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India-Pak Tension: फिर कटोरा लेकर चीन के सामने गिड़गिड़ाने लगा पाकिस्तान, मांग रहा 10 अरब युआन

Pakistan Requests China: भारत और पाकिस्तान के बीच 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद से तनाव बढ़ गया है और भारत की ओर से पाक की कमर तोड़ने के लिए कड़े फैसले लिए गए हैं. इस बीच Pak ने चीन से मौजूदा स्वैप लाइन को 10 अरब युआन बढ़ाने की गुहार लगाई है.

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पाकिस्तान ने फिर मांगी चीन से मदद
पाकिस्तान ने फिर मांगी चीन से मदद

पहलगाम आतंकी हमले (Pahalgam Terror Attack) के बाद बढ़े भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव (India-Pakistan Tension) का असर पड़ोसी मुल्क में साफ दिखने लगा है. एक बार फिर पाकिस्तान ने अपने मित्र देशो के आगे हाथ फैलाना शुरू कर दिया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, Pakistan ने चीन से अपनी मौजूदा स्वैप लाइन को 10 अरब युआन तक बढ़ाने की अपील की है. आतंकी हमले के बाद भारत के एक्शन के बाद पाकिस्तान फिर से इस तरह गिड़गिड़ाता हुआ नजर आ रहा है. 

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वित्त मंत्री औरंगजेब ने किया खुलासा   
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के वित्त मंत्री (Pakistan Finance Minister) मुहम्मद औरंगजेब ने एक इंटरव्यू के दौरान ये खुलासा किया है और उन्होंने कहा है कि पाकिस्तान ने चीन से अपनी मौजूदा स्वैप लाइन को 10 अरब युआन तक बढ़ाने का आग्रह किया है. अमेरिका के वॉशिंगटन में दिए गए इस इंटरव्यू के दौरान वित्त मंत्री ने ये भी कहा कि हम साल 2025 के अंत से पहले पांडा बांड (Panda Bond) लांच करेंगे.

अभी इतनी है स्वैप लाइन
औरंगजेब के मुताबिक, पाकिस्तान के पास पहले से ही 30 अरब युआन की स्वैप लाइन मौजूद है और इस अनुरोध का उद्देश्य इसे 40 अरब युआन तक बढ़ाना है. उन्होंने कहा कि इमें 10 अरब युआन (करीब 1.4 अरब डॉलर या 11,951 करोड़ रुपये) का इजाफा एक अच्छी स्थिति होगी. पाकिस्तानी करेंसी रुपया में ये रकम 39,333 करोड़ पीकेआर के आस-पास बैठती है. यहां बता दें कि तमाम देशों के केंद्रीय बैंकों के बीच अपनी करेंसियों की अदला-बदली करने के लिए किए गए करार को स्वैप लाइन (Swap Line) कहा जाता है. चीन का केंद्रीय बैंक (Chinese Central Bank) अर्जेंटीना और श्रीलंका जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं के साथ मुद्रा स्वैप लाइनों को बढ़ावा दे रहा है.

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करेंसी स्वैप लाइन (Currency Swap Line) दो देशों के केंद्रीय बैंकों के बीच एक ऐसा एग्रीमेंट होता है, जिसमें समें वे अपनी मुद्राओं का विनिमय करते हैं ताकि एक-दूसरे को विदेशी मुद्रा तरलता उपलब्ध कराई जा सके. यह फाइनेंशियल क्राइसेस या तनाव की स्थिति में उपयोगी साबित होती है. मतलब आपात स्थिति में जब बाजार दबाव में होते हैं, तो ये एग्रीमेंट उन्हें स्थिर करने में मददगार होता है, इससे बैंकों को आश्वस्त किया जाता है कि किसी विशेष मुद्रा पर कोई दबाव नहीं होगा. स्वैप लाइन बड़ी मात्रा में नकदी उपलब्ध रखती हैं.

चीनी करेंसी युआन

 

'साल के अंत कर पांडा वॉन्ड लॉन्च...'
अपनी स्वैप लाइन में इजाफे की गुहार लगाने के साथ ही पाकिस्तान के वित्त मंत्री औरंगजेब ने उम्मीद जताते हुए कहा है कि Pakistan साल के अंत से पहले पांडा बॉन्ड (Panda Bond) लॉन्च करेगा. उन्होंने बताया कि हम अपने ऋण आधार में विविधता लाना चाहते हैं और हमने इस दिशा में कुछ अच्छी प्रगति की है. बता दें कि पांडा बॉन्ड चीनी रेनमिनबी (RMB) में अंकित बॉन्ड होते हैं, जिन्हें चीन के घरेलू बॉन्ड मार्केट में विदेशी संस्थाओं द्वारा जारी किया जाता है. इन संस्थाओं में विदेशी कंपनियां, सरकारें या वित्तीय संस्थान शामिल हो सकते हैं.

साफ शब्दों में कहें तो पांडा बॉन्ड चीन में विदेशी संस्थाओं की ओर से युआन में कर्ज हासिल करने का जरिया हैं. इसे 'Panda' नाम इसलिए दिया गया है, क्योंकि पांडा चीन का राष्ट्रीय प्रतीक है. यह बॉन्ड जारी कर विदेशी कंपनियों को चीन के पूंजी बाजार से धन जुटाने का मौका मिलता है.

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पहलगाम हमले पर ये रुख 
इस इंटरव्यू के दौरान जब Pakistan FM से पहलगाम आतंकी हमले (Pahalgam Terror Attack) में पर्यटकों की हत्या किए जाने और इसके बाद भारत के साथ तनाव से आर्थिक नतीजों के बारे में पूछा गया, तो औरंगजेब ने कहा कि इस हमले के बाद भारत ने कश्मीर में आतंकवाद को वित्तपोषित करने और प्रोत्साहित करने का पाकिस्तान पर आरोप लगाया है, यह एक ऐसा क्षेत्र है जिस पर दोनों देश अपना दावा करते हैं और जिसके लिए दोनों देशों के बीच दो युद्ध भी हो चुके हैं.

उन्होंने कहा कि इस पहलगाम घटना के बाद दोनों देशों की ओर से कदम उठाए गए, जिसमें पाकिस्तान ने भारतीय एयरलाइनों के लिए अपना एयरस्पेस बंद कर दिया और व्यापार संबंधों को निलंबित किया है, तो भारत ने 1960 की सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) को सस्पेंड करने के साथ ही अटारी बॉर्डर क्लोज किया है. उन्होंने कहा कि पिछले कुछ कूटनीतिक तनावों के कारण दोनों देशों के बीच व्यापार पहले ही कम होकर पिछले वर्ष सिर्फ 1.2 अरब डॉलर का रह गया था.

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