अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Reciprocal Tariff of Donald Trump) का रेसिप्रोकल टैरिफ 9 अप्रैल से लागू होने वाला है. इससे पहले अमेरिका में जमकर खरीदारी हो रही है. अमेरिकी लोग कीमतों में उछाल से पहले जूते से लेकर कार तक जरूरती चीजों की खूब खरीदारी कर रहे हैं.
जरूरती चीजों को खरीदने की हड़बड़ी पूरे देश में फैल रही है, क्योंकि अभी मौजूदा कीमतों पर आम जनता से लेकर दुकानदार तक चीजों को स्टोर करना चाहते हैं. ताकि बाद में, जब टैरिफ लागू हो जाएगा तो इसे महंगे दामों पर बेच सके या फिर खरीदने की जरूरत ना पड़े.
सबसे ज्यादा क्या बिक रहा है?
रिपोर्ट्स के अनुसार, "कारोबार के मैदान को समतल करने" के लिए डिजाइन किए गए नए टैरिफ (US Tariff) से व्यवसायों के लिए इनपुट लागत बढ़ने, लाभ मार्जिन को कम करने और उपभोक्ता कीमतों में वृद्धि होने की उम्मीद है. सबसे ज्यादा खरीदारी ऑटोमोटिव सेक्टर (Automotive Sector) में हो रही है. यूएस में लोग जमकर कार और कमर्शियल वाहन (Cars & Commercial Vehicle Sale in US) खरीद रहे हैं.
इलेक्ट्रॉनिक्स की भी भारी डिमांड
अमेरिकी सबसे ज्यादा उन कारों को खरीद रहे हैं, जो अमेरिका से बाहर बनाई गई हैं. इसके बाद, Laptop, स्मार्टफोन और टैबलेट जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स चीजों की खूब डिमांड है. इनमें से कई प्रोडक्ट्स में विदेशों से आयात होने वाले प्रोडक्ट्स शामिल हैं. खासतौर पर चीन वाले प्रोडक्ट्स (China Products) ज्यादा खरीदे जा रहे हैं, जिनकी कीमत टैरिफ के ऐलान के बाद ज्यादा बढ़ने की संभावना है.
डायपर से कॉफी तक जमकर हो रही सेल
रेफ्रिजरेटर और डिशवॉशर समेत घरेलू प्रोडक्ट्स भी इसी तरह जल्दबाजी में खरीदे जा रहे हैं, क्योंकि खुदरा विक्रेताओं ने कीमतों में बढ़ोतरी की चेतावनी दी है. कंज्यूमर, बच्चों के यूज के प्रोडक्ट्स जैसे डायपर और खिलौनों पर भी फोकस हैं. नए बनने वाले समानों और घर निर्माण के लिए यूज होने वाले समान भी महंगे हो रहे हैं, क्योंकि इन चीजों को भी लोग खूब खरीद रहे हैं.
इसके अलावा, कॉफी और मसालों समेत दूसरे देशों से आने वाले फूड प्रोडक्ट्स की भी भारी डिमांड है. अमेरिका के शहरी और कुछ अन्य मार्केट में पहले से कीमतों में इजाफा किया जा रहा है.
इन कारों की ज्यादा डिमांड
कार मार्केट में खास तौर पर इलेक्ट्रिक वाहनों और आयातित कारों के लिए गतिविधियां बढ़ रही हैं, जिन पर टैरिफ का काफी असर पड़ रहा है. ऑटोमेकर और डीलरशिप ने बताया कि कंज्यूमर्स की दिलचस्पी बढ़ी है, क्योंकि वे टैरिफ से पहले सौदे को अंतिम रूप देने की कोशिश कर रहे हैं. इसी तरह, फर्नीचर की खरीद में भी उछाल आया है, आयातित सामग्रियों पर निर्भरता के कारण सोफा और बेड जैसी वस्तुओं के महंगे होने का खतरा है.
जूते और कपड़ों की भी खूब डिमांड
जूते और कपड़े के खुदरा विक्रेता भी उच्च लागत के लिए तैयार हैं, जिससे उपभोक्ता मूल्य समायोजन से पहले जींस, खेल के कपड़े और जूते खरीद रहे हैं. इसके अलावा, फिटनेस और वेलनेस चीजों तक की खरीदारी हो रही है. इसमें ट्रेडमिल और मसाज चेयर शामिल हैं.
ब्लेंडर और टोस्टर जैसे छोटे रसोई पोडक्ट्स भी हाई डिमांड में हैं, क्योंकि वे अक्सर या तो सीधे आयात किए जाते हैं या उनमें विदेशी भाग होते हैं, जिससे वे टैरिफ प्रभावों के प्रति संवेदनशील होते हैं. खरीदार इन रोजमर्रा की आवश्यक वस्तुओं पर टैरिफ के वित्तीय बोझ डालने से पहले मौजूदा कीमतों का लाभ उठाने के लिए उत्सुक हैं.
ग्लोबल मंदी का बढ़ रहा खतरा
शुक्रवार को ट्रंप की हालिया टैरिफ घोषणा के जवाब में अंतर्राष्ट्रीय सरकारों ने कार्रवाई शुरू कर दी है, जिससे वैश्विक मंदी की संभावना के बारे में निवेशकों के लिए चिंता और बढ़ गई है. जेपी मॉर्गन ने अपने पूर्वानुमान को संशोधित किया है. अब अनुमान लगाया है कि वर्ष के अंत तक वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी आने की संभावना 60% है, जो पिछले अनुमान 40% से अधिक है.
चीन के वित्त मंत्रालय ने 10 अप्रैल से सभी अमेरिकी वस्तुओं पर अतिरिक्त 34% टैरिफ (China Tariff) लागू करने की योजना की घोषणा की है. इसके अलावा, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और इटली के पीएम ने इस बात पर चर्चा की है कि ट्रंप के टैरिफ उपायों से कैसे निपटा जाए.