नोएडा के सेक्टर-150 में ATS Le Grandiose 2 के फ्लैट बायर्स दावा कर रहे हैं कि पैसे देने के बाद भी उनके साथ धोखा हुआ और पजेशन की डेडलाइन बीतने के बाद भी उन्हें घर नहीं दिया जा रहा है. लोगों का आरोप है जिस जगह पर 24 मंजिला इमारत बननी थी, वहां अभी स्ट्रक्चर तक नहीं बना है. उन्हें लग्जरी घर देने का वादा किया था. लेकिन उस प्रोजेक्ट को डंपयार्ड की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है. दूसरी ओर ATS का इस मुद्दे पर कहना है कि वो खुद फ्लैट बनाकर जल्द पजेशन देना चाहते हैं, लेकिन मामला NCLT में है तो उनके हाथ में ज्यादा कुछ रह नहीं जाता.
क्या कहते हैं घर खरीदार?
73 साल के सतीश वाधवा रिटायर हो चुके हैं, कभी उनकी अपनी फैक्ट्री हुआ करती थी, लेकिन कोविड ने सब कुछ खत्म कर दिया, फैक्ट्री बंद हो गई, जो पैसे थे उसको लगाकर उन्होंने ATS Le Grandiose 2 में सवा करोड़ का फ्लैट बुक किया था. फैक्ट्री बंद हुई तो यही सोचा घर मिलेगा तो जिंदगी आराम से कट जाएगी, लेकिन उनका ये सपना टूट चुका है, वो आज इस उम्र में अपनी बेटी के साथ रह रहे हैं क्योंकि उनका अपना घर है नहीं है और किराया देने के लिए आमदनी कोई जरिया भी नहीं है.
सतीश बताते हैं कि एटीएस अच्छा ब्रांड था, इसलिए महंगा होते हुए भी फ्लैट खरीदा. मैं आज 73 साल का हो चुका हूं, मेरे हार्ट का दो बार ऑपरेशन भी हो चुका है, मुझे अब उम्मीद नहीं है कि इस जिंदगी में अपना घर मिलेगा. वो कहते हैं- मैं मजबूरी में अपनी बेटी के घर रह रहा हूं जो हमारे भारतीय संस्कारों में अच्छा नहीं माना जाता है.
60 साल की संदेश अरोड़ा स्कूल में टीचर रह चुकी हैं, अपने पीएफ का सारा पैसा इस फ्लैट को बुक करने में लगा दिया था. 2023 में घर मिलना था, लेकिन 2025 तक उनके प्रोजेक्ट पर काम तक शुरू नहीं हुआ है. संदेश कहती हैं- 2016 में घर बुक कराया था, यही सोचा था कि रिटायर होने के बाद अपने घर में रहेंगे, लेकिन आज किराए के घर में रहना पड़ रहा है. घर की किस्तें भरने के लिए आज भी काम कर रही हूं. हमारी सुनवाई करने वाला कोई नहीं है.
NCLT में है प्रोजेक्ट
एक और बायर मनीष कहते हैं- 2018 में इस साइट पर थोड़ा थोड़ा काम चल रहा था. यहां पर गड्ढ़े खुदे थे और जब बारिश होती थी तो वो भर जाता था. 2020 के बाद यहां पर काम बंद हो गया, हम लोग बिल्डर से लगातार शिकायत करते थे, कि काम क्यों नहीं हो रहा है. इस प्रोजेक्ट को दो बिल्डर मिलकर बना रहे थे, लेकिन उनके बीच कुछ विवाद हुआ. 2024 में ये प्रोजेक्ट NCLT में चला गया. मनीष आगे बताते हैं NCLT में जाने के बाद अभी हम लोगों को सिर्फ डेट मिल रही है. पिछले डेढ़ साल से यही चल रहा है.
