अयोध्या के 'दूसरे श्रीराम', जहां हो रही है 120 सालों से गरीबों और वंचितों की सेवा

अयोध्या में राम मंदिर के अलावा यहां स्थित श्रीराम अस्पताल भी सुर्खियों में है. श्री राम अस्पताल के प्रशासनिक अधिकारी ने बताया कि कि श्री राम अस्पताल इस शहर का मुख्य सरकारी अस्पताल है. इस अस्पताल में गरीबों और वंचितों का मुफ्त इलाज होता है.

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अयोध्या में राम की पैड़ी घाट ( Photo- MANEESH AGNIHOTRI) अयोध्या में राम की पैड़ी घाट ( Photo- MANEESH AGNIHOTRI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 04 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 2:23 PM IST

सरयू नदी के किनारे बसी अयोध्या नगरी हर रामभक्त को अपनी तरफ खींचती है. रामलला की जन्मस्थली के नाम से मशहूर इस शहर में एक ऐसे 'श्री राम' भी हैं, जो  बीते 120 सालों से गरीबों और बीमारों की सहायता कर रहे हैं. हम बात कर रहे हैं यहां स्थित श्री राम अस्पताल की, जो नवनिर्मित भव्य राम मंदिर से एक किमी से भी कम दूरी पर स्थित है और शहर के केंद्र में स्थित राम पथ से जुड़ा हुआ है.

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कई जिलों के मरीजों का होता है इलाज

मुख्य ब्लॉक की एक दीवार में लगी पुरानी संगमरमर की पट्टिका पर एक शिलालेख है, जिसमें लिखा गया है - "माननीय राय श्री राम बहादुर द्वारा अयोध्या के गरीबों के लिए निर्मित यह अस्पताल 5 नवंबर 1900 को शुरू किया गया था तब इसकी आधारशिला फैजाबाद डिवीजन के आयुक्त, आईसीएस श्री जे हूपर द्वारा रखी गई थी."

शिलालेख में आगे लिखा है कि इसे "12 अप्रैल 1902 को आगरा और अवध के संयुक्त प्रांत के लेफ्टिनेंट गवर्नर एचएच सर जेम्स डिग्गेस लाटौचे, केसीएसआई द्वारा सार्वजनिक उपयोग के लिए खोला गया था." अस्पताल के प्रशासनिक अधिकारी यश प्रकाश सिंह ने बताया कि अस्पताल में अयोध्या और फैजाबाद शहरों के अलावा गोंडा और बस्ती जिलों से भी मरीज आते हैं.

यश प्रकाश ने बताया कि अस्पताल उत्तर प्रदेश सरकार के अधीन है और इलाज मुफ्त में किया जाता है और कई लोग यह भी सोचते हैं कि यह एक निजी अस्पताल है. अपनी स्थापना के बाद से, अस्पताल, जिसे अब आधिकारिक तौर पर राजकीय श्री राम अस्पताल कहा जाता है, ने गरीबों और जरूरतमंदों की सेवा की है. जब से राम मंदिर के निर्माण के साथ अयोध्या का जीवन पूर्ण हो गया है, तब से अस्पताल भी नए जोश के साथ भक्तों की सेवा भी कर रहा है और उन्हें चिकित्सा सुविधा मुहैया करा रहा है.

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राम मंदिर के नजदीक स्थित है अस्पताल

 आपको बता दें कि राममंदिर में 22 जनवरी को हुए प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद इसे 23 जनवरी से आम लोगों के लिए खोल दिया गया था. तब से अब तक लाखों श्रद्धालु यहां दर्शन कर चुके हैं.सिंह ने बताया, 'उद्घाटन के पहले दिन, एक भक्त जो बेहोश हो गया था, उसे एम्बुलेंस में हमारे अस्पताल में लाया गया और उसे चिकित्सा सहायता दी गई, अन्य भक्त जिन्होंने सांस लेने में समस्या की शिकायत की थी, उसका भी इलाज कराया गया.'

