बिहार चुनाव के दूसरे चरण का मतदान छोटे क्षेत्रीय दलों के लिए बड़ी चुनौती लेकर आया है. इस चरण में कई ऐसी विधानसभा सीटें हैं जहां छोटे दलों का प्रदर्शन नतीजों को बदलने की ताकत रखता है. बड़े दलों की रणनीति के बीच हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM), विकासशील इंसान पार्टी (VIP), राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) और AIMIM जैसी पार्टियां अपनी मौजूदगी को साबित करने में जुटी हैं.
हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा
पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के लिए यह चरण बेहद अहम है. पार्टी इमामगंज, बाराचट्टी, टिकारी, अत्रि, सिकंदरा और कुटुम्बा सीट पर चुनाव लड़ रही है. इन क्षेत्रों में HAM की पकड़ मजबूत मानी जाती है. इमामगंज से मांझी की बहू दीपा मांझी और बाराचट्टी से उनकी समधन ज्योति मांझी मैदान में हैं.
एचएएम का मुख्य फोकस इन इलाकों में अपने जनाधार को मजबूत करना और एनडीए के भीतर अपनी स्थिति को स्थिर बनाए रखना है. पार्टी को उम्मीद है कि इस चरण में बेहतर प्रदर्शन कर वह भविष्य की राजनीति में अधिक सीटें और बड़ी भूमिका हासिल करेगी.
विकासशील इंसान पार्टी
दूसरे चरण का मतदान विकासशील इंसान पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी के लिए राजनीतिक रूप से निर्णायक माना जा रहा है. सहनी को महागठबंधन ने उपमुख्यमंत्री पद का वादा किया है, इसलिए उनकी पार्टी का प्रदर्शन सीधा इस पद की संभावना से जुड़ा हुआ है.
VIP करीब 15 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. सहनी ने शुरुआत में 40 से 50 सीटों की मांग की थी, इसलिए यह चरण पार्टी के लिए बड़ा मौका है. निषाद समुदाय में पार्टी का अच्छा प्रभाव है और सहनी इसी वोट बैंक पर भरोसा कर रहे हैं.
बिहार की 36 प्रतिशत आबादी अत्यंत पिछड़ा वर्ग (EBC) से जुड़ी है, जिसमें सहनी की पार्टी अपनी पकड़ मजबूत करने में जुटी है. अगर VIP दूसरे चरण में अच्छा प्रदर्शन करती है, तो महागठबंधन में उसकी स्थिति और मांगें और मजबूत हो सकती हैं.
राष्ट्रीय लोक मोर्चा
उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक मोर्चा के लिए भी यह चरण अहम साबित हो सकता है. RLM छह सीटों पर चुनाव मैदान में है और पार्टी का प्रभाव इस बार उसके द्वारा हासिल की गई सीटों से ज्यादा, उसके वोट विभाजन की क्षमता पर निर्भर करेगा.
उपेंद्र कुशवाहा, कोइरी (कुशवाहा) समुदाय के प्रमुख नेता हैं और उनका जनाधार कई निर्वाचन क्षेत्रों में निर्णायक भूमिका निभा सकता है. कुशवाहा की पत्नी स्नेहलता सासाराम से चुनाव लड़ रही हैं, और उनकी जीत या हार पार्टी के मनोबल को सीधे प्रभावित करेगी. एनडीए में कुशवाहा की भूमिका और पार्टी की प्रासंगिकता भी इसी चरण के नतीजों पर निर्भर करेगी.
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन
असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM के लिए भी बिहार चुनाव का दूसरा चरण महत्वपूर्ण है, खासकर सीमांचल क्षेत्र में. AIMIM किशनगंज, अररिया और पूर्णिया जैसी मुस्लिम बहुल सीटों पर चुनाव लड़ रही है. 2020 के चुनाव में AIMIM ने बिहार में पांच सीटें जीती थीं और अब पार्टी उस प्रदर्शन को दोहराने की कोशिश कर रही है. AIMIM मुस्लिम वोटों को एकजुट कर खुद को राज्य की प्रमुख ताकत के रूप में पेश करना चाहती है.
पार्टी की रणनीति विकास, शिक्षा और हाशिए पर पड़े समुदायों के सशक्तिकरण पर केंद्रित है. इसके साथ ही ओवैसी बीजेपी के घुसपैठ और ध्रुवीकरण के दांव को भी चुनौती दे रहे हैं. सीमांचल में AIMIM का प्रदर्शन यह तय करेगा कि पार्टी भविष्य में बिहार की राजनीति में स्थायी जगह बना पाएगी या नहीं.
सीमांचल में AIMIM का भविष्य
दूसरे चरण का मतदान छोटे दलों के लिए जीत या अस्तित्व जैसा है. जहां एक ओर HAM और VIP अपने गठबंधनों में अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश करेंगे, वहीं RLM और AIMIM अपनी स्वतंत्र पहचान और प्रभाव को साबित करने में जुटी हैं. नतीजे यह तय करेंगे कि बिहार की राजनीति में इन दलों की कितनी अहम भूमिका होगी.