देश की राजधानी दिल्ली में पेट्रोल 75 रुपये लीटर हो गया है और डीजल 66.04 रुपये लीटर बिकने लगा है. पेट्रोल का दाम करीब एक साल के ऊंचे स्तर पर चला गया है. इससे पहले दिल्ली में 24 नवंबर 2018 को पेट्रोल 75.25 रुपये प्रति लीटर था.
कितनी हुई बढ़त
गौरतलब है कि पेट्रोल के दाम में सोमवार को दिल्ली, कोलकाता, मुंबई और चेन्नई में पांच पैसे प्रति लीटर की वृद्धि हुई और डीजल की कीमत दिल्ली, कोलकाता और मुंबई में 10 पैसे जबकि चेन्नई में 11 पैसे प्रति लीटर बढ़ गई.
इंडियन ऑयल की वेबसाइट के अनुसार, दिल्ली, कोलकता, मुंबई और चेन्नई में पेट्रोल का दाम बढ़कर क्रमश: 75 रुपये, 77.67 रुपये, 80.65 रुपये और 77.97 रुपये प्रति लीटर हो गया है.
चारों महानगरों में डीजल की कीमत भी बढ़कर क्रमश: 66.04 रुपये, 68.45 रुपये, 69.27 रुपये और 69.81 रुपये प्रति लीटर हो गई है.
क्यों बढ़े दाम
न्यूज एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक, कच्चे तेल के दाम में बीते दिनों आई तेजी के बाद पेट्रोल और डीजल के दाम में वृद्धि का सिलसिला फिर शुरू हो गया है. तेल मार्केटिंग कंपनियों ने लगातार दो दिनों में पेट्रोल का दाम दिल्ली, मुंबई और चेन्नई में 14 पैसे जबकि कोलकाता में 13 पैसे प्रति लीटर बढ़ा दिया है.
वहीं, डीजल में लगातार तीन दिनों में दिल्ली और कोलकाता में 26 पैसे, मुंबई में 27 पैसे जबकि चेन्नई में 28 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई है.
उधर, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में पिछले सप्ताह आई तेजी के बाद फिर नरमी का रुख बना हुआ है. इंटरकांटिनेंटल एक्सचेंज पर बेंचमार्क कच्चा तेल ब्रेंट क्रूड के फरवरी अनुबंध में सोमवार को बीते सत्र से 0.34 फीसदी की गिरावट के साथ 64.17 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार चल रहा था.
वहीं, न्यूयॉर्क मर्केंटाइल एक्सचेंज पर अमेरिकी लाइट क्रूड वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट के जनवरी डिलीवरी अनुबंध में 0.52 फीसदी की गिरावट के साथ 58.89 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार चल रहा था.
आगे और दाम बढ़ने की आशंका
आने वाले दिनों में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में इजाफा हो सकता है. दरअसल, तेल उत्पादकों के मंच ओपेक (OPEC) के सदस्य देशों ने कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती का फैसला लिया है. यही वजह है कि पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ने की आशंका है.
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की खबर के मुताबिक OPEC के सदस्य देशों और रूस जैसे उनके अन्य मित्र उत्पादक देशों के बीच कच्चे तेल के रोजाना उत्पादन में 5 लाख बैरल की अतिरिक्त कमी करने की सहमति बनी है. यह समझौता नए साल यानी 1 जनवरी से लागू होगा.