कंगाल पाकिस्तान ने इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) के सामने जितनी रकम नाक रगड़कर मांगी थी, उससे तो कई गुना ज्यादा भारत को 'गिफ्ट' में मिलने जा रहा है. अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि भारत को RBI की ओर से एक बड़ा अमाउंट डिविडेंड के तौर पर मिल सकता है. यह पैसा टैक्स रेवेन्यू में आई कमी को पूरा करने में यूज किया जा सकता है. साथ ही आपतकालीन स्थिति में ये पैसा इस्तेमाल हो सकता है.
पाकिस्तान को IMF से अभी हाल ही में 1.4 अरब डॉलर यानी 12 हजार करोड़ भारतीय रुपये का नया लोन मिला है. सिर्फ इतने ही पैसे के लिए उसने पूरी दुनिया में अपनी बेइज्जती करवाई है और अब उसपर भिखारी का टैग भी लग चुका है. पूरे IMF प्रोग्राम के तहत पाकिस्तान को 7 अरब डॉलर का लोन मिला है, जबकि नए किस्त के साथ पाकिस्तान को अबतक करीब 2.1 अरब डॉलर मिल चुके हैं.
भारत को कितना मिलने वाला है डिविडेंड?
कोटक महिंद्रा बैंक का अनुमान है कि RBI सरकार को 3.5 ट्रिलियन रुपये यानी 3.5 लाख करोड़ रुपये (46.7 अरब डॉलर) तक का ट्रांसफर कर सकता है. आईडीएफसी फर्स्ट बैंक का अनुमान है कि यह डिविडेंड मार्च में समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष के लिए लगभग 3 लाख करोड़ रुपये हो सकता है. पिछले साल आरबीआई ने सरकार को 2.1 लाख करोड़ रुपये दिए थे.
आरबीआई के पास कहां से आता है ये पैसा?
रिजर्व बैंक सरप्लस इनकम से सरकार को डिविडेंड देती है. ये पैसा RBI निवेश और डॉलर को रखने के बाद वैल्यूएशन में हुई बढ़ोतरी से कमाती है. इसके साथ ही करेंसी प्रिंट करने पर मिलने वाली फीस भी इसमें शामिल होती है. इसके बाद जब रिजर्व बैंक को मुनाफा होता है तो वह उसका कुछ हिस्सा सरकार को देता है. यानी रिजर्व बैंक के ज्यादा मुनाफे की वजह से सरकार को फायदा होता है.
सरकार इस पैसे का क्या करेगी?
RBI की ओर से दी गई इस रकम को सरकार अपना वित्तीय घाटा कम करने में यूज करेगी. वित्तीय घाटा यानी सरकारी की कमाई और खर्च के बीच का अंतर. सरकार के खर्च करने से बैंकों के पास भी ज्यादा पैसा आएगा.
RBI की कमाई के सोर्स