अस्पताल राम मंदिर परिसर की ओर जाने वाले मुख्य प्रवेश द्वार से पैदल दूरी पर स्थित है. 120 बिस्तरों वाले श्री राम अस्पताल के प्रशासनिक अधिकारी ने बताया, 'पहले अस्पताल की पुरानी इमारत का रंग गुलाबी था. लेकिन, राम पथ के किनारे की इमारतों के समान स्वरूप के अनुरूप, इसका रंग हाल ही में बदलकर पीला कर दिया गया." .

सिंह ने कहा कि नए मंदिर का निर्माण अयोध्या के लिए आशीर्वाद है और इस अस्पताल ने व्यावहारिक रूप से पिछली सदी में नाटकीय बदलावों को करीब से देखा है. उन्होंने कहा, “इस अस्पताल में रहते हुए, मैंने खुद विवाद का दौर देखा है, वह अशांत दौर जब 1992 में बाबरी (मस्जिद) को गिराया गया था, वह समय जब राम लला एक अस्थायी मंदिर में थे, 2019 में सुप्रीम कोर्ट का फैसला, और अब जब देवता भव्य मंदिर के पवित्र गर्भगृह में रह रहे हैं.'

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अधिकांश को नहीं पता है इतिहास

पुराना समय याद करते हुए सिंह बताते हैं, "अस्पताल परिसर के पीछे की सीमा, मंदिर परिसर क्षेत्र की सीमा से लगी हुई है. एक संतरी एक चौकी की रक्षा करता था जो हमारी सीमा के करीब स्थित थी. श्री राम अस्पताल अभी भी सुरक्षा की दृष्टि से 'येलो जोन' में आता है. प्रभु श्री राम और इस स्वास्थ्य संस्थान का निर्माण करने वाले श्री राम के बीच यही घनिष्ठ संबंध है. अस्पताल के रिकॉर्ड में इसके निर्माता और लाभार्थी के नाम और योगदान का उल्लेख है, लेकिन इसके रिकॉर्ड में शायद ही कोई दस्तावेज़ उनके व्यक्तिगत जीवन के बारे में जानकारी रखते हैं.

सिंह ने बताया, 'उस जमाने के वो बड़े आदमी थे. उनके जीवन के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है, क्योंकि हमने अपने रिकॉर्ड देखे लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. पुरानी पीढ़ी के लोग जानते हैं कि अस्पताल का नाम उस व्यक्ति के नाम पर रखा गया है जिसने इसे बनाया था और नई पीढ़ी के कुछ लोग भी इस बारे में जानते हैं लेकिन अयोध्या भगवान राम की नगरी के रूप में जानी जाती है, यही एक कारण है कि कई लोग मानते हैं कि इसका नाम प्रभु राम के नाम पर रखा गया है.

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श्री राम अस्पताल के प्रशासनिक अधिकारी ने बताया कि कि श्री राम अस्पताल इस शहर का मुख्य सरकारी अस्पताल है और अयोध्या शहर का भगवान ऋषभदेव नेत्र अस्पताल भी इससे जुड़ा हुआ है.

1902 में शुरू हुआ था अस्पताल

फैजाबाद पर 1960 के गजेटियर में भी श्री राम अस्पताल का उल्लेख है. इसमें लिखा गया है, "अस्पताल की इमारत का निर्माण और निर्माण 1902 में रसूलपुर के एक प्रमुख वकील और तालुकदार श्री राम द्वारा किया गया था. इसने 12 अप्रैल, 1902 से काम करना शुरू कर दिया था. तब यह यह जिला बोर्ड के अधीन था. बाद में राज्य सरकार ने इसे अपने अपने अधीन कर दिया. 1953 में एक एक्स-रे प्लांट यहां लगाया गया.' सिंह ने बताया कि अस्पताल में सामान्य सेवाएं और आपातकालीन सेवाओं के अलावा चिकित्सा, बाल चिकित्सा, आर्थोपेडिक्स, ईएनटी, दंत चिकित्सा, नेत्र विज्ञान, अन्य उपचार किए जाते हैं. उन्होंने बताया कि अस्पताल में सुविधाओं की बढ़ाने की भी योजना है.

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