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OBC-EBC, मुस्लिम, सवर्ण? जानें-बिहार की नई विधानसभा में किसकी संख्या बढ़ी, किसकी घटी

बिहार विधानसभा चुनाव नतीजे के बाद चुनाव आयोग ने सभी 243 विधायकों की सूची राज्यपाल को सौंप दी है. अलग-अलग दलों से जीतकर आए विधायकों को जाति के आधार पर वर्गीकरण करते हैं तो सबसे बड़ी संख्या में ओबीसी विधायक चुने गए हैं तो अगड़ी जाति के विधायकों में भी इजाफा हुआ है.

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बिहार में हर तीसरा विधायक सवर्ण जाति से है (Photo-ITG)
बिहार में हर तीसरा विधायक सवर्ण जाति से है (Photo-ITG)

बिहार विधानसभा चुनाव में नतीजों ने प्रदेश के सारे समीकरण को उलट-पलटकर रख दिया है. एनडीए का फॉर्मूला नीतीश कुमार के लिए हिट रहा तो सवर्ण समुदाय के लिए सुपरहिट साबित हुआ है. एनडीए की सत्ता में वापसी के साथ-साथ सवर्ण समुदाय से आने वाले विधायकों की संख्या में भी जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है, तो कुर्मी और कुशवाहा जैसी ओबीसी जातियों के लिए भी यह मुफीद रहा.

नीतीश कुमार और पीएम मोदी की सियासी केमिस्ट्री ने सिर्फ महागठबंधन का खेल नहीं बिगाड़ा बल्कि यादव और मुस्लिम समीकरण की भी हवा निकाल दी है. यही वजह है कि यादव और मुस्लिम विधायकों की संख्या घटकर इस बार आधी रह गई.

नए समीकरण ने बिहार में इस बार चुनकर आए विधायकों के जातीय समीकरण को बदलकर रख दिया. बिहार में अब हर दूसरा विधायक पिछड़ी और अतिपिछड़ी जाति से है तो हर तीसरा विधायक अगड़ी जाति से है. बिहार में किस जाति के विधायकों की संख्या बढ़ी है या फिर घटी है...

किस जाति के कितने विधायक जीते

बिहार की कुल 243 विधानसभा सीटों में सबसे ज्यादा ओबीसी जातियों से जीतकर आए हैं जबकि मुस्लिम विधायकों की संख्या अब तक के सियासी इतिहास में कम है. पिछड़ी जातियों से 83 विधायक जीतकर आए हैं तो अतिपिछड़ी जाति से 37 विधायक ही चुने गए हैं.

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इस बार के विधानसभा चुनाव में 72 विधायक अगड़ी जाति से चुने गए हैं, जिसमें भूमिहार, राजपूत, ब्राह्मण और कायस्थ समुदाय से हैं. इसके अलावा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति से 40 विधायक चुनकर आए, ये एससी-एसटी विधायक आरक्षित सीटों से जीते हैं. मुस्लिम समाज के विधायकों की संख्या घटकर 11 रह गई है.

 64 से 72 हुए अगड़ी जाति के विधायक

2020 के चुनाव में अगड़ी जाति से 64 विधायक जीतकर आए थे जबकि 2024 में अगड़ी जाति के 72 विधायक जीते हैं. 2024 के चुनाव में राजपूत विधायक 32, भूमिहार विधायक 23, ब्राह्मण समाज से 14 और कायस्थ जाति से दो विधायक जीते हैं.

2020 चुनाव के नजरिए से देखें तो 28 राजपूत विधायक जीते थे, जो अब बढ़कर 32 हो गए हैं. भूमिहार 21 से बढ़कर 23 हो गए तो ब्राह्मण समाज के 12 विधायकों की संख्या बढ़कर 14 हो गई है, तो कायस्थ समुदाय के विधायकों की संख्या 3 से घटकर 2 रह गई है.

जेडीयू से 18 सवर्ण विधायक जीते हैं, जिसमें 10 भूमिहार, 6 राजपूत, एक कायस्थ और एक ब्राह्मण समाज से है. बीजेपी से अगड़ी जाति के 42 विधायक जीते हैं, जिसमें 19 राजपूत, भूमिहार 12, ब्राह्मण 10 और एक कायस्थ हैं. 

एलजेपी कोटे से सात सवर्ण जाति से विधायक चुने गए हैं, जिसमें पांच राजपूत और एक-एक ब्राह्मण और भूमिहार समाज से हैं। जीतन राम मांझी की पार्टी से एक सवर्ण और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी से दो सवर्ण विधायक जीते हैं. इसके अलावा आरजेडी से दो सवर्ण जाति से विधायक चुने गए हैं और दोनों भूमिहार समाज से हैं.

