इस्लामाबाद में बनेगा पहला हिंदू मंदिर, लंबे विवाद के बाद मिली अनुमति

पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में कुछ समय पहले विवाद देखने को मिला था जब हिंदू समुदाय के लिए आवंटित भूमि को रद्द कर दिया गया था. इस जमीन पर हिंदू मंदिर, श्मशान घाट और सामुदायिक केंद्र का निर्माण होना था. हालांकि इस मुद्दे पर हुई आलोचना के बाद इस जमीन को एक बार हिंदू समुदाय के लिए आवंटित कर दिया गया है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर, फोटो क्रेडिट: रॉयटर्स प्रतीकात्मक तस्वीर, फोटो क्रेडिट: रॉयटर्स

aajtak.in

  • नई दिल्ली ,
  • 10 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 11:03 AM IST
  • इस्लामाबाद में हिंदू मंदिर के लिए आवंटित भूमि हुई थी रद्द
  • विवादों के बाद एक बार फिर हिंदू समुदाय को मिली जमीन

पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में कुछ समय पहले विवाद देखने को मिला था जब हिंदू समुदाय के लिए आवंटित भूमि को रद्द कर दिया गया था. इस जमीन पर हिंदू मंदिर, श्मशान घाट और सामुदायिक केंद्र का निर्माण होना था. हालांकि इस मुद्दे पर हुई आलोचना के बाद इस जमीन को एक बार हिंदू समुदाय के लिए आवंटित कर दिया गया है.

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डॉन अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, राजधानी विकास प्राधिकरण (सीडीए) ने इस्लामाबाद उच्च न्यायालय (आईएचसी) में एक मामले की सुनवाई के दौरान बीते सोमवार को कोर्ट के सामने खुलासा किया कि हिंदू समुदाय के लिए आवंटित भूमि को रद्द कर दिया गया है. सीडीए के वकील जावेद इकबाल ने अदालत को बताया कि नागरिक एजेंसी ने इसी साल फरवरी में ही इस जमीन को हिंदू समुदाय के लिए रद्द कर दिया था क्योंकि इस पर निर्माण शुरु नहीं हो पाया था.

रिपोर्ट्स के अनुसार, इस्लामाबाद में 0.5 एकड़ भूमि को साल 2016 में हिंदू समुदाय के लिए आवंटित किया गया था. इस जमीन पर हिंदू मंदिर, श्मशान और सामुदायिक केंद्र का निर्माण होना था. जमीन आवंटन रद्द होने की खबर पर पाकिस्तानी सोशल मीडिया पर हिंदू समुदाय का गुस्सा फूटा था और कई लोगों ने सीडीए के इस कदम की आलोचना की थी. ये भी कहा गया था सीडीए को इस नोटिफिकेशन को वापस ले लेना चाहिए. 

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'गलतफहमी के चलते रद्द हुई थी हिंदू समुदाय की जमीन'

इस मामले में बात करते हुए सीडीए के प्रवक्ता सैयद आसिफ रजा ने कहा कि दरअसल सरकार के निर्णय के बाद विभिन्न कार्यालयों, विश्वविद्यालयों और अन्य संस्थानों को जारी की गई उन सभी भूमियों का आवंटन रद्द किया गया था जिन पर कोई निर्माण कार्य शुरू नहीं किया गया था. हालांकि, नागरिक एजेंसी के संबंधित अधिकारियों को कैबिनेट के फैसले को लेकर गलतफहमी हो गई थी और इसके चलते ही हिंदू समुदाय को आवंटित जमीन को भी रद्द कर दिया था. उन्होंने कहा कि चूंकि मंदिर के लिए आवंटित जमीन पर चारदीवारी निर्माण की मंजूरी पहले ही मिल चुकी है, ऐसे में ये जगह उन जमीनों की श्रेणी में नहीं आती है जहां निर्माण कार्य बिल्कुल नहीं हुआ है तो कैबिनेट का फैसला इस जमीन पर लागू नहीं होता है.

यह पूछे जाने पर कि क्या कैबिनेट के फैसले की गलत व्याख्या करने वालों के खिलाफ सीडीए कोई जांच शुरू करेगा, उन्होंने इस मामले में कहा कि दरअसल इस मामले में किसी का कोई गलत इरादा नहीं था. कैबिनेट के फैसले के चलते थोड़ी भ्रम जैसी स्थिति थी लेकिन जब मामले को उच्चाधिकारियों के संज्ञान में लाया गया, तो आवंटन तुरंत बहाल कर दिया गया है.

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इस्लामाबाद में ये होगा पहला हिंदू मंदिर 

गौरतलब है कि पिछले साल जुलाई में पाकिस्तान के कट्टरपंथी समूहों ने इस्लामाबाद में सरकारी फंडिंग से हिंदू मंदिर बनाने के कदम की आलोचना की थी और इसके चलते सीडीए ने इस जगह पर निर्माण कार्य रोक दिया था. हालांकि ये मामला पिछले साल दिसंबर में सुलझा लिया गया था जब इस भूमि के चारों ओर चारदीवारी बनाने की अनुमति जारी की गई थी. बता दें कि इस्लामाबाद में हिंदू समुदाय के लिए कोई मंदिर या श्मशान केंद्र नहीं है. पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग और समुदाय के कई प्रयासों के बाद सीडीए ने साल 2016 में हिंदू समुदाय के लिए जमीन आवंटित की थी. इस्लामाबाद के सैदपुर गांव में एक मंदिर हुआ करता था लेकिन दशकों पहले ही वो मंदिर नष्ट हो गया था.  

 

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