15 देशों के राजनयिक कल करेंगे कश्मीरी पंडितों से मुलाकात

15 देशों के राजनयिकों ने गुरुवार को केंद्र शासित राज्य जम्मू-कश्मीर पहुंचकर वहां के सुरक्षाकर्मियों से मुलाकात की. इसके बाद स्थानीय मीडिया और स्थानीय लोगों से मुलाकात की.

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यूरोपीय सांसदों के दल के कश्मीर दौरे की फाइल फोटो यूरोपीय सांसदों के दल के कश्मीर दौरे की फाइल फोटो

aajtak.in

  • जम्मू,
  • 09 जनवरी 2020,
  • अपडेटेड 11:08 PM IST

  • विदेशी राजनयिक का दल श्रीनगर पहुंचा
  • कल कश्मीरी पंंडितों से करेंगे मुलाकात

जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस लेने के बाद भारत में अमेरिकी राजदूत समेत 15 देशों के राजनयिक मौजूदा स्थिति का जायजा के लिए लेने दो दिवसीय दौरे पर गुरुवार को श्रीनगर पहुंचे. बता दें कि बीते साल 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने और राज्य के पुनर्गठन के बाद विदेशी राजदूतों का यह पहला राजनयिक दौरा है.

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सरकार की ओर से भेजे गए इस दल में अमेरिका, वियतनाम, दक्षिण कोरिया, ब्राजील, उज्बेकिस्तान, नाइजर, नाइजीरिया, मोरक्को, गुयाना, अर्जेंटीना, फिलीपींस, नॉर्वे, मालदीव, फिजी, टोगो, पेरू के साथ ही पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश के राजनयिक शामिल हैं.

कश्मीर के हालात का लेंगे जायजा

कश्मीर का दौरा करने वाले इस दल में ज्यादातर राजनयिक लैटिन अमेरिकी और अफ्रीकी देशों से ताल्लुक रखते हैं. इन देशों के राजनयिकों ने कश्मीर के हालात का जायजा लेने के लिए जमीनी दौरा करने की इजाजत केंद्र सरकार से मांगी थी. इसके बाद सरकार ने इनके दौरे का इंतजाम किया.

गुरुवार को यह प्रतिनिधिमंडल सबसे केंद्र शासित राज्य जम्मू-कश्मीर पहुंचकर वहां के सुरक्षाकर्मियों से मुलाकात की. इसके बाद स्थानीय मीडिया और स्थानीय लोगों से मुलाकात की. राजनयिक के दल के इस दौरे पर भेजने का मकसद यह है कि ये खुद जाकर वहां देख सकें कि पिछले पांच महीने में किस ढंग से हालात सामान्य हुए हैं. साथ ही इसका भी जायजा लेंगे कि स्थानीय प्रशासन कैसे हालात को सामान्य करने में जुटा हुआ है.

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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, 'जम्मू-कश्मीर का दौरा करने वाले विदेश प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बनने से यूरोपीय यूनियन के राजनयिकों ने इनकार कर दिया था. उनको लगता है कि यह गाइडेड टूर है. हम चाहते थे कि इस प्रतिनिधिमंडल में सभी क्षेत्र के लोगों का प्रतिनिधित्व हो.'

हालात को छुपाना चाहती है सरकार: अल्वी

वहीं, कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने विदेशी राजनयिकों के कश्मीर दौरे को लेकर सरकार पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि ऐसे दौरे या तो सरकार द्वारा प्रायोजित होते हैं या फिर उन्हें निर्देशित किया जाता है. अल्वी ने कहा कि इससे देश की छवि खराब होती है, क्योंकि सरकार कश्मीर के हालात को छुपाना चाहती है. अल्वी ने कहा कि सरकार ने अब तक विपक्षी नेताओं के प्रतिनिधिमंडल को वहां क्यों नहीं भेजा? साथ ही उन्होंने कहा कि अब ना ही देशी और ना ही विदेशी नागरिकों को सरकार पर भरोसा है.

केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्‌डी ने कहा कि कुछ भारतीय विदेशों में कश्मीर को लेकर बुरा भला कह रहे हैं, वे कह रहे हैं कि कश्मीर जेल बन गया है, जो कि गलत है. अगर हम दूसरे राज्यों से जम्मू-कश्मीर की तुलना करे, तो इस राज्य में अधिक शांति है. यही वजह है कि हमलोग पर्यटक, नेता और उन्हें बुला रहे जो नफरत नहीं फैलाएंगे, वे जम्मू-कश्मीर का दौरा कर सकते हैं.

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वहीं, विदेशी राजनयिकों से मिलने के बाद जम्मू-कश्मीर के पूर्व मंत्री गुलाम हसन मीर ने कहा कि एक भी गोली नहीं चली, कोई हत्या नहीं हुई, क्रेडिट लोगों को भी दिया जाना चाहिए, क्योंकि उन लोगों ने कोई हिंसा नहीं की. अब यह भार केंद्र सरकार पर है कि साबित करे कि अनुच्छेद 370 विकास में रोड़ा था.  

बता दें 15 देशों के राजनयिकों का दल गुरुवार शाम को श्रीनगर से जम्मू पहुंचा. वहीं, भारत में अमेरिकी राजदूत सहित 15 देशों के राजनयिकों का प्रतिनिधिमंडल कल यानी शुक्रवार को कश्मीरी पंडितों के जगती शरणार्थी शिविर का दौरा करेगा. वे शरणार्थी शिविर में रह रहे कश्मीरी पंडितों से मुलाकात करेंगे.

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