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'असंभव नहीं क्रूड का 120 डॉलर के पार पहुंचना...', US का ईरान पर हमला बाजार के लिए भी खतरे की घंटी

US Air Strike On Iran: इजरायल और ईरान की जंग में अमेरिका के कूदने के बाद पहले से दबाव में कारोबार कर रहे शेयर बाजारों (Stock Markets) के लिए बड़ा जोखिम खड़ा हो गया है और इसका असर सोमवार को देखने को मिल सकता है.

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अमेरिका के ईरान पर हमले का बाजार से क्रूड ऑयल प्राइस तक दिखेगा असर!
अमेरिका के ईरान पर हमले का बाजार से क्रूड ऑयल प्राइस तक दिखेगा असर!

इजरायल-ईरान के बीच जंग (Israel-Iran War) में अमेरिका की एंट्री ने ग्लोबल टेंशन में बड़ा इजाफा कर दिया है और US Air Strike ने व्यापक संघर्ष की आशंकाओं में और इजाफा किया है. इसका बड़ा असर कल सप्ताह के पहले कारोबारी दिन शेयर बाजार (Stock Market) खुलने पर दिखाई देने की संभावना है, तो क्रूड की पहले से बढ़ रही कीमतों (Crude Oil Price) में भी तगड़ा उछाल आ सकता है. पहले से ही दोनों देशों की जंग बढ़ने के चलते अमेरिका से लेकर एशिया तक के बाजार दबाव में नजर आ रहे थे. इस बीच सुरक्षित निवेश का ठिकाना माने जाने वाले सोने की कीमतें (Gold Rate) बढ़ने की भी आशंका गहरा गई है. 

US की एंट्री से जंग बढ़ने का खतरा
Israel-Iran War के बीच जारी जंग में अमेरिका ने इस जंग में कूदते हुए ईरान की तीन परमाणु साइट्स- फोर्डो, नतांज और इस्फहान- पर एयर स्ट्राइक की है. रिपोर्ट्स की मानें, तो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने तेहरान को बातचीत की मेज पर वापस लाने के लिए इस तरह दबाव की रणनीति के रूप में हमले की रूपरेखा तैयार की और इन्हें अंजाम दिया गया है. इसके बाद से मिडिल ईस्ट चिंतित है और अमेरिकी सेना संभावित ईरानी जवाबी कार्रवाई के लिए हाई अलर्ट पर हैं. इससे जंग और बढ़ने की आशंकाओं को बल मिला है और ये तनाव कम होता नजर नहीं आ रहा है.  

120 डॉलर को पार कर सकता है क्रूड 
अमेरिकी हमले के बाद ईरान रुकता नजर नहीं आया और उसने इजरायल पर अटैक तेज किए हैं. इस जंग से सबसे बड़ा खतरा क्रूड ऑयल की कीमतों में बढ़ोतरी के रूप में देखने को मिल रहा है, जो तमाम देशों में महंगाई बढ़ाने वाली साबित हो सकती हैं. जी हां, बीते सप्ताह के दौरान ब्रेंट क्रूड वायदा में लगभग 18% की तेजी आई और Brent Crude Price 79 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंचा, हालांकि फिर ये गिरकर 77 डॉलर के आसपास कारोबार कर रहा है. वहीं वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI Crude Oil) 75 डॉलर के आस-पास ट्रेड कर रहा है. 

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इस बीच शिपिंग बीमा कंपनियों ने सबसे जरूरी तेल मार्ग होर्मुज जलडमरूमध्य (Strait Of Hormuz) को हाई रिस्क वाला क्षेत्र घोषित कर दिया है, जिससे टैंकर दरें दोगुनी हो गईं और कुछ जहाजों को अपना मार्ग बदलने पर मजबूर होना पड़ा है. बिजनेस टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, सैक्सो मार्केट्स के एक एनर्जी स्ट्रेटजिस्ट ने कहा है, 'तेल पर रिस्क प्रीमियम वापस आ गया है, अगर स्ट्रेट ऑफ होर्मुज में बाधा आती है, तो कच्चे तेल की कीमतें 120 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंचने से इनकार नहीं किया जा सकता है. जेपी मॉर्गन, सिटी और ड्यूश बैंक की ओर से भी आउटलुक जारी कर कहा गया है कि स्ट्रेट के पूरी तरह क्लोज बंद होने क्रूड ऑयल का दाम 120-130 डॉलर प्रति बैरल तक बढ़ सकता है, या कीमतें इससे भी अधिक हो सकती हैं.

जंग बढ़ने से शेयर बाजारों में उठा-पटक 
Israel-Iran War बढ़ने की आशंका से पहले ही दबाव में दिख रहे दुनियाभर के शेयर बाजारों में अमेरिकी एयर स्ट्राइक के बाद बड़ा भूचाल आने की संभावना भी गहरा गई है. तेल की कीमतों में लगातार आ रहे उछाल के चलते महंगाई बढ़ने के खतरे के चलते बीते शुक्रवार को S&P 500 और Nasdaq में गिरावट दर्ज की गई थी. जंग के हालात में निवेशक भी सुरक्षित ठिकानों की ओर भागते नजर आ रहे हैं, जिससे US Dollar और सोने की कीमतों (Gold Rate) में तेजी आई. निवेशकों द्वारा अपनी पोजीशन बंद करने से बाजार और अस्थिर हो गया है. हालांकि, भारतीय शेयर बाजार की बात करें, तो बीते सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन ये धुआंधार तेजी के साथ बंद हुआ था. BSE Sensex 1046 अंक (1.29%) चढ़कर 82,408.17 पर क्लोज हुआ था, तो वहीं NSE Nifty 319.15 अंक (1.29%) की उछाल के साथ 25,112.40 पर बंद हुआ था. 

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एक्सपर्ट बोले- 'चाकू की धार पर बाजार' 
सोमवार को शेयर बाजारों के खुलने पर इजरायल-ईरान जंग में अमेरिका की एंट्री का बड़ा असर देखने को मिल सकता है. मार्केट एनालिस्ट्स भी चेतावनी दे रहे हैं कि अगर ईरान जवाबी कार्रवाई करता है या नए हमले होते हैं तो फिर बाजार बिखर सकता है. एक पोर्टफोलियो मैनेजर ने तो यहां तक कह दिया है कि इक्विटी मार्केट इस समय चाकू की धार पर हैं. बाजार ही नहीं, बल्कि ये जंग और भी बड़ी मुसीबतों का सबब बन सकती है, क्योंकि तेल की ऊंची कीमतें केंद्रीय बैंकों की ब्याज दरों में कटौती की योजना (Rate Cut Plan) को पटरी से उतार सकती हैं और वैश्विक मुद्रास्फीति में इजाफा कर सकती हैं.

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