कलेक्ट्रेट ऑफिस में मीटिंग कर रहे थे मंत्री और अधिकारी, तभी गिर गई छत और फिर...

तेलंगाना में सालों पहले बने पुराने कलेक्ट्रेट भवन की छत गुरुवार को बारिश के बाद अचानक ढह गई. हादसे के वक्त जिले के प्रभारी मंत्री जुप्पलि कृष्णा राव जिला कलेक्टर और अन्य अधिकारियों के साथ समीक्षात्मक बैठक कर रहे थे. बालकनी का हिस्सा गिरने से वहां मौजूद दो पुलिसकर्मियों और 20 से अधिक वीआरओ की जान बाल-बाल बची. हालांकि कोई घायल नहीं हुआ, लेकिन विभागीय रिकॉर्ड्स पानी और मलबे में नष्ट हो गए.

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अचानक गिर गई ऑफिस की छत (Photo: Screengrab) अचानक गिर गई ऑफिस की छत (Photo: Screengrab)

अब्दुल बशीर

  • हैदराबाद,
  • 12 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 12:49 PM IST

तेलंगाना के पुराने कलेक्ट्रेट भवन में गुरुवार को बड़ा हादसा होते-होते टल गया. दरअसल 1941 में चूना और ईंट से बने इस ऐतिहासिक भवन की छत लगातार हो रही बारिश के कारण अचानक ढह गई. घटना उस समय हुई जब जिले के प्रभारी मंत्री जुप्पलि कृष्णा राव जिला कलेक्टर और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ समीक्षात्मक बैठक कर रहे थे. बैठक स्थल के ठीक पीछे के हिस्से में बालकनी का छज्जा भरभराकर गिर पड़ा.

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जब गिरी छत उस वक्त दफ्तर में मौजूद थे कई अधिकारी

इस हादसे के वक्त कोषागार विभाग के सामने तैनात दो पुलिसकर्मी और लगभग 20 से अधिक गांव राजस्व अधिकारी (VROs) प्रशासनिक अधिकारी के कक्ष के बाहर अपनी पोस्टिंग का इंतजार कर रहे थे. जैसे ही जोरदार आवाज हुई, सभी लोग घबराकर बाहर भागे. गनीमत रही कि छत के गिरते ही सभी सुरक्षित स्थानों पर पहुंच गए और कोई हताहत नहीं हुआ.

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, बालकनी का पूरा हिस्सा मलबे में बदल गया और चारों तरफ अफरातफरी मच गई. प्रशासनिक अधिकारी के कक्ष के बाहर रखी कई महत्वपूर्ण फाइलें भी मलबे और बारिश के पानी में नष्ट हो गईं. मौके पर मौजूद कर्मचारियों ने बताया कि यह भवन काफी पुराना है और लंबे समय से इसकी मरम्मत की मांग की जा रही थी.

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सरकारी दफ्तरों के जांच के आदेश

जिले के प्रभारी मंत्री ने हादसे के तुरंत बाद स्थिति का जायजा लिया और अधिकारियों को भवन के जर्जर हिस्सों की तुरंत मरम्मत करने और अन्य विभागों को अस्थायी रूप से सुरक्षित जगह शिफ्ट करने के निर्देश दिए. वहीं, कर्मचारियों ने राहत की सांस ली कि बड़ा हादसा टल गया.

इस घटना ने एक बार फिर सरकारी भवनों की जर्जर हालत को उजागर कर दिया है. कर्मचारियों ने मांग की है कि पुराने भवनों की समय-समय पर तकनीकी जांच कराई जाए ताकि भविष्य में ऐसे हादसे न हों.
 

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