चार शादियां… और चारों बार दुल्हन बनी एक ही लड़की. हैरानी इस बात की कि उसके पति भी कोई साधारण लोग नहीं थे.दो-दो दारोगा और दो-दो बैंक मैनेजर. सुनने में किसी क्राइम-थ्रिलर की कहानी लग सकती है, लेकिन यह असल दुनिया की दिव्यांशी है. वह महिला जिसने मोहब्बत, भरोसा, शादी और कानून को अपने लिए एक ऐसा हथियार बनाया कि पढ़े-लिखे, जिम्मेदार और सरकारी पदों पर बैठे अधिकारी भी उसके जाल में फंसते चले गए.
उसका अंदाज इतना आम और सहज था कि कोई यह सोच भी नहीं सकता था कि सामने बैठी मुस्कुराती लड़की कभी दुल्हन बनकर किसी की जिंदगी का हिस्सा बनेगी और फिर उसी आदमी को रेप के आरोप में फंसा कर लाखों की वसूली भी करेगी. पुलिस के शब्दों में यह महिला पहले प्यार देती है, फिर भरोसा, और आखिर में मुकदमा.
लेकिन उसकी चाल तब टूटी जब चौथे पति, दरोगा आदित्य कुमार ने शक होते ही चुपचाप उसकी सच्चाई की परतें खोलना शुरू किया. एक साल की गुप्त जांच के बाद आखिरकार दिव्यांशी कानपुर पुलिस के जाल में आ गई. एसआईटी जांच में उसके अकाउंट से करोड़ों रुपये का लेन-देन मिला, जिसे पुलिस धोखाधड़ी और वसूली की कमाई मान रही है.
मेरठ से की शुरुआत
दिव्यांशी की कहानी मेरठ से शुरू होती है. वहीं उसकी मुलाकात दारोगा प्रेमपाल सिंह पुष्कर से हुई. पुलिसवालों के बीच आने-जाने, सामाजिक कार्यक्रमों में शामिल होने और कुछ अफसरों से पहले से बने करीबियों के कारण वह आसानी से वार्तालाप में घुल-मिल जाती थी. प्रेमपाल उसके व्यक्तित्व से प्रभावित हुआ. दोनों की नजदीकियां बढ़ीं और फिर अचानक उन्होंने शादी कर ली. लेकिन कुछ महीनों बाद प्रेमपाल पर रेप के मामले का आरोप लगा दिया. केस दर्ज हुआ, जांच चली, तनाव बढ़ा… और फिर एक दिन प्रेमपाल ने एसआईटी को बताया कि दिव्यांशी ने समझौते के नाम पर मोटी रकम लेकर केस खत्म किया. दिव्यांशी का पहला शिकार पकड़ा नहीं गया, क्योंकि उस समय किसी ने नहीं सोचा कि यह कोई बड़ी साजिश है.
दो बैंक मैनेजरों के साथ एक जैसा धोखा
पहली घटना से रास्ता साफ करने के बाद दिव्यांशी ने अपना खेल और मजबूत किया. कुछ ही महीनों में उसने दो बैंक मैनेजरों आशीष राज और अमित गुप्ता से संपर्क बढ़ाया. उनके बयान जांच टीम के सामने एक जैसे थे: पहले वह खुद को अकेला, असुरक्षित और परेशान बताती, फिर भावनात्मक सहारा लेने की कोशिश, धीरे-धीरे शादी या रिश्ते की तरफ इशारा और फिर जब भरोसा पक्का हो जाता तो अचानक आरोप लगा दी. आशीष और अमित दोनों पर रेप का मामला लिखा गया. दोनों ही मामलों में पुलिस को मिले कागज बताते हैं कि बाद में मोटी रकम लेकर समझौता किया गया. दोनों बैंक अधिकारियों ने यह भी कहा कि उन्हें डर था कि कहीं नौकरी, समाज और परिवार को लेकर गलती से भी कोई बात न फैल जाए. इसी डर में उन्होंने चुपचाप पैसा देकर मामला खत्म करवाया. इस तरह दिव्यांशी को सफलता मिलती गई. हर नया शिकार, उसके लिए एक नया कमाई का मौका साबित हुआ.
