ग्लोबल ट्रेड टेंशन के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) चीन के साथ अच्छी डील कर सकते हैं. उन्होंने इसके संकेत दिए हैं. वह हर देश से मिलना चाहते हैं. ट्रंप ने कहा कि वह मेक्सिको से लेकर जापान और अब इटली तक हर देश से मिलने के लिए उत्सुक हैं. वहीं चीन के वाणिज्य मंत्रालय के तरफ से भी बयान आया है कि वह अमेरिका से बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन ये टैरिफ की धमकी बंद करनी होगी और समानता के आधार पर बातचीत करनी होगी.
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 17 अप्रैल को कहा कि उन्हें व्यापार समझौतों (Trade Deal) को अंतिम रूप देने की कोई जल्दी नहीं है. उन्होंने इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी के साथ बैठक की. इटली के प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी के साथ बैठक में ट्रंप ने विश्वास जताया कि यूरोपीय संघ के साथ समझौता करना आसान होगा.
हर देश से मिलना चाहते हैं ट्रंप
प्रशासन के अधिकारियों द्वारा वर्तमान 90-दिवसीय टैरिफ विराम के दौरान 90 व्यापार सौदों (Trade Tariff after 90 Days) को अंतिम रूप देने की संभावना व्यक्त किए जाने के बावजूद,ट्रंप ने कहा कि ऐसे सौदे 'एक निश्चित बिंदु पर' होंगे. इसे लेकर कोई जल्दी नहीं है और वे हर देश से मिलना चाहते हैं, ताकि बेहतर डील हो सके.
चीन के साथ बढ़ रहा तनाव
इस बीच, चीन के साथ तनाव और बढ़ गया क्योंकि बीजिंग ने घोषणा की कि वह व्यापार युद्ध (Trade War) से 'नहीं डरता' और 'समानता, सम्मान और पारस्परिक लाभ' के आधार पर बातचीत करने को कहा है. चीन के विदेश मंत्रालय का यह बयान ट्रंप द्वारा बीजिंग से बातचीत पर लौटने के जवाब में आया है.
चीन पर 245 फीसदी टैरिफ
व्हाइट हाउस के तथ्य पत्र के अनुसार, चीनी आयातों पर अब 245 प्रतिशत तक टैरिफ लगेगा, जिसमें हाल ही में लगाया गया 125 प्रतिशत रेसिप्रोकल टैरिफ, फेंटेनाइल संकट से जुड़ा 20 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क और अमेरिका द्वारा अनुचित व्यापार प्रथाओं का मुकाबला करने के लिए 7.5 से 100 प्रतिशत तक के अन्य उपाय शामिल हैं.
75 देश टैरिफ पर कर रहे चर्चा
व्हाइट हाउस के अनुसार, 75 देशों ने टैरिफ को कम करने के लिए चर्चा शुरू कर दी है, चीन ने अभी तक फिर से बातचीत शुरू नहीं की है. ट्रंप ने टैरिफ को अमेरिकी उद्योग और राष्ट्रीय सुरक्षा की सेफ्टी के लिए खास बताया और भारत समेत अन्य व्यापारिक डीलर्स पर भी इसी तरह के उपाय लागू करने की अपनी मंशा दोहराई. जैसे-जैसे अन्य जगहों पर बातचीत आगे बढ़ रही है, चीन के साथ गतिरोध दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच लंबे समय तक गतिरोध का संकेत देता है.