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बिहार में हर दूसरा विधायक OBC-EBC

बिहार की 243 विधायकों में से 120 विधायक पिछड़े वर्ग की जातियों से जीते हैं या फिर अतिपिछड़ी जाति से आते हैं. ओबीसी जाति से 83 विधायक जीते हैं तो 37 विधायक ईबीसी से हैं. जेडीयू से 12-12 कुर्मी और कुशवाहा विधायक बने हैं। इसके अलावा 5 वैश्य जाति से हैं तो सात यादव जाति से चुने गए हैं. इसके अलावा 16 विधायक अलग-अलग अतिपिछड़ी जातियों से हैं.

बीजेपी से कुशवाहा जाति से 7 विधायक, वैश्य समाज से 11 विधायक, कुर्मी 2 और यादव चार विधायक चुने गए हैं. अतिपिछड़ी जाति से 11 विधायक जीते हैं। एलजेपी से जीते विधायकों में सात पिछड़ी जाति से हैं, जिनमें चार वैश्य, दो यादव और एक कुशवाहा जाति से हैं. उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी से दो ओबीसी विधायक जीते हैं.

वहीं, आरजेडी के टिकट पर 17 ओबीसी और ईबीसी विधायक जीते हैं. आरजेडी के टिकट पर 11 यादव, कुर्मी-कुशवाहा से एक-एक और चार ईबीसी जाति से विधायक जीते हैं. कांग्रेस के टिकट पर दो अतिपिछड़ी जाति से विधायक चुने गए हैं और एक कुशवाहा जाति से जीतकर आए हैं.

आईआईपी प्रमुख इंद्रजीत प्रसाद गुप्ता विधायक बने हैं जो ईबीसी के तांती-तत्वा समाज से हैं. सीपीआई माले के दो विधायकों में एक यादव और एक कुशवाहा है तो माकपा के एक विधायक कुशवाहा हैं और बसपा से एक विधायक यादव जाति से चुने गए हैं.

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दिलचस्प बात यह है कि 2020 में 55 यादव विधायक जीते थे, जो घटकर 28 रह गए तो वैश्य 22 से बढ़कर 26 हो गए, कुर्मी समाज के 10 से बढ़कर 25 विधायक हो गए हैं। इसी तरह कुशवाहा जाति के विधायकों की संख्या भी 16 से बढ़कर 23 हो गई है। इसी तरह ईबीसी के विधायकों की संख्या 35 से बढ़कर 37 हो गई है. 

दलित विधायक की स्थिति जस की तस

बिहार में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए 40 विधानसभा सीटें आरक्षित हैं. इन्हीं 40 सीटों पर एससी और एसटी जाति से विधायक चुने गए हैं. बीजेपी से 12 दलित विधायक जीते हैं तो जेडीयू से सबसे ज्यादा 14 विधायक चुने गए हैं.

चिराग पासवान की पार्टी एलजेपी (आर) से पांच दलित विधायक जीतने में सफल रहे हैं, जिसमें दो पासवान, एक धोबी और एक रविदास हैं। जीतन राम मांझी की पार्टी से चार दलित विधायक चुने गए हैं. वहीं, आरजेडी से तीन अनुसूचित जाति के विधायक चुने गए हैं जबकि कांग्रेस के जीतकर आए छह में एक दलित विधायक हैं.

बिहार में सबसे कम मुस्लिम विधायक

बिहार में इस बार 11 मुस्लिम विधायक ही जीतकर आए हैं, ये अब तक के इतिहास का सबसे कम है. 2024 के विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा संख्या में मुस्लिम विधायक AIMIM से पांच जीते हैं, आरजेडी से 3 मुस्लिम विधायक चुने गए हैं तो कांग्रेस से दो मुस्लिम और जेडीयू से एक मुस्लिम विधायक चुनकर आए हैं.

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2020 में 19 मुस्लिम विधायक अलग-अलग दलों से चुनकर आए थे, लेकिन इस बार सिर्फ 11 ही जीत सके हैं। सीपीआई माले और चिराग पासवान की पार्टी से कोई भी मुस्लिम विधानसभा चुनाव नहीं जीत सका. बिहार के सियासी इतिहास में 1951 से लेकर अभी तक के जितने चुनाव हुए हैं, उसमें सबसे ज्यादा मुस्लिम विधायक 1985 के चुनाव में 34 जीतकर आए थे जबकि सबसे कम संख्या में 11 मुस्लिम विधायक इस बार के चुनाव में चुने गए हैं.

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