दिन में सड़क किनारे ना जाने कितने हजार लोग हमारे सामने से गुजरते हैं या फिर मेट्रो आदि में दिखाई देते हैं. 99.99 परसेंट लोग ऐसे होते हैं, जिनका नाम भी पता नहीं होता है. वहीं, Google AI Glasses ने अनजान होने की लकीर को मिटा दिया है. आइये जानते हैं कैसे.
दरअसल, इंटरनेट पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें एक डच टेक जर्नलिस्ट एलेक्जेंडर क्लॉपिंग का एक डेमो वीडियो दिखाया गया है.
दिखाया वायरल वीडियो का डेमो
वीडियो में दिखाया गया है कि सड़क किनारे एलेक्जेंडर जिनको कुछ समय के लिए देखते हैं या ट्रेन के बारे में पूछते हैं, गूगल AI ग्लासेस उनका उनके फेस को रेकॉग्नाइज करता है और इंटरनेट उसके बारे में डिटेल्स शेयर करता है. यहां तक कि लिंक्डन प्रोफाइल को भी खंगालता है और वहां से नौकरी पेशा और डिग्री आदि की भी जानकारी शेयर करता है.
बिना सरकारी डाटाबेस के काम कर रहा है
गौर करने वाली बात यह कि गूगल ग्लासेस यह सब कुछ काम बिना किसी सरकारी डाटाबेस या पुलिस सिस्टम की मदद के पूरा कर रहा है. इस डेमो की वजह से प्राइवेसी को लेकर एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि क्या अब कोई अनजान नहीं रहेगा. इंटरनेट की मदद से किसी का भी नाम, प्रोफेशनल, डिग्री आदि का पता लगाया जा सकता है.
AI प्राइवेसी को लेकर उठाए गए सवाल
जाने-माने AI प्राइवेसी एक्सपर्ट पास्कल बोर्नेट ने AI Glasses के इस डेमो पर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा कि यह तकनीक उस लाइन को मिटा चुकी है, जो लोगों को देखने और उन्हें जानने के बीच होती है. उन्होंने आगे बताया कि इस वीडियो को देखकर पहला रिएक्शन तो डर का था.
हर एक शख्स को पहचान सकेंगे
गूगल ग्लासेस के फायदे की बात करें क्लॉपिंग के इस डेमो का सकारात्मक पक्ष देखें तो कोई भी शख्स अनजान नहीं रहेगा. किसी भी शख्स को कहीं भी तुरंत पहचान सकते हैं.
हर एक यूजर को बना देगा एजेंट
गूगल ग्लासेस की मदद से हर एक शख्स एक संभावित गुप्त निगरानी एजेंट में बदल जाएगा, जिसको सामने वाले का नाम, जॉब आदि के बारे में पता होगा.
प्राइवेसी के लिए खतरनाक है ये फीचर
गूगल ग्लासेस का ये फीचर बायोमेट्रिक डेटा और अन्य निजी जानकारी जैसे नाम आदि का पता लगा सकेगा. इससे लोगों की प्राइवेसी खतरे में पड़ सकती है. ये डेटा संवेदनशील होती है, जिसके लीक होने की वजह से बड़ा खतरा पैदा हो सकता है.
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