बिहार में वोट की मशीनें अब तैयार है. ईवीएम और वीवीपीएटी की जोड़ी बदल गई है ताकि कोई भी ये न जान सके कि किस बूथ पर कौन-सी मशीन जाएगी. आम चुनाव के पहले और दूसरे चरण के लिए ईवीएम और वीवीपीएटी मशीनों का पहला रैंडमाइजेशन (विक्रमण) पारदर्शिता के साथ पूरा हो गया है. ये प्रक्रिया इसलिए की जाती है ताकि चुनाव में किसी भी तरह की गड़बड़ी या आरोप की गुंजाइश न रहे.
क्या होता है ईवीएम-वीवीपीएटी का रैंडमाइजेशन?
रैंडमाइजेशन का मतलब है कि ईवीएम और वीवीपीएटी मशीनों को अनियमित यानी रैंडम तरीके से जोड़ा जाता है. किसी भी ईवीएम को किसी भी वीवीपीएटी मशीन के साथ लगाया जाता है. इससे यह तय होता है कि कोई यह नहीं कह सके कि किस बूथ पर कौन-सी मशीन जाएगी.
राजनीतिक दलों को दी गई पूरी जानकारी
इस पूरी प्रक्रिया की सूची जिसमें मशीनों के नंबर तक शामिल होते हैं, सभी राजनीतिक दलों के साथ साझा की गई है. इसके बाद ये मशीनें सुरक्षित स्ट्रांग रूम में रख दी जाती हैं.
18 जिलों में हुई प्रक्रिया
निर्वाचन आयोग के निर्देश पर बिहार के 18 जिलों में जिला निर्वाचन अधिकारियों (DEO) ने 11 अक्टूबर 2025 को यह प्रक्रिया पूरी की.
पहले यह सुनिश्चित किया गया कि सभी मशीनें प्रथम स्तरीय जांच (FLC) में पास हों. इसके बाद ईवीएम मैनेजमेंट सिस्टम (EMS) के जरिये रैंडमाइजेशन किया गया.
अब कुल कितनी मशीनें हुईं शामिल?
54,311 बैलट यूनिट (BU)
54,311 कंट्रोल यूनिट (CU)
58,123 वीवीपीएटी
इन सभी मशीनों को 45,336 मतदान केंद्रों वाले 121 विधानसभा क्षेत्रों में आवंटित किया गया है.
... ताकि पारदर्शी रहें चुनाव
राज्य और राष्ट्रीय स्तर के मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में पूरी प्रक्रिया की गई. प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र की ईवीएम और वीवीपीएटी की सूची जिला मुख्यालय पर राजनीतिक दलों को उपलब्ध कराई गई है. अब ये सभी मशीनें संबंधित विधानसभा के स्ट्रांग रूम में, राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में रखी जाएंगी.
अब जब उम्मीदवारों की सूची फाइनल हो जाएगी, तब इन मशीनों की अंतिम सूची चुनाव लड़ने वाले सभी उम्मीदवारों को भी दी जाएगी. इस तरह चुनाव आयोग ने ईवीएम-वीवीपीएटी के रैंडमाइजेशन की पहली प्रक्रिया पूरी कर दी है. इससे यह तय होता है कि वोटिंग पूरी तरह पारदर्शी और निष्पक्ष माहौल में हो.