वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को वित्त वर्ष 2021-22 का आम बजट पेश किया. उन्होंने बजट पेश करते हुए संकट से जूझ रही अर्थव्यवस्था को उबारने, देश में विनिर्माण गतिविधियों को प्रोत्साहित करने और कृषि उत्पादों के बाजार की मजबूती के उपायों का ऐलान किया. उन्होंने कहा कि इस साल विनिवेश का लक्ष्य 1.75 लाख करोड़ रुपये का है. बजट में आत्मनिर्भर बनाने की पहल की गई है. लेकिन इस बजट को मिडिल क्लास के लिए बोझ बताया गया.
इस बजट का बड़ा फोकस है जान भी और जहान भी. सरकार ने स्वास्थ्य बजट को पिछले साल के मुकाबले 137 प्रतिशत बढ़ा दिया है. 64,180 करोड़ रुपये के बजट के साथ प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना शुरू होगी. ये बजट नई बीमारियों के इलाज के लिए भी होगा. इसी के साथ कोरोना वैक्सीन पर 2021-22 में 35,000 करोड़ खर्च किए जाएंगे. जरूरत पड़ी तो और ज्यादा फंड दिया जाएगा. देश के हेल्थ सेक्टर के लिए ये आर्थिक वैक्सीन है.
वित्त मंत्री के ऑत्मनिर्भर टैबलेट से राहत की खेप भी डाउनलोड हुई है. सोने-चांदी के आयात शुल्क में 5 फीसदी की भारी कटौती की गई है. इसके साथ ही स्टील का सामान, लोहा, नायलॉन के कपड़े, तांबे का सामान, और चमड़े से बना सामान भी ड्यूटी कम होने की वजह से सस्ता हुआ है. सरकार ने विदेश से आने वाले मोबाइल और उससे जुड़े उपकरणों पर इंपोर्ट ड्यूटी 2.5% तक बढ़ा दी है. कुछ ऑटो पार्ट्स पर 7.5% इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाकर इसे 15% कर दिया है. ड्यूटी बढ़ने से कई सामान महंगे हो जाएंगे. जैसे मोबाइल फोन, मोबाइल फोन चार्जर, एसी-फ्रिज, वायर, केबल, LED बल्ब, इम्पोर्टेड कपड़े, लेदर प्रोडक्ट, ऑटो पाटर्स, कॉटन, रॉ सिल्क, प्लास्टिक प्रोडक्ट्स, सोलर इन्वर्टर, सोलर से उपकरण, महंगे हो जाएंगे.
आम आदमी पर तेल की कीमतों के इस जबरदस्त दबाव के बीच वित्त मंत्री ने बजट में पेट्रोल-डीजल पर कृषि सेस लगाने का ऐलान किया. डीजल पर चार रुपये और पेट्रोल पर ढाई रुपये का सेस लगाया गया है, लेकिन राहत की बात ये है कि बढ़े सेस का ग्राहकों पर असर नहीं दिखेगा बल्कि तेल कंपनियों को इसका बोझ उठाना पड़ेगा. भले ही टैक्स के झोल में सरकार ने सेस और एक्साइज की अदला बदली करके आम आदमी को इसके सीधे असर से बचाने का दावा किया है. लेकिन सच्चाई यही है कि पेट्रोल-डीज़ल देश में कहीं 100 के पार है तो बाकी जगह अब तक के उच्चतम स्तर पर है. इसकी इकलौती वजह टैक्स का चाबुक है.