Bihar Political Crisis: बिहार में सियासी बदलाव को लेकर हलचल तेज है. नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने आज अपने नेताओं की बैठक बुलाई है. सूत्रों के मुताबिक इस मीटिंग में विधायक दल की बैठक बुलाने पर फैसला लिया जा सकता है. BJP का केंद्रीय नेतृत्व नीतीश कुमार को 2025 तक सीएम बनाए रखना चाहता है जिसके कई कारण भी हैं.
बिहार बीजेपी ने आज लोकसभा चुनाव को लेकर एक मीटिंग बुलाई है. बिहार बीजेपी की कार्यसमिति की बैठक आज शाम चार बजे पटना ऑफिस में होगी. इसमें सभी सांसदों और विधायकों को भी बुलाया गया है. बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव और बिहार के प्रभारी विनोद तावड़े भी इस बैठक में मौजूद रहेंगे.
बीजेपी क्यों नीतीश को सीएम बनाए रखना चाहती है?
इस बैठक में बीजेपी लोकसभा चुनाव की तैयारियों के साथ-साथ बिहार के मौजूदा राजनीतिक हालात पर भी चर्चा करेगी. बीजेपी ने राज्य में लोकसभा चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव कराने के विचार को खारिज कर दिया है जिसके पीछे कई वजहें हैं.
बीजेपी का मानना है कि लोकसभा चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव होने से लालू-तेजस्वी जैसे अन्य फैक्टर हावी हो जाएंगे जिसका पार्टी को नुकसान हो सकता है. विधानसभा चुनाव साथ में कराने पर नीतीश कुमार की एंटी इंकमबेंसी भी नुकसान कर सकती है.
वहीं दूसरी तरफ ये भी कहा जा रहा हैं कि नीतीश कुमार के साथ दोबारा हाथ मिलाने की संभावना पर कई बीजेपी कार्यकर्ता नाखुश हैं. वे लोकसभा चुनाव में मोदी को जिताने के लिए तो काम कर सकते हैं लेकिन विधानसभा चुनाव में नीतीश के लिए शायद ही काम करें.
इसलिए बीजेपी नीतीश कुमार को 2025 के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव तक मुख्यमंत्री बनाए रखने के लिए सहमत है. विधानसभा भंग कर लोकसभा के साथ ही विधानसभा चुनाव कराने के विचार को इसी वजह से खारिज कर दिया गया.
बीजेपी को 2025 के चुनाव में भी फायदे की उम्मीद
बीजेपी लोकसभा चुनाव के दौरान पिछड़े वर्ग के लिए किए अपने काम पर जोर देगी. बीजेपी नेताओं को कहा जाएगा कि वे जेडीयू से दोबारा गठबंधन को लेकर बयानबाजी न करें. बीजेपी ने कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देकर और अन्य मुद्दों को लेकर अति पिछड़ों के बीच अपना वोट बैंक मजूबत किया है. बीजेपी इसी को आगे बढ़ाएगी.
पार्टी नेताओं का मानना है कि उन्होंने लव-कुश समीकरणों को भी साधा है. उपेंद्र कुशवाहा और नीतीश कुमार के साथ आने से इसको मजबूती मिलेगी और 2025 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी गठबंधन को ज़बरदस्त फ़ायदा मिलेगा. बिहार की राजनीति में कुर्मी और कोइरी जाति के गठबंधन को लव-कुश समीकरण के रूप में जाना जाता है. ये दोनों जातियां, राज्य की आबादी का लगभग 8 फीसदी हिस्सा हैं.
नीतीश कुमार ने कब-कब लिया यूटर्न
नीतीश कुमार ने साल 1994 में जनता दल से अलग होकर समता पार्टी बनाई. इसके बाद 30 अक्टूबर 2003 को जनता दल यूनाइटेड का गठन किया और 2005 के चुनाव में बीजेपी से गठबंधन किया. साल 2013 में बीजेपी से गठबंधन तोड़ लिया.
इसके बाद नीतीश कुमार ने साल 2015 में आरजेडी और कांग्रेस के साथ गठबंधन कर लिया. फिर साल 2017 में नीतीश आरजेडी को छोड़कर एक बार फिर बीजेपी के साथ आए गए.
चार साल बाद नीतीश कुमार ने साल 2022 में एक बार फिर बीजेपी का साथ छोड़ दिया और आरजेडी से हाथ मिला लिया. अब फिर डेढ़ साल बाद नीतीश के आरेजडी को छोड़कर बीजेपी के साथ गठबंधन करने की अटकलें हैं.