मुंबई में प्रॉपर्टी कीमतें अब दुबई से भी 20 फीसदी ज्यादा हो गई हैं, लेकिन भारतीय खरीदार इससे विचलित नहीं हुए हैं. Wisdom Hatch के अक्षत श्रीवास्तव ने बताया कि मुंबई का बढ़ता हुआ प्रॉपर्टी मार्केट वैश्विक तर्क को क्यों चुनौती देता है और बुनियादी ढांचे की समस्याओं के बावजूद खरीदारों को आकर्षित करता रहता है.
अक्षत श्रीवास्तव कहते हैं- “मुंबई का रियल एस्टेट बढ़ता जा रहा है, क्योंकि भारतीय किसी भी कीमत पर खरीदने को तैयार हैं.” उन्होंने कहा कि भारत का प्रॉपर्टी मार्केट भावनाओं और स्थानीय मांग से प्रेरित है. भले ही दुबई बेहतर मूल्य दे, यहां लोग उसी में निवेश करना पसंद करते हैं जिसे वे समझते हैं.'
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उनकी ये टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब भारतीय रियल एस्टेट क्षेत्र COVID के बाद तेजी से आगे बढ़ रहा. नवीनतम 1 फाइनेंस हाउसिंग टोटल रिटर्न इंडेक्स (TRI) के अनुसार, भारत के शीर्ष शहरों में घरों की कीमतें औसतन 48% बढ़ गई हैं. यह इंडेक्स, जो RERA-पंजीकृत लेनदेन आंकड़ों पर आधारित है, दर्शाता है कि आवास बाजार महामारी के बाद से मजबूत रूप से उबर आया है.
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मुंबई भारत का सबसे महंगा रियल एस्टेट बनकर उभरा है, जिसकी औसत कीमतें ₹26,975 प्रति वर्ग फुट तक पहुंच गई हैं. एक आंकड़ा जो न केवल अन्य भारतीय शहरों को बल्कि दुबई जैसे अंतरराष्ट्रीय केंद्रों को भी पीछे छोड़ देता है.
शहर की लगातार बुनियादी ढांचे की समस्याओं के बावजूद, प्रॉपर्टी की कीमतें बढ़ रही हैं. श्रीवास्तव इसका कारण सांस्कृतिक मनोविज्ञान और अनौपचारिक वित्तीय प्रथाओं का मिश्रण बताते हैं. वो कहते हैं- 'यह खरीदारों के लिए सुविधा बढ़ाता है, क्योंकि वे उस काले धन का इस्तेमाल कर सकते हैं. बहुत सारे खरीदार हैं जो किसी भी कीमत पर खरीदने को तैयार हैं”.
उन्होंने कहा कि जहां दुबई जैसे प्रॉपर्टी मार्केट पारदर्शी हैं और वैश्विक खरीदारों को आकर्षित करते हैं, वहीं मुंबई का हाउसिंग मार्केट स्थानीय मांग और गहरे विश्वास पर फलता-फूलता है. एक भारतीय सबसे ज्यादा भारत में ही प्रॉपर्टी खरीदना चाहता है. रियल एस्टेट बहुत हद तक स्थानीय है.
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