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UP RERA की 21 नए प्रोजेक्ट्स को मंज़ूरी, NCR से गोरखपुर तक बनेंगे सस्ते घर

UP RERA द्वारा इन 21 प्रोजेक्ट्स को दी गई मंज़ूरी न केवल रियल एस्टेट सेक्टर में तेज़ी लाएगी, बल्कि होम बायर्स के लिए एक सुरक्षित और भरोसेमंद माहौल भी बनाएगी.

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यूपी के छोटे शहरों में भी बनेंगे नए घर (Photo-ITG)
यूपी के छोटे शहरों में भी बनेंगे नए घर (Photo-ITG)

उत्तर प्रदेश रेरा (UP RERA) ने 7,035 करोड़ रुपये के 21 नए प्रोजेक्ट्स को हरी झंडी दे दी है. इसका मतलब है कि पूरे राज्य में 10,866 नए घर और कमर्शियल यूनिट्स बनने का रास्ता साफ हो गया है. यूपी रेरा के चेयरमैन संजय भूसरेड्डी की अध्यक्षता में शनिवार को हुई 184वीं मीटिंग में इन प्रोजेक्ट्स को मंजूरी मिली.

यूपी में रियल एस्टेट सेक्टर तेजी से आगे बढ़ रहा है. लगभग ₹7,035 करोड़ के निवेश से होने वाले ये कंस्ट्रक्शन अलग-अलग इनकम ग्रुप के लोगों के लिए घर की ज़रूरतें पूरी करेंगे और राज्य के लिए बड़े पैमाने पर रोज़गार और आर्थिक मौके भी पैदा करेंगे. इससे न केवल घरों की उपलब्धता बढ़ेगी, बल्कि रियल एस्टेट सेक्टर में विश्वास और पारदर्शिता का एक नया दौर शुरू होगा.

सस्ते घर भी मिलेंगे

RERA-पंजीकृत परियोजनाओं में निवेश करना होम बायर्स के लिए कई मायनों में सुरक्षित और फायदेमंद होता है. इन 21 नए प्रोजेक्ट्स से खरीदारों को भी कई फायदे होंगे. RERA के तहत, बिल्डरों के लिए पूरी जानकारी सार्वजनिक करना अनिवार्य होता है. नए प्रोजेक्ट्स की मंज़ूरी का मतलब है कि खरीदारों को अब प्लॉट का टाइटल, स्वीकृत ले-आउट प्लान, सरकारी स्वीकृतियां, और प्रोजेक्ट का रजिस्ट्रेशन नंबर जैसी सभी ज़रूरी जानकारी UP RERA की वेबसाइट पर उपलब्ध होगी.

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वहीं बिल्डर अब कोई भी झूठा या बढ़ा-चढ़ाकर विज्ञापन नहीं दे पाएंगे, क्योंकि उन्हें केवल वही जानकारी देनी होगी जो RERA के पास पंजीकृत है. इससे खरीदार सोच-समझकर सही फैसला ले पाएंगे.

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वित्तीय सुरक्षा और जवाबदेही की गारंटी

रियल एस्टेट सेक्टर में फंड के दुरुपयोग की शिकायतें आम थीं, लेकिन RERA इसे खत्म करता है. बिल्डर को खरीदारों से प्राप्त कुल राशि का 70% एक अलग एस्क्रो बैंक खाते में जमा करना होगा, इस पैसे का उपयोग केवल उसी प्रोजेक्ट के निर्माण और भूमि लागत के लिए किया जा सकता है. यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि आपके पैसे का इस्तेमाल किसी और प्रोजेक्ट में नहीं किया जाएगा, जिससे वित्तीय सुरक्षा मजबूत होती है.

अब प्रॉपर्टी की बिक्री केवल कारपेट एरिया (इकाई के भीतर का वास्तविक उपयोग योग्य क्षेत्र) के आधार पर होगी, न कि सुपर बिल्ट-अप एरिया पर. इससे खरीदारों को अपने घर का सही साइज़ पता चलता है और उन्हें अनावश्यक क्षेत्र के लिए अधिक भुगतान नहीं करना पड़ता.

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समय पर कब्ज़ा मिलने की गारंटी

नए प्रोजेक्ट्स को RERA के तहत एक निर्धारित समय-सीमा में पूरा करना जरूरी होगा. अगर बिल्डर तय समय पर पजेशन देने में विफल रहता है, तो उसे खरीदार को निवेश की गई राशि पर ब्याज के साथ रिफंड देना होगा, या पजेशन में देरी की अवधि के लिए ब्याज का भुगतान करना होगा. यह डर बिल्डरों को प्रोजेक्ट्स को समय पर पूरा करने के लिए प्रेरित करता है, जिससे खरीदारों का वर्षों लंबा इंतज़ार खत्म होता है.

11,000 नई इकाइयों के आने से बाजार में आवासीय और वाणिज्यिक विकल्पों की कमी दूर होगी. ये प्रोजेक्ट्स गौतम बुद्ध नगर, गाज़ियाबाद, लखनऊ, वाराणसी, मथुरा, आगरा, बरेली, रामपुर, बाराबंकी और गोरखपुर जैसे कई शहरों में फैले हुए हैं, जिससे क्षेत्रीय मांग पूरी होगी. UP RERA ने यह भी सुनिश्चित किया है कि इन नए प्रोजेक्ट्स में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए भी एक हिस्सा आरक्षित हो, जिससे सस्ती आवास की उपलब्धता बढ़ेगी.

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पजेशन मिलने के बाद 5 साल तक यदि निर्माण में कोई संरचनात्मक खराबी आती है, तो डेवलपर को उसे निशुल्क ठीक करना होगा. RERA एक सरल और प्रभावी शिकायत निवारण तंत्र प्रदान करता है, जिससे खरीदारों को लंबे कानूनी विवादों में नहीं उलझना पड़ता.
 

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