मेनोपॉज में बढ़ जाता है मेटाबॉलिक सिंड्रोम का खतरा, स्टडी में खुलासा

हाल ही में हुई एक स्टडी से पता चला है कि मेनोपॉज के दौरान महिलाओं में मेटाबॉलिक सिंड्रोम का खतरा बढ़ जाता है. मेनोपॉज के समय महिलाओं में कई तरह के हार्मोनल बदलाव भी होते हैं.

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मेनोपॉज में होते हैं हार्मोनल बदलाव मेनोपॉज में होते हैं हार्मोनल बदलाव

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 06 जुलाई 2020,
  • अपडेटेड 4:57 PM IST

मेनोपॉज एक ऐसा पड़ाव है जिससे हर महिला को गुजरना पड़ता है. पेरिमेनोपॉज यानि मेनोपॉज के आस-पास का समय महिलाओं के लिए बहुत नाजुक होता है और इस दौरान उन्हें कई तरह के शारीरिक बदलावों से गुजरना पड़ता है. पोस्टमेनोपॉजल से गुजर रही महिलाओं पर की गई एक स्टडी से पता चला है कि मेनोपॉज की वजह से महिलाओं में मेटाबॉलिक सिंड्रोम का खतरा बढ़ जाता है और इसकी वजह हाइपरटेंशन, मोटापा या फिर हाई ब्लड शुगर की समस्या होने लगती है.

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द नॉर्थ अमेरिकन मेनोपॉज सोसाइटी (NAMS) की पत्रिका में प्रकाशित ये एजिंग स्टडी कनाडा की महिलाओं पर की गई है. स्टडी के अनुसार मेटाबॉलिक सिंड्रोम उम्र के साथ-साथ बढ़ता है. कनाडा में 60 से 79 वर्ष की महिलाओं में यह 38 फीसदी तक है. मेटाबॉलिक सिंड्रोम की वजह से हृदय रोग और कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है.

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इससे पहले की गई कुछ स्टडीज में बढ़ती उम्र में मेनोपॉज और मेटाबॉलिक सिंड्रोम के बीच संबंध का जिक्र किया गया था. कैनेडियन लॉन्गिट्यूडिनल स्टडी ऑन एजिंग में 45 से 85 वर्ष की आयु की 10,000 से अधिक महिलाओं के डेटा का विश्लेषण किया गया. स्टडी में मेनोपॉज और मेटाबॉलिक सिंड्रोम के बीच एक स्पष्ट संबंध देखने को मिला.

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हालांकि, अच्छी खबर यह है कि लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव कर टाइप 2 डायबिटीज और दिल से संबंधित बीमारियों के खतरे को कम किया जा सकता है. मेनोपॉज हार्मोन थेरेपी से भी मेटाबॉलिक सिंड्रोम के खतरे को कम किया जा सकता है. हालांकि इस पर अभी और स्टडीज की जानी बाकी हैं.

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