मां कोमा में थी... फिर भी मैनेजर ने कराया अस्पताल से काम, एंप्लॉय की कहानी वायरल

एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने सोशल मीडिया पर अपनी दर्द भरी कहानी शेयर की, जिसमें उसने बताया कि उसकी मां कोमा में थीं, फिर भी उसके मैनेजर ने उसे अस्पताल से ही लैपटॉप लाकर काम करने को कहा. वह कई दिनों तक अस्पताल की कुर्सी पर बैठकर कोड लिखने की कोशिश करता रहा- थका हुआ, परेशान और भावनात्मक रूप से टूट चुका.

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एक इंजीनियर की मां कोमा में थीं, फिर भी मैनेजर ने उस पर अस्पताल से ही काम करने का दबाव डाला. ( Photo: Pixabay) एक इंजीनियर की मां कोमा में थीं, फिर भी मैनेजर ने उस पर अस्पताल से ही काम करने का दबाव डाला. ( Photo: Pixabay)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 07 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 8:07 AM IST

कई बार कॉर्पोरेट दुनिया इतनी बेरहम साबित होती है कि इंसान सोच में पड़ जाता है, क्या वाकई काम इंसान से ज्यादा जरूरी है? एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर की हालिया कहानी सोशल मीडिया पर तूफान की तरह वायरल हो रही है. उसकी मां कोमा में जिंदगी और मौत से लड़ रही थीं, और उस पर कंपनी अस्पताल से लैपटॉप खोलकर काम पूरा करने का दबाव डाल रही थी. यह घटना लोगों को अंदर तक हिला गई, क्योंकि यह सिर्फ एक कर्मचारी की दास्तान नहीं—बल्कि आधुनिक वर्क कल्चर की कड़वी हकीकत है.

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बॉस ने बनाया काम करने का दबाव
एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने सोशल मीडिया पर अपनी दर्द भरी कहानी शेयर की, जिसने लोगों को झकझोर दिया. पोस्ट में यूजर ने बताया कि उसकी मां कोमा में थी, फिर भी उसके मैनेजर ने उस पर अस्पताल से ही लैपटॉप लाकर काम करने का दबाव बनाया. इंजीनियर ने बताया कि उसकी मां अचानक डायबिटीज के कारण बेहोश हो गईं और कोमा में चली गईं. उस समय ऑफिस में स्प्रिंट का आखिरी हफ्ता था, इसलिए कुछ काम अधूरे रह गए थे. उसने मैनेजर को सब बताया और दो दिन की छुट्टी लेकर अस्पताल में ही रुका रहा.

'काम में ध्यान लगाना मुश्किल'
इलाज के बाद उसकी मां थोड़ी ठीक हुईं, लेकिन जल्द ही दोबारा कोमा में चली गईं, और उसे फिर से हॉस्पिटल लेकर जाना पड़ा. इसी बीच, मैनेजर ने उससे कहा कि वह लैपटॉप लेकर अस्पताल में ही काम करे, क्योंकि काम उसके बिना रुक जाएगा. वह अस्पताल के वेटिंग एरिया में बैठकर कोड लिखने की कोशिश करता रहा, जबकि उसकी मां बेहोश थी और नर्सें इधर-उधर दौड़ रही थीं. उसने बताया कि वह थका हुआ था, इमोशनली वह टूट चुका था, और काम में ध्यान भी नहीं लगा पा रहा था.

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चार दिन तक अस्पताल से काम करने के बावजूद, वह काम पूरा नहीं कर पा रहा था और उल्टा उस पर KT सत्र (KT (knowledge transfer) sessions लेने का दबाव डाला गया, ताकि उसका काम किसी और को सौंपा जा सके. उसकी नींद खराब हो रही थी और वह घर की आपात स्थिति और ऑफिस के दबाव के बीच फंसकर खुद को असहाय महसूस कर रहा था. उसने लिखा कि वह बस यही दुआ कर रहा था कि उसकी मां जल्द ठीक हो जाएं, ताकि उसे इस मुश्किल स्थिति से बाहर निकलने का मौका मिल सके.

सोशल मीडिया पर पोस्ट वायरल 
इस पोस्ट पर लोग जमकर कमेंट कर रहे है. इसके साथ ही लोगों ने कंपनी और मैनेजर की संवेदनहीनता की कड़ी आलोचना की. एक यूजर ने लिखा-इतने निर्दयी लोग कैसे हो सकते हैं? उनकी प्लानिंग की कमी, आपकी जिम्मेदारी नहीं है.  कई यूजर्स ने उसे HR में शिकायत करने, मेडिकल लीव लेने या मानसिक शांति के लिए नौकरी छोड़ने की सलाह दी. एक यूजर ने लिखा-किसी भी इंसान के लिए परिवार पहले आता है, नौकरी नहीं.

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