मनीष कहते हैं इस प्रोजेक्ट में कोई भी फ्लैट सवा करोड़ से कम का नहीं है, हम सब बायर्स के 100 करोड़ से ज्यादा रुपए आखिर कहां गए. हम लोगों के घर की जगह पर ये कचरे का ढेर क्यों है. एक और घर खरीदार अक्षय बताते हैं- हमने अपना पुश्तैनी मकान बेचकर ये फ्लैट बुक कराया था. हमें जून 2023 में घर मिलना था, लेकिन आज हम 40 डिग्री के तापमान में वीकेंड पर मजबूरी में यहां खड़े हैं. हम लोगों को लगता है कि हमने अपने घर के लिए पैसा देकर कोई गुनाह कर दिया है. हम लोगों की हालत बेहद खराब है हमें समझ नहीं आ रहा है कि हमारा क्या होगा.
ये सिर्फ दो चार लोगों की कहानी नहीं है, ऐसे कई घर खरीदार हैं जिनका दावा है कि उन्होंने सालों पहले फ्लैट बुक किया था, लेकिन उन्हें घर मिलना तो दूर अभी तक प्रोजेक्ट पर काम तक नहीं शुरू हुआ है.
बिल्डर की सफाई
आजतक डिजिटल ने इस बारे में एटीएस का भी पक्ष लिया. उनका कहना था कि- हमने पहले ही प्रोजेक्ट के फेज 1 में 800 से अधिक यूनिट का पजेशन दिया है. फेज 2 का काम हमारे फाइनेंशियल पार्टनर ASK द्वारा धन रोकने के कारण प्रभावित हुआ. इस रुकावट के कारण ASK ने इन्सॉल्वेंसी और बैंकरप्सी (IBC) के तहत कार्यवाही शुरू की. उन्होंने अपने ऋण पर 28% रिटर्न का दावा कर लेनदारों की समिति (COC) में प्रमुख वोटिंग हिस्सेदारी हासिल की. जिस वजह से प्रोजेक्ट के दोनों चरणों को राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (NCLT) ने स्वीकार कर लिया.
एनसीएलटी ने सभी हितधारकों, विशेष रूप से घर खरीदारों के हितों की रक्षा के लिए एक Interim Resolution Professional (IRP) नियुक्त किया. बाहरी पक्षों से बोली आमंत्रित करने और समाधान आवेदकों के साथ बातचीत करने के बावजूद, COC को कोई संतोषजनक प्रस्ताव नहीं मिला, जो ऋणदाताओं और होमबायर्स के हितों को ध्यान में रखता हो. बाहरी पक्षों से कोई समाधान योजना प्राप्त न होने पर, ATS ने IRP और माननीय सुप्रीम कोर्ट को एक समाधान योजना पेश की. एक ऐसा दृष्टिकोण जो ATS को IRP और माननीय NCLT की सख्त निगरानी और वित्तीय Oversight के तहत परियोजना को पूरा करने और बैठे हुए ऋणदाताओं के ऋण चुकाने की अनुमति देता.
ASK ने COC (Committee of Creditors) और सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तावित समाधान योजना का विरोध किया. यह योजना खरीदारों के हित में और व्यावहारिक थी, लेकिन ASK, जो समिति में सबसे ज्यादा वोटिंग हिस्सेदारी रखता है, उसने इसे मंजूर नहीं किया. इसके अलावा, ASK ने IRP को चरण 2 के निर्माण कार्य शुरू करने की अनुमति भी नहीं दी, भले ही खरीदारों ने इस योजना में हिस्सा लेने की इच्छा दिखाई थी. इस फैसले की वजह से फेज 2 का काम रुक गया.
एटीएस का कहना है कि सर्वोच्च न्यायालय हमें विनियमित और पारदर्शी तरीके से प्रोजेक्ट को पूरा करने की अनुमति दे. हम Le Grandiose के घर खरीदारों के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं और फेज 2 को फिर से शुरू करने और पूरा करने के लिए हर संभव मार्ग का पता लगाना जारी रखेंगे. प्रोजेक्ट के अंदर पर्याप्त बिना बिके स्टॉक हैं, हमें विश्वास है कि इसके पूरा होने के लिए धन में ये मदद कर सकता है. हम ईमानदारी से उम्मीद करते हैं कि सभी हितधारक, जिसमें एएसके भी शामिल है, एक रचनात्मक रास्ता आगे बढ़ाने के लिए मिलकर काम करेंगे. यह सभी के हित में है और सबसे महत्वपूर्ण घर खरीदारों के हित में है कि यह प्रोजेक्ट समय पर और गुणवत्ता के साथ पूरा हो.