'I Love You...', हिमंत बिस्वा सरमा ने मुस्लिम वोटर्स से क्यों कहे ये थ्री मैजिकल वर्ड्स?

हिमंत बिस्वा सरमा के ट्रैक रिकॉर्ड के चलते लोग उनके वादों पर भरोसा करते हैं. रूपाही में जब वह लोगों से जुलाई में आयोजित होने वाली असम पुलिस भर्ती परीक्षा की तैयारी के लिए फिजिकल ट्रेनिंग करने के लिए कहते हैं तो सभी खुश हो जाते हैं. भीड़ बैरिकेड तोड़ते हुए मंच के करीब पहुंच जाती है. सीएम उनसे हाथ मिलाते हैं, कभी फ्लाइंग किस देते हैं और कहते हैं- 'I Love You'.

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हिमंत बिस्वा सरमा हिमंत बिस्वा सरमा

कौशिक डेका

  • दिसपुर,
  • 23 अप्रैल 2024,
  • अपडेटेड 6:21 PM IST

असम के नागांव जिले का एक छोटा सा ग्रामीण ब्लॉक रूपाही. सुबह के 11 बज रहे हैं. करीब-करीब 95 फीसदी मुस्लिम आबादी वाला यह गांव ऊर्जा से भरा हुआ है. नौजवान, बुजुर्ग, महिलाएं, पुरुष सभी रैली स्थल की ओर बढ़ रहे हैं, जहां असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा उन्हें संबोधित करने वाले हैं. उत्साह से भरे कुछ लोग उस हेलिकॉप्टर को घेरकर खड़े हैं जिससे सरमा उतर रहे हैं. चुनावी दृष्टिकोण से बीजेपी के मुख्यमंत्री के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण क्षेत्र है. वह भी ऐसे समय में जब दो दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अल्पसंख्यकों को लेकर दिए गए एक बयान के लिए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की आलोचना की थी.

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हिमंत बिस्वा सरमा हेलिकॉप्टर से उतरते हैं और बैरिकेड की ओर बढ़ते हैं. मंच के सामने करीब 10 हजार लोग उन्हें और नागांव से बीजेपी उम्मीदवार सुरेश बोरा को सुनने के लिए इकट्ठा हुए हैं. 53 वर्षीय मुख्यमंत्री सरमा आधी रात को केरल में प्रचार से लौटे हैं लेकिन उनके चेहरे पर कोई थकान नहीं दिख रही. वह बैरिकेड से आगे बढ़कर लोगों से मिलते हैं. भीड़ में मौजूद लोग उनसे गले मिलते हैं, कोई हाथ मिलाता है तो कोई पैर छूता है.

भीड़ ने लगाए 'मोदी जिंदाबाद' के नारे

पूरा माहौल उत्साह और ऊर्जा से भरा हुआ है. पार्टी का प्रचार गीत, 'अकोउ एबार मोदी सरकार' (फिर एक बार मोदी सरकार) बज रहा है. भीड़ से बाहर आने के बाद सरमा मंच पर चढ़ते हैं. खुशी से भीड़ में मौजूद लोग झूमने, नाचने, गाने लगते हैं और तालियां बजाते हैं. एक तरफ विपक्ष मोदी सरकार पर हिंदू-मुसलमानों के बीच दरार बढ़ाने का आरोप लगाता है, वहीं दूसरी तरफ हिमंत बिस्वा सरमा हैं जो अपने विवादित बयानों के लिए अक्सर सुर्खियों में रहते हैं. इन सब के बीच रूपाही की यह तस्वीर दिख रही है जहां सरमा बांग्ला भाषी मुस्लिम मतदाताओं से ऐसे मिल रहे हैं जो वे दोनों एक-दूसरे को सदियों से जानते हों. यहां 'जय श्री राम' का नारा तो नहीं है लेकिन भीड़ सरमा के साथ 'भारत माता की जय' और 'मोदी जिंदाबाद' के नारे लगाती है. 

