आज का दिन: क्या है ज़ीरो डे हैक? जिसे लेकर गूगल ने क्रोम यूज़र्स को दी चेतावनी

भवानीपुर उपचुनाव में कौन से मुद्दे हैं भारी? जर्मनी में क्यों हार रही एंजेला मर्केल की पार्टी, क्या अभी उनकी वापसी के आसार हैं? और क्रोम यूज़र्स पर हैकिंग का ख़तरा. सुनिए आज तक रेडियो पर...

Advertisement
क्रोम यूज़र्स पर हैकिंग का ख़तरा. (सांकेतिक तस्वीर) क्रोम यूज़र्स पर हैकिंग का ख़तरा. (सांकेतिक तस्वीर)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 28 सितंबर 2021,
  • अपडेटेड 10:27 AM IST

आजतक रेडियो' के मॉर्निंग न्यूज़ पॉडकास्ट 'आज का दिन' में आज हम चर्चा करेंगे भवानीपुर विधानसभा उपचुनाव पर. जानेंगे किआखिर भवानीपुर का चुनाव प्रचार इतना तीखा क्यों रहा और आखिर वो कौन से मुद्दे हैं जिन्हें लेकर पार्टियां भवानीपुर के चुनावी रण में उतरी ? चर्चा चुनाव प्रक्रिया के हिसाब से क्या एंजेला मर्केल की पार्टी की वापसी हो सकती है? इस मुद्दे पर भी होगी. इसके साथ ही इस बात पर भी चर्चा होगी कि गूगल, क्रोम को लेकर जिस हाई सिक्योरिटी रिस्क की बात कर रहा है वो आखिर है क्या?

Advertisement

आजतक रेडियो पर हम रोज़ लाते हैं देश का पहला मॉर्निंग न्यूज़ पॉडकास्ट ‘आज का दिन’, जहां आप हर सुबह अपने काम की शुरुआत करते हुए सुन सकते हैं आपके काम की ख़बरें और उन पर क्विक एनालिसिस. साथ ही, सुबह के अख़बारों की सुर्ख़ियां और आज की तारीख में जो घटा, उसका हिसाब किताब. आगे लिंक भी देंगे लेकिन पहले जान लीजिए कि आज के एपिसोड में हमारे पॉडकास्टर अमन गुप्ता किन ख़बरों पर बात कर रहे हैं.

1.भवानीपुर उपचुनाव में कौन से मुद्दे हैं भारी?

पश्चिम बंगाल की भवानीपुर सीट से सीएम ममता बनर्जी उपचुनाव में उम्मीदवार हैं. भवानीपुर विधानसभा उपचुनाव के लिए चुनाव प्रचार थम गया है और परसों से वोटिंग होनी है. इस सीट से सीएम ममता बनर्जी साल 2011 और साल 2016 में जीत हासिल कर चुकी हैं. इस बार उन्होंने अपनी परंपरागत सीट छोड़कर नंदीग्राम से चुनाव लड़ा था लेकिन अब मुख्यमंत्री बने रहने के लिए एक बार फिर वे भवानीपुर से चुनाव लड़ रहीं हैं.

Advertisement

यहां बीजेपी ने प्रियंका टिबरेवाल को उम्मीदवार बनाया है.  कल बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने भवानीपुर में चुनाव प्रचार करने के लिए पहुंचे थे जिसके बाद उन्होंने टीएमसी के कार्यकताओं पर गुंडागर्दी का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि टीएमसी के कार्यकर्ताओं ने चुनाव प्रचार के दौरान उनपर हमला किया और बीजेपी कार्यकर्ताओं के साथ भी मारपीट की. इसका एक वीडियो भी सामने आया है जिसमें दिलीप घोष के सुरक्षाकर्मी पिस्टल दिखाकर कथित हमलावर भीड़ को भगा रहे हैं.  गुस्से से तमतमाए दिलीप घोष ने उपचुनाव स्थगित करने की मांग कर डाली. बहरहाल ये समझना भी ज़रूरी है कि आखिर भवानीपुर का चुनाव प्रचार इतना तीखा क्यों रहा और आखिर वो कौन से मुद्दे हैं जिन्हें लेकर पार्टियां भवानीपुर के चुनावी रण में उतरी ?

2. जर्मनी में क्यों हार रही एंजेला मर्केल की पार्टी, क्या अभी उनकी वापसी के आसार हैं? 

