतम 25-30 लाख रुपये का हो. यानी घर की EMI राजन की सैलरी का अधिकतम 30 से 40% हिस्सा होना चाहिए. घर की किस्त अधिकतम 15 से 18 हजार रुपये मंथली हो.
किराये पर रहने के फायदे
किराये पर रहने से नौकरी बदलने, शहर बदलने पर कोई परेशानी नहीं होती है. बेहतर जॉब विकल्प मिलने पर शहर आसानी से बदल सकते हैं, जो कि करियर से बेहतर साबित होगा. साथ ही किराये पर रहकर आप जो पैसे बचाते हैं, उसे शेयर बाजार, म्यूचुअल फंड, या अन्य उच्च रिटर्न वाले निवेशों में लगा सकते हैं. लंबे समय में यह घर खरीदने से ज्यादा रिटर्न दे सकता है.
राजन के लिए क्या फायदेमंद? घर खरीदना या किराये पर रहना
आइए, एक उदाहरण से समझते हैं... राजन की सैलरी 50 हजार रुपये है, वो वैसे शहर में रहते हैं, जहां 2 BHK फ्लैट की कीमत 40-50 लाख रुपये है, और किराया 15,000 रुपये महीना है.
किराये पर रहने से क्या समीकरण?
मासिक किराया: 15,000 रुपये
अन्य खर्च: बिजली, पानी, इंटरनेट (3,000 रुपये)
कुल मंथली खर्च: 18,000 रुपये
बचत की संभावना: 50,000- 18,000= 32,000 रुपये (इसमें से कुछ हिस्सा अन्य खर्चों में जाएगा, फिर भी राजन 15,000-20,000 रुपये बचा सकते हैं. वहीं अगर राजन किराये पर रहते हुए हर महीने 15,000 रुपये की SIP करते हैं तो फायदे में रह सकते हैं. 15 हजार मंथली SIP पर अगर सालाना 12 फीसदी रिटर्न मिलता है तो 20 साल बाद राजन को करीब 1,49,87,219 रुपये मिलेंगे. इस दौरान राजन को 36 लाख रुपये का निवेश करना होगा.
अब, अगर राजन 50 लाख रुपये का घर खरीदता है और उसकी कीमत सालाना 5% बढ़ती है तो 20 साल के बाद घर की कीमत करीब 1.33 करोड़ रुपये हो जाती है. जबकि किराये पर रहते हुए SIP से 20 साल के बाद करीब 1.50 करोड़ रुपये मिलेंगे. यानी किराये पर रहने में फायदा है. लेकिन संपत्ति की नजरिये से देखें तो 20 साल में घर के लिए कुल EMI और डाउन पेमेंट के तौर कुल 98 लाख रुपये चुकाने होंगे.
(नोट: राजन को इस सैलरी में 20 से 30 लाख रुपये तक का घर खरीदना चाहिए. अगर घर महंगा मिल रहा है तो फिर आमदनी बढ़ाने पर फोकस करना चाहिए और इस दौरान को किराये पर रहकर ज्यादा से ज्यादा सेविंग करें.)