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जहां हुआ था हमला, वहां हुआ फूलों से स्वागत
 
कुछ ऐसा ही नजारा पड़ोसी मुस्लिम बहुल क्षेत्र सामागुरी में भी देखने को मिलता है, जहां विधानसभा सीट कांग्रेस के पास रही है. 2016 में सरमा यहां चुनाव प्रचार नहीं कर पाए थे क्योंकि उनकी गाड़ी पर भीड़ ने हमला कर दिया था और उन्हें पीछे हटना पड़ा था. इस बार भीड़ ने फूलों से उनका स्वागत किया, जैसे उनका कोई अपना बरसों बाद घर लौट रहा हो. ऐसा इसलिए है क्योंकि वे अपने 'मामा' (राज्य में लोग सरमा को प्यार से 'मामा' कहते हैं) के साथ हैं जिन्होंने उन्हें नौकरियां और सड़कें दीं और भ्रष्टाचार से मुक्ति का अहसास दिलाया.  

सरमा ने लोगों से किए वादे

मुख्यमंत्री उनसे पूछते हैं कि क्या मोदी सरकार की ओर से किए गए वादे पूरे हुए और भीड़ से एक जोरदार हां की आवाज सुनाई देती है. वह और भी वादे करते हैं, एक कोल्ड स्टोरेज, एक अस्पताल और एक स्टेडियम. उन्होंने घोषणा की, सितंबर में, मानसून के बाद वह गांव की सड़कों का निरीक्षण करने के लिए बाइक से यात्रा करेंगे. सरमा ने वादा किया कि वह स्थानीय नेताओं के भ्रष्टाचार से मुक्ति दिलाएंगे क्योंकि अब से वह पीएम आवास योजना की जियो-टैगिंग की निगरानी खुद करेंगे.

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मुस्लिम वोटर्स से कहा- I love You!

सरमा के ट्रैक रिकॉर्ड के चलते लोग उनके इन वादों पर भरोसा करते हैं. रूपाही में जब वह लोगों से जुलाई में आयोजित होने वाली असम पुलिस भर्ती परीक्षा की तैयारी के लिए फिजिकल ट्रेनिंग करने के लिए कहते हैं तो सभी खुश हो जाते हैं. अपने वादों में एक स्थानीय संदर्भ जोड़ते हुए सरमा कहते हैं, 'स्टेडियम आपको ट्रेनिंग में मदद करेगा.' यही वजह रही कि भीड़ बैरिकेड तोड़ते हुए मंच के करीब पहुंच जाती है. सीएम उनसे हाथ मिलाते हैं, कभी फ्लाइंग किस देते हैं और कहते हैं- 'I Love You'.

काम के आधार पर सरमा का नया प्रयोग

उनके करीबी सहयोगियों का कहना है कि किसी धार्मिक या सांप्रदायिक मुद्दे को उठाने या मुस्लिम वोटर्स के लिए कोई सौहार्दपूर्ण बयान देने की जरूरत ही नहीं है. यह पिछले तीन वर्षों में सीएम के रूप में सरमा के प्रदर्शन के आत्मविश्वास पर आधारित एक प्रयोग है. सरमा के एक सहयोगी का कहना है, 'पिछले तीन साल में इनमें से ज्यादातर गरीब मुसलमानों को कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिला है, जो उन्हें पिछली सरकारों के दौरान कभी नहीं मिला था.'

यह आश्चर्यजनक रूप से एक राजनेता द्वारा किया गया एक नया प्रयोग है, जिसने अतीत में कहा था कि 'असम में मिया (बांग्ला भाषी मुस्लिम आप्रवासियों) की कोई जरूरत नहीं है'. अगर यह सफल होता है, तो यह भारत के लिए एक स्वस्थ प्रचार अभियान की मिसाल कायम कर सकता है.

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