चौथा शिकार बन गया फांस
फरवरी 2024 में दिव्यांशी की शादी हुई दारोगा आदित्य कुमार से, जो ग्वालटोली थाने में तैनात हैं. आदित्य उस पर पूरा भरोसा कर बैठे थे. शादी के बाद की कुछ हफ्ते सब सामान्य चला, लेकिन फिर आदित्य ने देखा कि दिव्यांशी उनके बैंक खाते से लगातार बड़ी रकम निकाल रही है. एक दिन उन्होंने ट्रांजैक्शन हिस्ट्री देखी और आंखें फटी रह गईं. रकम प्रेमपाल के खाते में जा रही थी, जिसका नाम उन्होंने शादी के बाद कभी नहीं सुना था. इसी बात से आदित्य की जिज्ञासा शक में बदली. उन्होंने चुपचाप पत्नी के फोन, कॉल रिकॉर्ड, उसके पिछले रिश्तों और सोशल मीडिया की जांच शुरू की. इसमें उन्हें वह सच्चाई मिली, जिसने उनके पैरों के नीचे से जमीन खिसका दी. दिव्यांशी पहले ही प्रेमपाल की पत्नी रह चुकी थी. उसके बाद आदित्य ने सभी सबूत इकठ्ठा किए.
दिव्यांशी की पलटवार चाल
जैसे ही आदित्य ने पुलिस कमिश्नर से मिलने का फैसला किया, उसी दिन 25 नवंबर 2024 को दिव्यांशी खुद कमिश्नर ऑफिस पहुंच गई और आदित्य के खिलाफ शिकायत कर आई. उसका आरोप था कि आदित्य के कई लड़कियों से संबंध हैं. वह अब मुझे साथ नहीं रखना चाहता. दिव्यांशी का मकसद साफ था—पहले शिकायत करो, फिर पीड़िता बनकर मामला अपने पक्ष में मोड़ो. लेकिन यह चाल इस बार चल नहीं पाई, क्योंकि आदित्य पहले ही सबूतों के ढेर के साथ पुलिस अधिकारियों को सच्चाई बता चुके थे.
एसआईटी की लंबी जांच तब करोड़ों की कहानी खुली
पुलिस कमिश्नर ने तुरंत एक स्पेशल टीम बनाई. टीम ने सबसे पहले दिव्यांशी के तीन बैंक खाते खंगाले. उसमें पिछले कुछ सालों में करोड़ों का लेन-देन मिला. एसआईटी ने यह भी पाया कि दिव्यांशी कई बार अपने कुछ परिचित पुलिसकर्मियों के साथ आदित्य के घर पर कब्जा करने पहुंची थी. एक बार तो उसने आदित्य के घर में जबरन घुसने की कोशिश भी की, जो सीसीटीवी में साफ दिखा. यह फुटेज पूरी जांच के दौरान सबसे मजबूत सबूतों में से एक बना. जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, दिव्यांशी अचानक गायब हो गई. फोन बंद, लोकेशन बंद… वह लगभग एक महीने तक पुलिस से बचती रही. टीम ने उसकी पुरानी लोकेशन, कॉल ट्रेल, बैंक कार्ड उपयोग, आसपास के होटल और दोस्तों के घरों पर छापेमारी की, तब जाकर उसका ठिकाना पता चला. सोमवार को पुलिस ने उसे एक अपार्टमेंट से गिरफ्तार कर लिया.
एसआईटी की रिपोर्ट और गिरफ्तारी
एसआईटी की रिपोर्ट में यह स्पष्ट लिखा गया है कि दिव्यांशी ने कई पुरुषों से शादी का झांसा देकर उन्हें फंसाया, उनके खिलाफ झूठे रेप केस दर्ज कराए, फिर समझौते के नाम पर लाखों रुपये लिए और यह सब एक संगठित तरीके से किया गया. दिव्यांशी पर धोखाधड़ी, भयादोहन, फर्जी विवाह, झूठी FIR, आपराधिक षड्यंत्र समेत कई गंभीर धाराओं में केस दर्ज हुआ.
दिव्यांशी की गिरफ्तारी के बाद दारोगा आदित्य कुमार ने कहा कि इसने मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी. मेरा पैसा लेकर दूसरे लोगों को ट्रांसफर किया. मैंने सबूत जुटाए और पुलिस को दिए. अब उम्मीद है कि न्याय मिलेगा. इस महिला के कई पुलिस इंस्पेक्टर और एक सीओ से करीबी संबंध हैं. यह अकेली नहीं है पूरा गैंग है. यह लोग शादी के नाम पर फंसाते हैं, फिर झूठी रिपोर्ट लिखाकर लाखों वसूलते हैं.
और नाम सामने आने के संकेत
पुलिस सूत्रों के अनुसार, दिव्यांशी के साथ एक छोटी टीम काम करती थी कुछ पुलिसकर्मी, दो वकील और एक महिला साथी. इस गैंग का मकसद था शिक्षा-प्राप्त, स्थिर नौकरी वाले पुरुषों को निशाना बनाना, ताकि डर और प्रतिष्ठा के दबाव में वे चुपचाप समझौता कर लें. आने वाले दिनों में पुलिस और लोगों को पूछताछ के लिए बुला सकती है. एसआईटी के हाथ लगे डिजिटल सबूत बताते हैं कि मामला अभी पूरी तरह खुला नहीं है.
रंजय सिंह