जर्मनी में करीब डेढ़ दशक तक चांसलर पद पर रहीं एंजेला मर्केल का राजनीतिक सफर अब लगभग खत्म हो गया है. दरअसल हुआ ये कि एंजेला मर्केल ने अपने संन्यास का ऐलान किया तो जर्मनी में चुनाव हुए. और अभी तक चुनाव के जो नतीजे आए हैं, उसमें एंजेला मर्केल की पार्टी की हार गई हैं. जर्मन संसद के निचले सदन बुंडेसटाग की 735 सीटों में इस बार 299 जिन पर सीधे मतदान होता है उसमें  उसमें ओलाफ स्कोल्ज की सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी को 26 फीसदी तक वोट मिले हैं जबकि जबकि सेंटर-राइट CDU-CSU गठबंधन ने 24 फ़ीसदी वोट शेयर हासिल किया है.

Advertisement

सात दशक के इतिहास में CDU-CSU का यह सबसे खराब प्रदर्शन है. CDU-CSU ही एंजेला मर्केल का गठबंधन है. आर्मिन लास्केट इससे चांसलर के उम्मीदवार हैंहालांकि, अभी किसी भी दल ने अपनी हार नहीं मानी है क्योंकि अभी बहुत कुछ बदल सकता है.  चुनाव में हर मतदाता दो वोट डालता है पहला वोट पसंदीदा स्थानीय उम्मीदवार को जाता है जबकि दूसरा वोट पार्टी को दिया जाता है. बहुत से लोगों अपने दोनों वोट दो अलग अलग पार्टियों को भी देते हैं. यानी हो सकता है कि स्थानीय स्तर पर आपको किसी और पार्टी का उम्मीदवार पसंद हो और राष्ट्रीय स्तर पर किसी दूसरी पार्टी की नीतियां आपको अच्छी लगती हों.

संसद में कितनी सीटें होंगी, यह मतदाताओं के दूसरे वोट पर निर्भर करता है.चुनाव में पांच प्रतिशत से ज्यादा वोट पाने वाली पार्टियों को उनके वोट के अनुपात में संसद में सीटें मिलती हैं.  अगर किसी पार्टी को पांच फीसदी से कम वोट मिलें तो उसे गिनती से बाहर कर दिया जाता है. मतलब ये कि पास होने के लिए पांच फीसदी वोट ज़रूरी हैं. वरना उसके उम्मीदवार संसद में नहीं बैठ सकते.

ओलाफ स्कोल्ज अभी यहां और छोटे दलों को गठबंधन के लिए बुलाएंगे अगर सब बात बनती है और उनकी सीटें ज़्यादा होती हैं तो जर्मनी की कमान उनके हाथों में होगी. हालांकि सेकेंड वर्ल्ड वॉर के बाद जर्मनी में CDU का दबदबा रहा है. तो इस बार ऐसा क्या हो गया, और चुनाव के ऐसे क्या मुद्दे थे जो ये बदलाव की बयार चल पड़ी? और वहां की चुनाव प्रक्रिया के हिसाब से क्या एंजेला मर्केल की पार्टी की वापसी हो सकती है?

Advertisement

3. क्रोम यूज़र्स पर हैकिंग का ख़तरा!

आप इंटरनेट पर सर्च करने के लिए क्रोम का इस्तेमाल करते हैं तो जरा अलर्ट हो जाइए. गूगल ने इस बात को कन्फ़र्म कर लिया है कि क्रोम के साथ हाई सिक्योरिटी रिस्क की संभावना है. यानि कि अगर आप क्रोम यूज करते हैं तो शायद आप भी जल्द हैकर्स का निशाना बन सकते हैं. गूगल ने क्रोम की सिक्योरिटी को लेकर लोगों को चेताया है और साथ ही साथ ये जानकारी भी साझा की है कि क्रोम फिलहाल सिक्योरिटी कॉन्फ्लिक्ट से गुजर रहा है जिसका असर उसके यूज़र्स के पर्सनल डाटा इंटरफेस पर पढ़ेगा. पर सवाल यही है कि गूगल, क्रोम को लेकर जिस हाई सिक्योरिटी रिस्क की बात कर रहा है वो आखिर है क्या और इससे क्या परेशानी होने वाली है?

28 सितंबर 2021 का 'आज का दिन' सुनने के लिए यहां क्लिक करें.

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement