UPPCS 2021 प्री का रिजल्ट इलाहाबाद हाईकोर्ट ने किया रद्द, पूर्व सैनिकों की याचिका पर फैसला

उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा झटका दिया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग की पीसीएस की प्रारंभिक परीक्षा 2021 का रिजल्ट रद्द कर दिया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीसीएस 2021 का प्री परीक्षा का परिणाम पूर्व सैनिकों के लिए पांच फीसदी आरक्षण की व्यवस्था लागू कर संशोधन के बाद जारी करने के लिए कहा है.

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उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (फाइल फोटो) उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (फाइल फोटो)

पंकज श्रीवास्तव

  • प्रयागराज,
  • 03 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 8:26 AM IST

उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा झटका दिया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग की पीसीएस की प्रारंभिक परीक्षा 2021 का रिजल्ट रद्द कर दिया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीसीएस 2021 का प्री परीक्षा का परिणाम पूर्व सैनिकों के लिए पांच फीसदी आरक्षण की व्यवस्था लागू कर संशोधन के बाद जारी करने के लिए कहा है.

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने PCS 2021 प्री के पहले जारी किए गए रिजल्ट को रद्द कर दिया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपीपीएससी को ये भी आदेश दिया है कि पूर्व सैनिकों को पांच फीसदी आरक्षण का लाभ देकर संशोधित परिणाम नए सिरे से जारी किए जाएं. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने साथ ही ये भी कहा है कि रिजल्ट जारी होने के बाद एक महीने के अंदर उन्हें मुख्य परीक्षा के लिए प्रवेश पत्र जारी किया जाए.

न्यायमूर्ति संगीता चंद्रा ने सतीश चंद्र शुक्ला और अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिया. पूर्व सैनिकों ने याचिका दायर कर पीसीएस 2021 और वन विभाग में सहायक वन संरक्षण के पदों पर भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण दिए जाने की मांग की थी. हाईकोर्ट याचिकाकर्ता की दलील स्वीकार करते हुए प्री परीक्षा परिणाम रद्द करने का फैसला सुनाया.

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गौरतलब है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट का ये आदेश ऐसे समय पर आया है, जब पीसीएस 2021 के लिए इंटरव्यू की प्रक्रिया चल रही है. कोर्ट के इस आदेश का भर्ती के लिए चल रहे इंटरव्यू पर भी विपरीत असर पड़ना तय है. इन दिनों यूपी लोक सेवा आयोग में पीसीएस 2021 का इंटरव्यू चल रहा है. मुख्य परीक्षा में सफल अभ्यर्थियों का इंटरव्यू 21 जुलाई को शुरू हुआ था जो 5 अगस्त तक चलना है. 630 पदों के सापेक्ष 1285 अभ्यार्थियों को इंटरव्यू के लिए बुलाया गया है.

हालांकि, हाईकोर्ट के आदेश के बाद आयोग की तरफ से कोई अधिकृत बयान जारी नहीं किया गया है लेकिन सूत्रों की मानें तो आयोग इस आदेश के खिलाफ डबल बेंच में याचिका दायर कर सकता है. वहीं, हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया था कि 1999 में करगिल युद्ध के बाद राज्य सरकार ने पूर्व सैनिकों को दिए जाने वाले आरक्षण में बदलाव करते हुए पांच प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की थी. इसमें ग्रुप ए और बी को हटा दिया गया था.

इसे लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी, जिसमें राज्य सरकार ने जवाब दाखिल कर बताया कि इस मुद्दे पर विचार किया जा रहा है. इसके बाद राज्य सरकार ने आरक्षण अधिनियम में एक और संशोधन करते हुए ग्रुप बी सर्विस को भी आरक्षण के दायरे में ला दिया था और इसकी अधिसूचना 10 मार्च 2021 को गजट में प्रकाशित भी कर दी गई. इस दौरान 5 फरवरी 2021 को पीसीएस 2021 का विज्ञापन जारी किया गया जिसमें ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि 5 मार्च 2021 थी. बाद में इसे 17 मार्च 2021 तक बढ़ा भी दिया गया था.

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याचिकाकर्ताओं का कहना था कि आवेदन की अंतिम तिथि समाप्त होने के पहले अधिसूचना प्रकाशित होने के बावजूद लोक सेवा आयोग ने पूर्व सैनिकों को आरक्षण का लाभ देने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि जब 2021 का संशोधन अधिसूचित किया गया उस समय ऑनलाइन फॉर्म भरने का पोर्टल खुला हुआ था जो 17 मार्च 2021 तक खुला रहा.

आरक्षण का लाभ दे सकता था आयोग?

आयोग सतर्क होता तो आरक्षण का लाभ ग्रुप बी और सी को दे सकता था क्योंकि यह गजट में 30 मार्च 2021 को ही प्रकाशित हो गया था. कोर्ट ने पूर्व सैनिकों के संदर्भ में पीसीएस 2021 की प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम रद्द करते हुए अब नए सिरे से परिणाम जारी करने का आदेश दे दिया है.

 

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