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आज जमशेदजी को दुनिया कर रही है याद, जानिए कैसे हुई थी Tata कंपनी की शुरुआत... ये था पहला कारोबार

Tata Group के फाउंडर जमशेदजी टाटा (Jamsetji Tata) की आज पुण्यतिथि है. भारतीय उद्योग जगत में ‘भीष्म पितामह’ के तौर पर पहचाने जाने वाले जमशेदजी ने अपने जीवनकाल में भारत को नई पहचान देने वाले कई बड़े काम किए, आज टाटा की दुनियाभर में धाक है.

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टाटा ग्रुप के फाउंडर जमशेदजी टाटा की आज पुण्यतिथि
टाटा ग्रुप के फाउंडर जमशेदजी टाटा की आज पुण्यतिथि

Tata Group की आज पूरी दुनिया में धाक है, फिर बात चाहे घर की रसोई में इस्तेमाल होने वाले नमक की हो या फिर हवाई जहाज में यात्रा करने की, Tata का नाम हर तरफ अपनी मौजूदगी दर्ज कराता है. टाटा ग्रुप के संस्थापक जमशेदजी टाटा (Jamsetji Tata) की आज पुण्यतिथि है, जिन्होंने इस समूह की नींव रखी. लेकिन क्या आप जानते हैं कि जमशेदजी का पहला कारोबार क्या था? जी हां, उन्होंने कई तरह के कारोबारों में हाथ आजमाया था, आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से... 

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1868 में जमशेदजी लाए पहला वेंचर
टाटा ग्रुप के फाउंडर जमशेदजी टाटा का जन्म 3 मार्च 1839 को गुजरात के नवसारी में हुआ था और उनका निधन 19 मई 1904 को जर्मनी में हुआ था. Jamsetji Tata पारसी परिवार से थे, जो लंबे समय से पुजारी का काम करता था, लेकिन उनका सपना कुछ और ही था. दरअसल, जमशेदजी के पिता नुसेरवानजी टाटा (Nusserwanji Tata) अपने परिवार में पहले ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने बिजनेस में हाथ आजमाया था. जमशेदजी टाटा ने 14 साल की उम्र में अपने पिता के साथ मुंबई (तब के बंबई) में हाथ बंटाना शुरू कर दिया और वहीं ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई भी पूरी की. ग्रेजुएट होने के करीब 10 साल बाद 1868 में उन्होंने अपना पहला वेंचर स्टार्ट किया था. 

21000 रुपये से की थी शुरुआत
जमशेदजी टाटा ने उस समय 21,000 रुपये के निवेश से सबसे पहले एक ट्रेडिंग कंपनी की शुरुआत की थी. फिर उन्होंने इंग्लैंड की राह पकड़ी और वहां से कपड़ा व्यापार (Tata Textile Business) की बारीकी समझकर वापस भारत लौट आए. इसके बाद जमशेदजी ने 1869 में कपड़े के बिजनेस में हाथ आजमाया. उन्होंने बंबई के इंडस्ट्रियल हब चिंचपोकली में एक दिवालिया हो चुकी तेल मिल को खरीदा और इसका नाम बदलकर एलेक्जेंड्रा मिल (Alexandra Mill) मिल रख दिया. इस मिल को उन्होंने एक कॉटन मिल में बदला और दो साल बाद ही एक अच्छे प्रॉफिट के साथ इसे एक स्थानीय व्यापारी को बेच दिया.

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जमशेदजी टाटा

ये वो समय था, जबकि Mumbai (तब बंबई) कपड़ा मिलों की सबसे पसंदीदा जगह बन चुकी थी, लेकिन जमशेदजी टाटा ने अपने प्रॉफिट को और बढ़ाने के लिए दूरदर्शी सोच अपनाई. उन्होंने  1.5 लाख रुपये के निवेश से 1874 में महाराष्ट्र के नागपुर (Nagpur) में सेंट्रल इंडिया स्पिनिंग, वीविंग और मैन्युफैक्चरिंग कंपनी शुरू कर दी. नागपुर को चुनने के पीछे वजह इसका कपास उत्पादक क्षेत्र से पास होना, रेलवे जंक्शन तक आसान पहुंच और पानी व ईंधन की अच्छी आपूर्ति थी. उन्होंने कपड़े के सस्ते एक्सपोर्ट के लिए 1873 में एक शिपिंग कंपनी भी शुरू की और इसके लिए लंदन से Annie Barrow नाम के एक जहाज को 1,050 पाउंड प्रति महीने के किराये पर लिया था. लेकिन, Tata Line के नाम से शुरू की गई ये कंपनी ज्यादा लंबे समय तक नहीं चल पाई. 

सिल्क उद्योग पर जमशेदजी की नजर 
Jamshetji Tata ने देश में सिल्क उद्योग को बढ़ावा देने के लिए भी काम किया. 1893 में वे जापान की यात्रा पर गए और वहां वैज्ञानिक तरीके से रेशम कीट पालन के प्रोसेस को समझा. इसके बाद जब वह भारत लौटे, तो उन्होंने तब के मैसूर स्टेट में इस कारोबार को फैलाया. इसके लिए उन्होंने वहां आवयश्यक जमीन खरीदी और सब्सडाइज तरीके से रेशम कीट का पालन शुरू किया.

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जमशेदजी टाटा

देश को पहली बार ये चीजें Tata ने दीं
इसके बाद Tata का नाम और कारोबार लगातार बढ़ता चला गया. जमशेदजी टाटा द्वारा शुरू किए गए इस समूह ने देश का वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने में अहम भूमिका निभाई. टाटा की वेबसाइट के मुताबिक, Tata Group ने देश को पहली बड़ी स्टील कंपनी (Tata Steel), पहला लग्जरी होटल (Taj Hotel) के साथ ही पहली देसी कंज्यूमर गुड्स कंपनी दी. 

यही नहीं भारत की पहली एविएशन कंपनी टाटा एयरलाइंस की शुरुआत भी इसी ग्रुप द्वारा की गई थी, जो बाद में Air India हो गई. समूह की टाटा मोटर्स पहले रेलवे इंजन बनाया करती थी और देश की पहली एसयूवी Tata Sierra भी इसी ने बनाई थी. जमशेदजी टाटा के इन कामों के चलते ही हुरुन ने भी अपनी एक रिपोर्ट में उन्हें बीते 100 साल में सबसे बड़ा परोपकारी व्यक्ति बताया था. 

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