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तेजस्वी को डबल झटका! चुनाव हारे, 6 महीने में भाई-बहन का भी छूटा साथ, निशाने पर 'जयचंद' संजय

बिहार चुनाव में करारी हार के बाद और लालू परिवार में कलह तेज होती जा रही है. रोहिणी आचार्य ने परिवार और राजनीति से दूरी का ऐलान करते हुए तेजस्वी के सबसे करीबी संजय यादव पर तीखा हमला बोला है. तेज प्रताप पहले ही संजय को परिवार में दरार की वजह बता चुके हैं. छह महीनों में भाई-बहन दोनों तेजस्वी से अलग हो गए, जिससे आरजेडी में परिवार और नेतृत्व को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं.

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लालू परिवार में फूट की वजह बने संजय यादव (Photo: ITG)
लालू परिवार में फूट की वजह बने संजय यादव (Photo: ITG)

'मेरा कोई परिवार नहीं है, अब जाकर ये संजय, रमीज और तेजस्वी यादव से पूछिए, वही लोग हमको निकाला है परिवार से...' बिहार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) की करारी हार का असर अब पार्टी के साथ ही लालू परिवार में नजर नजर आने लगा है.

लालू यादव की बेटी और तेजस्वी यादव की बहन रोहिणी आचार्य ने पहले सोशल मीडिया पर खुद को लालू यादव परिवार और राजनीति से अलग करने का ऐलान कर दिया और फिर एयरपोर्ट पर परिवार से अलग होने वाले और चप्पल उठाए जाने वाला बयान देकर पटना के सियासी गलियारों में हड़कंप मचा दिया. 

निशाने पर क्यों आए संजय यादव

रोहिणी यादव ने भी मुख्य तौर पर इन सब के लिए तेजस्वी के सबसे करीबी संजय यादव को ही जिम्मेदार ठहराया और उनसे रोहिणी की अदावत चुनाव से पहले शुरू हो गई थी. लालू के सबसे बड़े बेटे तेज प्रताप को भी चुनाव से ठीक पहले लालू यादव ने पार्टी और परिवार से बाहर निकाल दिया था जिसके लिए तेज प्रताप ने संजय यादव को जिम्मेदार ठहराया था.

लालू परिवार में कलह को लेकर आरजेडी से निकाले जाने के बाद तेज प्रताप यादव हर मौके पर हरियाणा के रहने वाले संजय यादव को आरजेडी का जयचंद बताते हैं और खुले मंचों से भी उनके लिए इस शब्द का इस्तेमाल करते हैं.

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संजय

अब रोहिणी आचार्य के बयान के बाद संजय यादव को लेकर कई सवाल उठने लगे हैं. कहा जा रहा है कि संजय यादव ही वो शख्स हैं जिसकी वजह से तेजस्वी यादव का बीते 6 महीने में अपने बड़े भाई तेज प्रताप यादव और अब रोहिणी आचार्य का साथ भी छूट गया.

6 महीने में छूटा भाई-बहन का साथ

ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आखिर संजय यादव कौन हैं और लालू परिवार में उनका क्या महत्व है जिस वजह से पारिवारिक लड़ाई शुरू हो गई है. तेजस्वी यादव अपने ही भाई-बहन से दूर हो गए हैं. दरअसल संजय यादव तेजस्वी के सबसे भरोसेमंद राजनीतिक और रणनीतिक सलाहकार हैं और वो साल 2013 से ही तेजस्वी की राजनीति और रणनीति को तय करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं.

हरियाणा के महेंद्रगढ़ के रहने वाले संजय कंप्यूटर साइंस में मास्टर्स हैं और डेटा एनालिटिक्स और मैनेजमेंट में बेहद दक्ष माने जाते हैं. उनके काम को देखते हुए ही लालू और तेजस्वी यादव ने उन्हें आरजेडी की तरफ से राज्यसभा का सदस्य भी बनाया है.

25 मई को क्या हुआ था ?

दावा किया जाता है कि बात चाहे आरजेडी के फैसलों की हो या परिवार में किसी मुद्दे की, तेजस्वी के करीबी होने की वजह से संजय यादव हर जगह दखल देते हैं जो लालू परिवार के अन्य सदस्यों को नागवार गुजरता है.

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इसी साल मई के महीने में जब तेज प्रताप यादव ने सोशल मीडिया पर एक लड़की के साथ अपनी तस्वीरें शेयर कर रिश्ते का सार्वजनिक ऐलान किया था तो लालू यादव ने 25 मई 2025 को तेज प्रताप यादव को पार्टी और परिवार से बाहर कर दिया था. पार्टी से निकाले जाने के बाद तेज प्रताप यादव ने संजय यादव को जयचंद कहते हुए साफ तौर पर आरोप लगाया था कि वो साजिश के तहत परिवार के लोगों को तेजस्वी से दूर कर रहे हैं.

संजय

कैसे शुरू हुआ था रोहिणी और संजय यादव का झगड़ा

इसके बाद इसी साल बिहार चुनाव से ठीक पहले 18 सितंबर 2025 को रोहिणी आचार्या ने सोशल-मीडिया पोस्ट के माध्यम से संजय यादव पर पहली बार हमला बोला था जिसके बाद लालू परिवार का कलह फिर सामने आ गया था. यह विवाद उस वक्त शुरू हुआ था जब तेजस्वी यादव की 'यात्रा बस' में पहली सीट पर तेजस्वी की जगह संजय यादव को बैठे देखा गया.

रोहिणी ने इस व्यवस्था को पार्टी और परिवार के भीतर पद और प्रतिष्ठा का उल्लंघन माना और इसे सार्वजनिक रूप से उठाया था जिसके बाद संजय यादव से उनके भी रिश्ते खराब हो गए थे. बताया जा रहा है कि इसी के बाद से रोहिणी आचार्य और तेजस्वी के रिश्तों में भी दरार पड़नी शुरू हो गई थी.

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